Rahul Gandhi के आरक्षण खत्म करने वाले बयान पर हंगामा! मायावती बोलीं, सत्ता मिलने पर कांग्रेस खत्म कर देगी SC/ST और OBC आरक्षण

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राहुल गांधी के आरक्षण के बारे में दिए बयान पर राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। उन्होंने अमेरिका में कहा कि कांग्रेस तब तक आरक्षण खत्म करने पर विचार नहीं करेगी, जब तक देश में समानता नहीं होती। उन्होंने यह भी बताया कि आदिवासियों, दलितों और ओबीसी को समान अवसर नहीं मिल रहे हैं।

हाल ही में राहुल गांधी ने आरक्षण के बारे में बयान दिया है । राहुल गांधी की इस टिप्पणी के बाद, राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है, खासकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। मायावती ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह जातीय जनगणना का मुद्दा केवल राजनीतिक लाभ के लिए उछाल रही है और वास्तव में इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाएगी। इस मुद्दे ने देशभर में राजनीतिक चर्चा को जन्म दे दिया है, और विभिन्न दलों ने कांग्रेस के आरक्षण के प्रति दृष्टिकोण की आलोचना की है।

राहुल के बयान पर मायावती भड़की

मायावती ने अपने बयान में साफ किया है कि जातिवाद समाप्त होने तक आरक्षण की व्यवस्था जारी रहनी चाहिए। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह लंबे समय तक सत्ता में रहने के बावजूद ओबीसी आरक्षण को लागू नहीं कर पाई और जातीय जनगणना नहीं कराई। मायावती ने राहुल गांधी के विदेश में दिए उस बयान की भी आलोचना की, जिसमें उन्होंने एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण खत्म करने की बात की थी। उनके अनुसार, इस तरह के बयान से सतर्क रहने की जरूरत है और आरक्षण की व्यवस्था को जारी रखना अत्यंत आवश्यक है।

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कांग्रेस के इस नाटक से लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है

मायावती ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी करते हुए कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जातीय जनगणना के मुद्दे का उपयोग सत्ता में आने के लिए कर रही है, लेकिन वास्तव में जातीय जनगणना नहीं कराएगी। मायावती ने राहुल गांधी के विदेश में दिए बयान की भी आलोचना की, जिसमें उन्होंने एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण खत्म करने की बात की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस वर्षों से आरक्षण को खत्म करने की साजिश में लगी है और इस नाटक से लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।

डॉ. भीमराव अंबेडकर को लेकर कही बड़ी बात

मायावती ने कहा कि कांग्रेस के नेताओं, विशेष रूप से राहुल गांधी, के आरक्षण पर किए गए बयानों से सावधान रहना चाहिए। उनका मानना है कि कांग्रेस सत्ता में आने पर आरक्षण को समाप्त कर सकती है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस संविधान और आरक्षण की रक्षा का दिखावा करती है, लेकिन वास्तव में इसका विरोध करती है। उन्होंने उल्लेख किया कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भी कांग्रेस के आरक्षण कोटा पूरा न करने की वजह से कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दिया था, जो कांग्रेस की आरक्षण विरोधी सोच को दर्शाता है।

मायावती ने जातिवाद को लेकर कही बड़ी बात

मायावती ने एक पोस्ट में कहा कि जब तक देश में जातिवाद पूरी तरह से समाप्त नहीं हो जाता, तब तक भारत की सामाजिक, आर्थिक, और शैक्षणिक स्थितियाँ इन वर्गों के लिए अपेक्षाकृत बेहतर नहीं हो सकतीं, भले ही देश की स्थिति कितनी भी बेहतर हो। उन्होंने जोर देकर कहा कि जातिवाद के समूल नाश होने तक आरक्षण की सही संवैधानिक व्यवस्था का जारी रहना अत्यंत आवश्यक है। उनके अनुसार, यह व्यवस्था उन वर्गों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए महत्वपूर्ण है और इसे समाप्त करने की बजाय जारी रखा जाना चाहिए।

जब कांग्रेस सत्ता में थी तब ठोस कदम क्यों नहीं उठाये

अब सवाल उठता है कि जब कांग्रेस सत्ता में थी, जब उसने जातीय जनगणना और ओबीसी आरक्षण को लेकर ठोस कदम क्यों नहीं उठाये। कांग्रेस पर आरोप है कि उसने इन मुद्दों को हल्के में लिया या जानबूझकर उन्हें नजरअंदाज किया। एक बड़ा कारण यह हो सकता है कि कांग्रेस की राजनीतिक प्राथमिकताएँ और प्राथमिक एजेंडे अलग थे, और उन्होंने अन्य मुद्दों को अधिक महत्व दिया। इसके अलावा, जातीय जनगणना और आरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दों पर व्यापक राजनीतिक और सामाजिक सहमति बनाने में कठिनाइयाँ आईं। विभिन्न हित समूहों और राजनीतिक दबावों के कारण निर्णायक कदम उठाने में रुकावटें आईं। कांग्रेस की आलोचना की जाती है कि उसने इस मुद्दे पर स्थिरता और स्पष्टता की कमी दिखाई, जिसके चलते जातीय और सामाजिक न्याय के लिए अपेक्षित सुधार नहीं हो पाए। इन तथ्यों को देखते हुए, कांग्रेस की सरकार पर सवाल उठना स्वाभाविक है, और इसे घेरे जाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

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ये है राहुल का बयान

राहुल गांधी ने जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में कहा था कि कांग्रेस आरक्षण समाप्त करने पर तभी विचार करेगी जब देश में समानता और निष्पक्षता का माहौल होगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में आदिवासियों, दलितों और ओबीसी को वित्तीय और सामाजिक भागीदारी में पर्याप्त अवसर नहीं मिल रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के अधिकांश प्रमुख व्यवसायों में आदिवासी, दलित और ओबीसी का कोई नाम नहीं है, और इससे यह दर्शाता है कि अभी भी समान अवसर की कमी है।

 

 

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