जातिसूचक शब्दों का विरोध करने पर दलित की निर्मम हत्या

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उत्तरप्रदेश : जातिसूचक शब्दों का विरोध करने पर दलित की निर्मम हत्या

राज्य में दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगातार हो रहे अत्याचार के मामलों ने एक बार फिर योगी आदित्यनाथ सरकार के राज्य में कानून व्यवस्था में सुधार के दावों के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

दलितों के साथ बढ़ते अत्याचार का एक और मामला कानपुर देहात से सामने आया है। शनिवार को रूरा थाना के गहोबा गांव में समुदाय के एक प्रवासी मजदूर को ऊंची जाति के लोगों ने पीट-पीट कर मार डाला। एक हफ्ते बाद, मृतक की पत्नी के साथ छेड़छाड़ के मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

कानपुर देहात पुलिस ने मीडिया को बताया कि एक पूर्व ग्राम प्रधान सहित लगभग एक दर्जन लोगों के एक समूह ने रात में अपने घर से बाहर निकलने पर दलित व्यक्ति पर लाठियों से हमला किया जिसके बाद अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई।

मृतक का नाम मुनेश बताया जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार मृतक मुनेश का कुछ ‘शक्तिशाली’ लोगों से विवाद चल रहा था। मृतक के परिवार का आरोप है कि पिछले दो-तीन सालों से आरोपी सवर्ण जाति के लोग मृतक और उसके समुदाय के खिलाफ जातिसूचक शब्दों का प्रायगो करते थे। उन्होंने मुनेश के साथ कई बार मारपीट भी की।

परिवार ने बताया कि “पिछले कुछ वर्षों से, एक ही गाँव में रहने वाले शक्तिशाली उच्च जाति समुदाय के 10 से 13 लोगों का एक समूह हमें परेशान करता था और अक्सर विवाद पैदा करता था, जिसका मेरे बेटे ने विरोध किया था। हमने पुलिस से शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। मुनेश को भी दबंगों के सामने नतमस्तक किया गया था”, मृतक के पिता ने कहा, “अगर पुलिस ने सही समय पर कार्रवाई की होती, तो उनका बेटा आज जीवित होता। उन्होंने कहा, “अगर मेरे बेटे को उनके द्वारा पीटे जाने पर भी उचित इलाज दिया जाता, तो उसे बचाया जा सकता था।”

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2020 में दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अपराध में वृद्धि हुई है। इन दोनों समुदायों के खिलाफ अपराध के सबसे अधिक मामले यूपी और मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए हैं।

*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *

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