ज्योतिबा फुले भारतीय समाज सुधारक लेखक दार्शनिक और क्रांतिकारी कार्यकर्ता थे। भारतीय समाज में फैली जाति प्रथा के आधार पर हुए विभाजन और भेदभाव के कट्टर विरोधी थे। वह समाज में फैली कुप्रथाओं, महिलाओं, पिछड़े व अछूतों के लिए शिक्षा व उनके अधिकारों के लिए कार्य करते रहे।
यही कारण था कि 16 नवंबर 1852 में भारतीय समाजसेवी ज्योतिबाफुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले को ब्रिटिश सरकार द्वारा सम्मानित किया गया था। पुणे कालेज के तत्कालीन प्राचार्य मेजर कैंडी ने शिक्षा के क्षेत्र में फुले युगल को सम्मानित किया था और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले को सर्वश्रेष्ठ शिक्षक घोषित किया था ।
बीच में छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई:
महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 1827 में पुणे में हुआ था। 1 वर्ष की आयु में ही इन्होंने अपनी मां को खो दिया। इनका पूरा परिवार सतारा से पुणे आकर बस गया। यहां पर आकर उन्होंने फूलों के गजरें बनाने का काम शुरू कर दिया था। इसलिए माली का काम करते हुए उन्हें ‘फुले’ नाम से जाना जाने लगा। ज्योतिबा फुले की प्रारंभिक शिक्षा मराठी भाषा में हुई थी लेकिन बीच में ही उनकी शिक्षा छूट गई। फिर 21 वर्ष की आयु में महात्मा ज्योतिबा फुले ने अंग्रेजी माध्यम से अपनी सातवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की। 1840 में उनका विवाह माता सावित्रीबाई से हो गया था।
ज्योतिबा फुले महिलाओं को समाज में सर्वश्रेष्ठ स्थान दिलाने के लिए हमेशा से प्रयासरत रहते थे। क्योंकि समाज में फैली स्त्रियों के प्रति कुप्रथाओं जैसे -बाल विवाह, शिक्षा का अधिकार दिलाना, विधवा विवाह का समर्थन किया , फुले स्त्रियों की दयनीय दशा से बहुत व्याकुल होते थे। इसलिए उन्होंने समाज में स्त्रियों की दशा सुधारने की शुरुआत सबसे पहले अपनी पत्नी को स्वयं शिक्षा देकर की थी। सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला अध्यापिका थी।
महिला के लिए शिक्षा की एहमियत जानते थे फुले:
स्त्रियों की शिक्षा हेतु ज्योतिबा फुले ने 1848 में एक विद्यालय की स्थापना की थी। ये भारत का एकमात्र ऐसा विद्यालय खुला था जो कि महिलाओं के लिए था। विद्यालय में लड़कियों को पढ़ाने के लिए अध्यापिका नहीं मिली तो उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने इस कार्यभार को संभाला।ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने अपना पूरा जीवन महिलाओं की शिक्षा और उनके अधिकार , समानता के लिए लड़ते हुए न्यौछावर कर दिया। समाज में एक नई क्रांति को जन्म दिया था।
1873 में ‘सत्यशोधक’ समाज की स्थापना की थी। उन्होंने किसानों के उत्थान के लिए एग्रीकल्चर एक्ट पास किया था। राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले की प्रमुख रचनाएं-तृतीय रत्न,अछूतों की कैफियत, छत्रपति शिवाजी आदि है।
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