मूछ बहुजन की शान

Share News:

मूछें मूलनिवासी नायक बहुजन की पहचान रही हैं

दर्शन धम्म कला कौशल की आन-बान औ’ शान रही हैं

 

मूछें तान खड़ा है बहुजन आर्यवर्त के सीने पे

बहुजन सत्ता लाने ख़ातिर अपने शर्त के जीने पे

 

हम हैं नायक मौर्य वंश, सम्राट असोक का बाहूबल

मगध मल्ल गणराज पाल द्रविड़ लोक का जल औ’ थल

 

तुम कायर सी बात करो पर हम मूछों पर ताव धरेंगे

गर हुरमत को हाथ लगाया फिर सीने पर घाव करेंगे

 

आन बान सम्मान हमारा जान से अपनी प्यारी है

तुम तो हो इतिहास के कायर जंग से अपनी यारी है

 

हल्दी घाटी से भागने वाले, मैदां हम नहीं छोड़े हैं

घास की रोटी जंगल-जंगल छिपकर हम नहीं तोड़े हैं

 

गया सिकन्दर भाग यहाँ, उत्तर भारत के कोने से

मगध वंश की सेना हाथों जान-माल को खोने से

 

जान नहीं ये जान है अपनी जब इज्जत पे आँच पड़ी है

झलकारी औ’ उदा देवी बन फूलन देवी साँच खड़ी है

 

ज्ञान कला रण कौशल औ’ सत्ता से ख़ुद पहचान रही है

मैदान-ए जंग में शेर निडर के ताकत जैसी शान रही

 

बुद्ध गुरु रविदास कबीरा के दर्शन से जग भोर हुआ है

दानवीर सम्राट असोका के यश से जग शोर हुआ है

 

नहीं जगत हम पे हंसता है गाय गोबर को खाने से

नहीं जगत हम वे हंसता है गोमूत्र पी जाने से

 

बहुजन के घोड़ी चढ़ने से हर आन ख़ाक हो जाता है

पर नहीं बताया क्यों तुमने आख़िर क्या इससे नाता है

 

विश्व गुरु भारत कहलाता गौतम बुद्ध के दर्शन से

रविदास जी का बेगमपुरा बाबा साहब के विद्वत्व धन से

 

नालंदा तक्षशिला बल्लभी विक्रमशिला के ज्ञानों से

परचम वही लहरायेंगे कलम औ’ तीर कमानों से

 

जो बहुजन पहचान मिटाये उसे वहीं पे रोक दो

जान-माल पर हमला बोले फिर तो उसको ठोक दो

*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *

महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।

  Donate

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *