योगी सरकार उपचुनावों के नतीजों के बाद कैबिनेट में बड़े फेरबदल की तैयारी में है। मिशन-2027 के तहत दलित और ओबीसी वोटबैंक साधने पर फोकस किया जाएगा। कमजोर प्रदर्शन करने वाले मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है, जबकि उपचुनाव में विजेता विधायकों और नए चेहरों को मौका मिलेगा। सहयोगी दल भी मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
UP News: उत्तर प्रदेश में हाल ही में संपन्न विधानसभा उपचुनावों के परिणामों के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार अपने मंत्रिमंडल में बड़े फेरबदल की तैयारी में है। भाजपा ने 9 में से 7 सीटों पर जीत दर्ज कर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है, लेकिन इन नतीजों ने दलित और ओबीसी मतदाताओं के बदलते रुझान की ओर भी संकेत दिए हैं। इस बदलाव को भांपते हुए भाजपा सरकार अब मिशन-2027 के तहत अपनी रणनीति को धार देने के लिए मंत्रिमंडल में दलित और ओबीसी चेहरों को प्राथमिकता देने की तैयारी कर रही है।
मंत्रिमंडल में बदलाव की सुगबुगाहट: दिल्ली बैठक का इंतजार
सूत्रों के अनुसार, यह बदलाव दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद हो सकता है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ जल्द ही एक अहम बैठक में विस्तार की रूपरेखा तैयार की जाएगी। इस बैठक में उन मंत्रियों के नाम तय किए जाएंगे, जिन्हें मंत्रिमंडल से बाहर किया जाना है, साथ ही नए चेहरों को शामिल करने पर भी सहमति बनेगी। यह फेरबदल भाजपा के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 2024 लोकसभा चुनावों में दलित और ओबीसी मतदाताओं का बिखराव पार्टी को नुकसान पहुंचा चुका है। अब यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि अगले विधानसभा चुनाव तक यह वोटबैंक पूरी तरह से भाजपा के साथ बना रहे।
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उपचुनाव में विजेता विधायकों को इनाम मिलने की उम्मीद
सूत्रों का कहना है कि उपचुनाव में जीतने वाले विधायकों को मंत्रिमंडल में स्थान दिया जा सकता है। खासकर वे विधायक, जिन्होंने दशकों से विपक्षी दलों के कब्जे वाली सीटों को भाजपा के खाते में डाला है, उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। ऐसे नेताओं को मंत्रिमंडल में स्थान देकर पार्टी न केवल उन्हें पुरस्कृत करना चाहती है, बल्कि क्षेत्रीय संतुलन को भी साधने की कोशिश कर रही है।
पुराने मंत्रियों पर गिरेगी गाज
लंबे समय से मंत्री पद पर बने रहने के बावजूद संतोषजनक प्रदर्शन न करने वाले मंत्रियों की कार्यप्रणाली का आकलन किया जा रहा है। ऐसे कई मंत्रियों का पत्ता इस फेरबदल में साफ हो सकता है। पार्टी का फोकस अब नतीजों पर है, और इसी वजह से संगठन में बेहतर प्रदर्शन करने वालों को इनाम देने की योजना बनाई जा रही है।
सहयोगी दलों की बढ़ी दावेदारी
फेरबदल के इस दौर में भाजपा के सहयोगी दल भी अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की तैयारी में हैं। निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद मंत्रिमंडल में अतिरिक्त पद की मांग कर रहे हैं। वहीं, उपचुनाव में मीरापुर सीट जीतने वाले रालोद भी दबाव बना सकता है। इन सहयोगी दलों की बढ़ती दावेदारी ने फेरबदल को और जटिल बना दिया है।
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दलित और ओबीसी समीकरण की प्राथमिकता
मंत्रिमंडल विस्तार में दलित और ओबीसी मतदाताओं को साधने की रणनीति पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। भाजपा जानती है कि 2024 में जिस बिखराव ने नुकसान पहुंचाया, उसकी भरपाई अब 2027 की तैयारी में करनी होगी। ऐसे में नए चेहरे उन समुदायों से चुने जाएंगे, जो न केवल पार्टी के लिए वोट सुनिश्चित करें, बल्कि सियासी संदेश भी दें।
मिशन-2027: नए समीकरणों की नींव
योगी आदित्यनाथ सरकार का यह कदम महज मंत्रिमंडल विस्तार नहीं, बल्कि मिशन-2027 की नींव है। भाजपा इस बदलाव के जरिए न केवल अपने वोटबैंक को मजबूत करना चाहती है, बल्कि उन क्षेत्रों में भी पकड़ बनाना चाहती है, जहां अब तक विपक्ष का दबदबा रहा है। पार्टी का मानना है कि यह फेरबदल 2027 में भाजपा की संभावनाओं को और मजबूत करेगा।
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