द न्यूज ब्रेक के फाउंडर & संपादक सुमितचौहान को ट्विटर पर जान से मारने की धमकी मिली है, धमकी देने वाले ने ‘खोपड़ी में गोली मारने’ की बात कही है।
पिछले कुछ महीनों में देश के दलित बहुजन चिंतक पत्रकार, प्रोफेसर को जान से मारने की धमकी मिल चुकी है ताज़ा मामला सुमित चौहान का है इसके पहले दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर रतन लाल वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय में हिंदी के दलित प्रोफेसर रविकांत चंदन को भी जान से मारने की बात कही गयी प्रोफेसर रविकांत पर तो विश्वविद्यालय परिसर में जानलेवा हमला भी हुआ।
आए दिन रोज किसी न किसी दलित चिंतक ,बहुजन पत्रकार को धमकियां दी जा रही हैं, इन सभी के मामलें में प्रशासन का ढीलापन रवैया आपराधिक मानसिकता के लोगों को बढ़ावा देने का काम किया है।
क्यों टारगेट किये जा रहे हैं दलित बहुजन समाज के बुद्धिजीवी:- इसकी मुख्य वजह इनके अक्खड़पन,बेबाक राय रखना बड़ा कारण हो सकता है जो मनुवादी, ब्राह्मणवादी मानसिकता के लोगों को पसंद नहीं आ रही होगी।
धमकी देने वालों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही ना होना भी मुख्य वजह:- अनुमान आजकल यह देखा जा रहा है 4-5 साल पुराने एक ट्वीट से लोगो की भावनाएं आहत हो जाती हैं मगर जब बात किसी दलित बहुजन पत्रकार, लेखक, चिंतक,प्रोफेसर को जान से मारने की बात आती है तो धमकी देने वालो के खिलाफ कोई कार्यवाही नही होती है, जिससे अपराधियों का संरक्षण होता है और उनका मनोबल बढ़ता है।
वैचारिक बहस करने की हैसियत नहीं होती तो करते हैं गाली गलौज:- पत्रकार के किसी बात से आप संतुष्ट नहीं है तो आप उससे संवाद कीजिये ,बहस कीजिए, वैचारिक मतभेद रखिये, अपने विचारों से उसका मुहतोड़ जवाब भी दिया जा सकता है लेकिन एक लोकतांत्रिक देश में ऐसे खूलेआम जान से मारने की धमकी देना कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
*यह लेख कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में लॉ के छात्र शिवम कुमार ने लिखा है।
SHIVAM KUMAR, KURUKSHETRA UNIVERSITY
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