लोकसभा चुनाव नज़दीक है और यूपी की चार बार मुख्यमंत्री रही मायावती अभी तक इस बात को लेकर चर्चा में हैं कि वो INDIA गठबंधन में शामिल होकर NDA को हराने के लिए एकजुट हुए सभी विपक्षी दलों की कतार में शामिल हो जाएंगी या स्वतंत्र रहकर चुनाव लड़ेंगी। हालांकि मायावती वक्त- वक्त पर मीडिया को संबोधित कर ऐसी किसी भी अटकल को खारिज करती रही है। लेकिन इस बार मायावती ने भी मीडिया के सामने आकर समाजवादी पार्टी पर तंज कसते हुए कहा कि “कभी भी, किसी को भी, किसी की ज़रूरत पड़ सकती है”
यह भी पढ़े : फेसबुक पर टिप्पणी करने के विवाद को लेकर दलित युवक की चाकू घोंपकर हत्या
बहरहाल बसपा प्रमुख मायावती ने दोनों ही गठबंधनों को दाँतों तले उंगलिया दबाने पर मज़बूर कर दिया है। अपने 68वें जन्मदिन यानी 15 जनवरी 2024 को मायावती बसपा का 2.0 वर्ज़न लागू करने वाली हैं। इसके मुताबिक अब बहुजन समाज पार्टी एक नए अंदाज़ में देखने को मिलेगी। बताते चलें कि इससे पहले मायावती बसपा को लेकर एक बड़ा फैसला कर चुकीं हैं। दिसंबर महिने में अपने भतीजे आकाश आनंद को उन्होंने अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था।
यह भी पढ़े : राजस्थान: पुरानी रंजिश में दलित युवक का अपहरण कर, की गई मारपीट
बसपा 2.0 में क्या होगा ?
बीएसपी का 2.0 वर्जन मायावती और उनके उत्तराधिकारी आकाश आनंद की देखरेख में तैयार किया जा रहा है। जानकारी है कि मायावती 15 जनवरी को पार्टी की वेबसाइट और एक जिए ऐप को लॉंच करने वाली है उसमें वोटर्स का ज्योग्राफिकल डिविजन होगा. इसके आधार पर पन्ना प्रमुख तय होंगे। हर बूथ पर एक्टिव टीम मौजूद रहेगी।
यह भी पढ़े : दुकान से पानी पीने पर दलित युवक के साथ की गई मारपीट
इसके माध्यम से हाई कमान को जिस भी इलाके के बारे में जानकारी लेनी होगी उसे इस ऐप में उस एरिया पर जाकर क्लिक करना होगा. फिर सीधे पन्ना प्रमुख का प्रोफाइल खुल जाएगा… बूथ लेवल को हाई कमान तक जो भी फीड बैक पहुंचाना होगा वो भी इस ऐप के माध्यम से संभव हो जाएगा।
ऐप में इसके अलावा ‘जन संवाद‘ का भी एक कॉलम होगा. इसके जरिए आम जनता भी पार्टी तक डायरेक्ट फीडबैक पहुंचा सकती है। इसमें पार्टी के महत्वपूर्ण इवेंट्स का ब्योरा, कार्यक्रम के बारे में जानकारी और पार्टी जिन भी महापुरुषों से प्रभावित है, उनके विचार भी ऐप में ऐड किए जाएगे। यानी अब बसपा के लिए इस ऐप के माध्यम से बूथ लेवल से टॉप लेवल की कनेक्टिविटी बेहतर होगी.
यह भी पढ़े : बुद्ध और कार्ल मार्क्स पर बाबा साहेब अंबेडकर के क्या विचार थे?….जानिए
मायावती को कम ना आंकें ?
भारत की सियासत में मायावती का औहदा क्या है वो इस बात से पता लगाया जा सकता है कि जब भी मायावती का नाम सामने आता है तो लॉ एंड गुड गवर्नेंस के कसीदे पढ़े जाने लगते हैं। मायावती भारतीय राजनीति की नब्ज़ उत्तरप्रदेश की सत्ता को 4 बार संभाल चुकीं हैं। हम यहाँ उत्तरप्रदेश को भारतीय राजनीति की नब्ज़ इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आबादी और लोकसभा सीटों का आंकड़ उत्तरप्रदेश में सबसे ज्यादा है। भले ही मायावती और बसपा की सत्ता से दूरी कई सालों से बरकरार है लेकिन उत्तरप्रदेश में मायावती की मौजूदगी पर सवाल खड़े करना बेवकूफी होगी।
यह भी पढ़े : मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव का क्या रहा परिणाम ?…जानिए
बसपा उत्तरप्रदेश से लेकर दूसरें राज्यों में बहुत ज्यादा सीटें नहीं जीत पाई है लेकिन वोट प्रतिशत में बसपा के पैर मज़बूत हैं। साल 2014 में भी बीएसपी ने कोई सीट नहीं जीती थी लेकिन फिर भी बीएसपी का वोट प्रतिशत 20 % बरकरार रहा था। 2017 में उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव अकेले दम पर लड़ा, केवल 19 सीटें जीती लेकिन वोट प्रतिशत 22 फीसद से ज्यादा रहा। 2019 के लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी के साथ बसपा ने गठबंधन में चुनाव लड़ा और 10 सीटों पर जीत दर्ज की हालांकि इन चुनावों में बसपा ने सिर्फ 38 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था। इस दौरान भी बसपा का वोट प्रतिशत 19 फीसदी से ऊपर रहा। वहीं 2022 के उत्तरप्रदेश चुनावों में बसपा 1 सीट पर सिमट गयी लेकिन वोट प्रतिशत 13 फिसदी के आस-पास रहा।
यह भी पढ़े : विवेक बिंद्रा और लल्लनटॉप का जातिवादी चेहरा उजागर, लोगों ने लगाई क्लास
मीडिया रिपोर्टस खुद मानती हैं कि कमजोर होने के बावजूद मायावती की बीएसपी मजबूत फैक्टर है. इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. नए लुक में आने के बाद मायावती जितना ज्यादा ग्रोथ करेंगी इंडिया गठबंधन को उतना ही बड़ा झटका लगेगा।
दूसरी किसी भी पार्टी के लिए भले ही चुनाव सिर्फ सत्ता में आने की कूंजी हो लेकिन बसपा और मायावती के लिए चुनावी लड़ाई अपनी साख को कायम रखने और समाज के लिए काम करने की पहली सीढ़ी है। और इस बात में कोई दो राह नहीं है कि अपने इस तरह के फैसलों से मायावती INDIA और NDA दोनों ही गठबंधनों को चौंकाती रहेंगी।
*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *
महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।