दलित और बहुजन समाज को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए चुनावी मंचो से गुहार लगाई जा रही है। कहा जा रहा है कि संविधान और आरक्षण बचाना है तो कोंग्रेस को वोट दो। हर सभा में संविधान की कॉपी हाथ में लिए राहुल गांधी ये करते हुए दिख रहे हैं। लेकिन अब उन्होंने एक ऐसी बात बोल दी है जिसे सुनने के बाद दलित और बहुजन समाज में आक्रोश पैदा हो गया है। दलितों के हितैषी बनने वाले राहुल गांधी अब दलितों की आँखों का कांटा बनते नज़र आ रहे हैं। पढ़िए सुषमा तोमर की रपट
राहुल गांधी इस वक्त सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं। उनकी एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल है। जिसमे वह अपनी तुलना राजनीति के दिग्गज लोगों में गिने जाने वाले मान्यवर कांशीराम के साथ करते हुए दिख रहे हैं। वायरल वीडियो में राहुल गांधी को कहते सुना जा सकता है। वह कह रहे हैं कि भारत के इन लोगों की आवाज़ राहुल गांधी है। वहीं दूसरी तरफ वह कहते हैं कि कांशीराम दलित अभिव्यक्ति के अलावा कुछ नहीं थे।
राहुल गांधी को जमकर लताड़ा :
राहुल को इस बात के लिए जमकर लताड़ा जा रहा है। सोशल मीडिया पर उनके लिए कई तरीके की बातें भी लिखी जा रही है। वहीं उन्हें दलित विरोधी के तौर पर देखा जा रहा है। आइए कुछ लोगों के स्टेटमेंट आपको बताते है जो राहुल गांधी के इस वीडियो के जवाब में लिखे गए हैं। फिलहाल बताते यह भी चले की ये बात राहुल गांधी बहुजन समाज से आने वाले यूटूबर्स के सामने कह रहे थे।
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राहुल गांधी के इस बयान पर दलित समाज से आने वाले अजय पटेल लिखते हैं “यह चर्चा किसी बहुजन यूट्यूबर के स्टडी रूम में हो रही है थी। किसी भी बहुजन युटुबर ने राहुल गांधी से काउंटर सवाल नहीं किया। क्या वे राहुल गांधी की इन बातों से सहमत हो गए?क्या आप भी राहुल गाँधी के इन बातों से सहमत हैं की, मान्यवर कांशीराम जी दलित पहचान के अलावा और कुछ नहीं है?
गुंडों से सावधान :
वहीं सुप्रीम कोर्ट के वकील नितिन मेश्राम राहुल गांधी के इस बयान पर लिखते हैं , ” वह सबके सामने मान्यवर कांशीराम साहब का अपमान कर रहे हैं, फिर भी किसी ने आपत्ति नहीं की। मैं तुरंत राहुल गांधी से भिड़ जाता। हमें ऐसे गुंडों से सावधान रहना चाहिए और उन्हें सबक सिखाना चाहिए।”
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वहीं मिशन अंबेडकर के फाउंडर सूरज कुमार बौद्ध ने तो राहुल गांधी को ज़ीरो ही बता दिया। उन्होंने अपने X अकॉउंट पर लिखा, “मान्यवर कांशीराम ने बीएसपी को सत्ता में लाया, उसे तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनाया, हज़ारों सांसदों और विधायकों को चुनने में मदद की…लेकिन राहुल, आपकी उपलब्धि क्या है? शून्य।
राजनीति का क, ख, ग, भी नही पता :
वहीं बहुजन समाज पार्टी के लोकसभा चुनावों में उम्मीदवार देवाशीष जरारिया ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “राहुल जी शायद आप खुद को अब मान्यवर कांशीराम साहब से भी ऊपर समझने लगे है। आप भूल गए कि जिस राजनीति के सहारे आप सत्ता में वापसी की चाह रखे है, वह मान्यवर के ही सिद्धांत है।
इस देश को मान्यवर के आने से पहले दलित पिछडो की राजनीति का क, ख, ग, भी नही पता था।
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उन्होंने इस देश के वंचितों,दलितों, पिछडो को सत्ता का मतलब सिखाया। जब कांग्रेस और आपके पिताजी सामाजिक राजनीति का नाम लेने तक से डरते थे मान्यवर ने देश की पहली दलित महिला मुख्यमंत्री बहन कुमारी मायावती जी को बनवाया। आप मान्यवर के नाखून के बराबर भी नही हो।
हिस्सेदारी’ का नारा लगा रहे हैं :
वहीं बोलता हिंदुस्तान के संस्थापक समर राज कहते है, “कांशीराम दलित अभिव्यक्ति के अलावा कुछ भी नहीं थे, ऐसा राहुल गांधी बता रहे हैं। उनसे यही उम्मीद है-गांधीवादी हैं, स्वाभाविक है सामाजिक न्याय की सतह पर ही फिसल जा रहे हैं। मगर शिकायत दलित बहुजन चिंतक, प्रोफेसर्स और यूटूबर्स से है; जो खुशामदी में मस्त, मुंडी हिला रहे हैं।
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डांट डपटकर न सही, रोक-टोंक कर भी नहीं कह पा रहे हैं। “काशीराम दलित अभिव्यक्ति से जन्मे नेता नहीं हैं बल्कि दलितों को अभिव्यक्ति देने वाले नेता हैं। उनकी जगाई चेतना से करोड़ों की जिंदगी बदली है, लाखों लोग वालंटियर बनकर मिशन चला रहे हैं। सालों-साल में हालात इतने बदल गए हैं कि जातिवार जनगणना और ओबीसी आरक्षण का विरोध करने वाले आप जैसे लोग भी खुलकर अब ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ का नारा लगा रहे हैं।”
पार्षद भी न बन पाते राहुल गांधी :
राहुल गांधी के इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने भी बड़ी तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने वीडियो शेयर कर लिखा, ” मान्यवर कांशीराम ने शून्य से देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी खड़ी की और 10 साल में यूपी में सरकार बना ली. वे Deepening of Democracy यानी लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करने के लिए दुनिया में प्रसिद्ध हैं. राहुल के साथ गांधी नाम न हो, परनाना-नानी-पापा की विरासत न हो तो पार्षद भी न बन पाएं.
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दिलीप मंडल ने राहुल गांधी के सामने बैठे बहुजन यूटूबर्स को भी लताड़ लगाई। उन्होंने कहा, “सोचिए कि मैं वहां होता तो क्या पटाखे फूटते. मेरे सामने वे ये न बोलते. मुझसे जब भी उन्होंने बातचीत की, कभी इतने लापरवाह नहीं हुए. हमेशा सतर्क रहे और तौलकर बोला. आदमी हमेशा क्राउड देखकर बोलता है. यहां राहुल गांधी इतने बेफिक्र क्यों हैं? हल्की बात कर रहे हैं.
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