मीडिया वाला क्यों आया ठेले पर ? जानिए इस रिपोर्ट में

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सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तेज़ी से वायरल है. तस्वीर रोड साइड एक स्टॉल की है जिस पर लिखा है “पत्रकार पोहा वाला” यही नहीं दुकान पर पोहे की अलग अलग वेराइटी भी लिखी हुई हैं। जैसे एडिटर स्पेशल पोहा और रिपोर्टर स्पोशल पोहा। अभी तक बताई गई इन तीन बातों से आपको यह तो समझ आ ही गया होगा कि यह दुकान किसी पत्रकार ने खोली है। साथ ही मन में अलग और अजीब खयाल भी आने शुरू हो गए होंगे जैसे “बेरोज़गार होगा बेचारा” या “पापी पेट के लिए कुछ भी करना पड़ता है” तो कुछ ये भी कहेंगे कि “जब MBA चाय वाला हो सकता है, B. tech पानीपूरी वाली हो सकती है तो पत्रकार पोहे वाला क्यों नहीं हो सकता..?

सोशल मीडिया पर वायरल फ़ोटो

 

लेकिन ज़रा रूकिए और मामले पर थोड़ी बेसिक जानकारी ले लिजिए दरअसल यह पत्रकार पोहे वाले की दुकान नोएडा सैक्टर 16 फिल्मसिटी में मीडिया संस्थान आजतक के ऑफिस के ठीक सामने खुली है। दुकान के ऑनर का नाम ददन विश्वकर्मा है। ददन इंदौर के रहने वाले हैं और अपनी दुकान पर उन्होंने अपना नाम भी “ददन इंदौरी” ही लिखा है। उन्होंने स्टॉल पर यह भी मेंशन किया हुआ है कि वह शादी-पार्टी के ऑर्डर भी लेते हैं। इसके अलावा जो सबसे खास बात है वो ये कि ददन ने अपने स्टॉल पर बाबा साहेब अंबेडकर और महात्मा ज्योतिबा फुले की तस्वीर भी लगाई हुई है। बताते चलें कि दादन ने भारतीय जनसंचार संस्थान यानी IIMC से पढ़ाई की है। वह मीडिया में 13 सालों तक काम कर चुकें हैं। ददन विश्वकर्मा ने करीब 4 सालों तक आज तक में काम किया है वहीं “पत्रकार पोहा वाला” बनने से पहले वह ZEE news के साथ काम कर रहे थे। इसके अलावा उन्होंने NBT, दैैनिक भास्कर और पत्रिका समूह में भी काम किया है।

ददन ने अपने ट्वीटर पर अपने स्टॉल की तस्वीरें शेयर कर लिखा “अब इसे स्टार्ट अप कहिए, रोज़गार का साधन कहिए या जो भी. जगह- फ़िल्मसिटी, आजतक के सामने।“ इसके बाद जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी है तो उन्होनें जवाब देते हुए कहा “मैंने पत्रकारिता छोड़ी नहीं है वो भी होगी और बेहतर होगी। लेकिन अभी ज़रा रोजी रोटी की व्यवस्था कर लूँ। क्योंकि अपने हिस्से का संघर्ष मुझे ही करना है।“ उन्होंने एक और ट्वीट में कहा कि “दुनिया वैसी नहीं है जैसी दिखती है। जब आपको रोज़गार की जरूरत होती है तो नसीहत मिलती हैं। जब भूख और प्यास लगी हो तो रोटी और पानी चाहिए होता है, लेकिन असल में ये चीज़ें मिलेंगी नहीं क्योंकि कुछ लोगों को ये देने में इगो हर्ट होता होगा।“

 

देखते ही देखते सोशल मीडिया पर पत्रकार पोहे वाले की तस्वीर वायरल होने लगी। लोगों ने अपने अपने हिसाब से इस पर किस्से कहानियाँ गढ़ दी। उनके “दुनिया वैसी नहीं है जैसी दिखती है” वाले ट्वीट से अर्थ यह निकाला गया कि उनके संस्थान ने उन्हें नोकरी से निकाल दिया है। जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए ददन ने ट्वीट कर लिखा कि आप लोगों से एक निवेदन-गुज़ारिश है, जो भी स्टोरी मेरे बारे में कर रहे हैं, कृप्या एक बार चीजों को वेरिफ़ाई ज़रूर कर लें। किसी संस्थान को लेकर टिप्पणी करने से पहले मुझसे ज़रूर जान लीजिएगा। कुछ स्टोरीज़ में आधी हक़ीक़त और फ़साना ज़्यादा है।

बहरहाल ददन विश्वकर्मा को पोहा का स्टॉल क्यों खोलना पड़ा बात उस पर कर लेते हैं। मीडिया वेबसाइट “पत्रिका” के मुताबिक ददन कहते हैं कि “ मेरी पत्नी ने 1 महीने पहले ही बच्चे को जन्म दिया है। पत्नी की डिलीवरी के कारण ही मैंने अपनी नौकरी छोड़ी, क्योंकि ज्यादा छुट्टी मिलने में दिक्कत हो रही थी। बच्चा होने के बाद जब मुझे दोबारा नौकरी की जरूरत थी तो मुझे नौकरी नहीं मिली। मेरे भाई भी पोहा का स्टॉल लगाते हैं। मुझे भी एक बिजनेस शुरू करना था, जिससे में सिमटकर न रह सकूं। इसलिए मैंने ये स्टॉल खोला है।”

वह खुद अपना एक बिज़नेस शुरू करना चाहते थे और उन्होनें वहीं किया। वह बताते हैं कि उनके भाई की भी एक पोहे की दुकान है इसलिए उन्होंने भी पोहे को ही अपने बिज़नेस के तौर पर चुना।

वहीं दी मूकनायक से बातचीत में उन्होंने कहा कि, “मैंने मीडिया जगत में 13 सालों तक काम किया है लेकिन फिर भी आज मैंने खूद को नौकरी के लिए मजबूर पाया। मैंने उन्ही संस्थानों के सामने “पोहा” का स्टॉल लगाया है जिनके साथ मैँने काम किया है। इस बीच मैंने कई बार नौकरी खोजने की कोशिश की लेकिन हर बार खाली हाथ लौटना पड़ा। फिर सोचा कि क्यों ना लोगों को इंदौर का असली पोहा खिला कर रोज़गार शुरू किया जाए।

अपने स्टॉल पर बाबा साहेब अंबेडकर और महात्मा ज्योतिबा फुले की तस्वीर लगाने के पीछे का कारण बताते हुए ददन ने मूकनायक को बताया कि, “ये दो प्रतिष्ठित व्यक्तित्व पूरे देश के लिए आदर्श हैं। उन्हीं से मुझे ये हिम्मत मिली की मैं ये पोहा का स्टॉल लगा पाया।

बहरहाल, सोशल मीडिया पर शेयर इन तस्वीरों से ददन को खासी पब्लिसिटी मिल चुकी है।

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