UP News: मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव नहीं होगा, इस वजह से SC आरक्षित सीट पर नहीं होगा चुनाव, जानें वजह

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मिल्कीपुर विधानसभा सीट इस समय पूरे उत्तर प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है। यह सीट अयोध्या जिले की महत्वपूर्ण सीटों में से एक है, जो अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है। लेकिन अब चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि यहां उपचुनाव नहीं होंगे। चुनाव आयोग के इस फैसले ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है

UP News: मिल्कीपुर विधानसभा सीट का राजनीतिक माहौल बेहद गर्म है, खासकर जब से इस सीट पर उपचुनाव टलने की खबर आई है। मिल्कीपुर विधानसभा सीट का राजनीतिक परिदृश्य इस समय पूरे उत्तर प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। यह सीट अयोध्या जिले की महत्वपूर्ण सीटों में से एक है, जो अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है। हाल ही में इस सीट पर उपचुनाव को लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन अब चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि यहां उपचुनाव नहीं होंगे। चुनाव आयोग के इस फैसले ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, खासकर समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस फैसले पर गहरी आपत्ति जताई है।

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इस सीट पर उपचुनाव न कराने का प्रमुख कारण ये है:

मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव न कराने का प्रमुख कारण यह है कि बीजेपी के पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ ने 2022 के विधानसभा चुनाव परिणाम को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। इस याचिका में उन्होंने सपा के मौजूदा सांसद और पूर्व विधायक अवधेश प्रसाद के निर्वाचन को अवैध करार देने की मांग की है। बाबा गोरखनाथ का आरोप है कि अवधेश प्रसाद ने अपने चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी दी थी और उस हलफनामे की नोटरी एक ऐसे व्यक्ति ने की थी जिसका लाइसेंस पहले ही खत्म हो चुका था। गोरखनाथ के अनुसार, यह कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन था और इस आधार पर उन्होंने अदालत से अवधेश प्रसाद के निर्वाचन को रद्द करने की मांग की है। याचिका अब भी अदालत में लंबित है, और इसी के चलते चुनाव आयोग ने इस सीट पर उपचुनाव न कराने का फैसला लिया।

इस फैसले पर समाजवादी पार्टी की तीखी प्रतिक्रिया

चुनाव आयोग के इस फैसले पर समाजवादी पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। सपा प्रवक्ता फकरूल हसन चांद ने आयोग पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट का मामला भी अदालत में लंबित है, लेकिन वहां उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है। ऐसे में मिल्कीपुर में उपचुनाव न कराना चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है। सपा का आरोप है कि आयोग बीजेपी के दबाव में काम कर रहा है और इस मामले में निष्पक्षता से काम नहीं ले रहा है।

अवधेश प्रसाद पहले यहां से विधायक थे

मिल्कीपुर सीट पर यह विवाद तब और गहरा गया जब सपा के नेता अवधेश प्रसाद ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अयोध्या से सांसद बनने के लिए मिल्कीपुर सीट से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने 7,000 वोटों से जीत दर्ज करते हुए अयोध्या से लोकसभा में प्रवेश किया, जिसके बाद यह विधानसभा सीट खाली हो गई। अवधेश प्रसाद की जीत से बीजेपी को बड़ा झटका लगा था, क्योंकि अयोध्या बीजेपी का गढ़ माना जाता है। ऐसे में मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए बीजेपी और सपा दोनों ही दलों में प्रत्याशी चुनने की प्रक्रिया तेज हो गई थी, लेकिन चुनाव आयोग के इस फैसले ने चुनावी तैयारियों पर विराम लगा दिया है।

 

मिल्कीपुर सीट पर मुकाबला हमेशा दिलचस्प रहा है

सियासी लिहाज से मिल्कीपुर सीट पर मुकाबला हमेशा दिलचस्प रहा है। इस क्षेत्र में 34% ओबीसी, 36% सामान्य वर्ग, 20% अनुसूचित जाति और लगभग 9.48% मुस्लिम वोटर हैं। बीजेपी का ब्राह्मण और ठाकुर समुदाय पर मजबूत पकड़ है, जबकि सपा का यादव, मुस्लिम और अनुसूचित जाति वोट बैंक बेहद मजबूत है। पिछले पांच चुनावों में इस सीट पर तीन बार सपा, एक बार बीजेपी और एक बार बसपा ने जीत हासिल की है, जिससे यह साफ होता है कि यह सीट कितनी महत्वपूर्ण है।

उम्मीदवारों की बात करें तो सपा से अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को टिकट मिलने की संभावना है। अजित प्रसाद पहले से ही क्षेत्र में सक्रिय हैं और अपने पिता के राजनीतिक कार्यों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी ओर, बीजेपी अब तक अपने प्रत्याशी के नाम को लेकर असमंजस में है। पार्टी को इस बात का ध्यान रखना होगा कि यहां का जातीय समीकरण उनके पक्ष में हो।

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मिल्कीपुर उपचुनाव की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है

इस विवाद के बीच बाबा गोरखनाथ के वकील रूद्र विक्रम सिंह ने एक बयान देकर यह संकेत दिया था कि गोरखनाथ अपनी याचिका वापस ले सकते हैं, लेकिन बाद में गोरखनाथ ने इस बयान से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि वे अभी कानूनी सलाह ले रहे हैं और याचिका वापस लेने का कोई फैसला नहीं किया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह मामला अभी जल्द खत्म होता नजर नहीं आ रहा है और मिल्कीपुर उपचुनाव की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है।

अदालत इस मामले में क्या निर्णय लेती है?

इस पूरी घटनाक्रम ने मिल्कीपुर विधानसभा सीट को उत्तर प्रदेश की सबसे चर्चित सीटों में से एक बना दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मामले में क्या निर्णय लेती है और चुनाव आयोग की आगे की क्या रणनीति होगी। वहीं, सपा और बीजेपी दोनों ही दल इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि इस सीट का परिणाम आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

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