संभल हिंसा: मस्जिद सर्वे से भड़की आग, 4 मौतें, 2750 पर केस, सपा सांसद पर साजिश का आरोप, जानें पूरा मामला

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संभल हिंसा: शाही जामा मस्जिद के सर्वे पर भड़की भीड़ ने पत्थरबाजी और फायरिंग की, जिसमें 4 की मौत हुई। सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क पर साजिश का आरोप, 2750 लोगों पर केस दर्ज। पुलिस ने इसे सुनियोजित साजिश बताया, हालात अब नियंत्रण में।

संभल में 24 नवंबर को हुए दंगों में पुलिस ने इसे सुनियोजित साजिश करार दिया है। एसपी केके विश्नोई के अनुसार, हिंसा के पीछे सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क, विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल और मस्जिद सदर जफर अली की भूमिका बताई गई है। एफआईआर के मुताबिक, 22 नवंबर को सांसद बर्क ने बिना प्रशासनिक अनुमति के जामा मस्जिद में भीड़ जुटाई और भड़काऊ बयान दिए। इस बयान ने 24 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़काने में अहम भूमिका निभाई। पुलिस का दावा है कि 700-800 की भीड़ मस्जिद पर सर्वे के खिलाफ जुटी थी और इन लोगों ने पुलिस पर पत्थरबाजी और फायरिंग की।

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क्या हुआ था उस दिन?

19 नवंबर को कोर्ट के आदेश पर जामा मस्जिद का सर्वे शुरू हुआ था। एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव को मस्जिद की वीडियोग्राफी और सर्वे का जिम्मा सौंपा गया था। सर्वे का पहला चरण शांति से संपन्न हुआ, लेकिन 24 नवंबर को दूसरे चरण के दौरान अफवाह फैल गई कि मस्जिद में खुदाई की जा रही है। यह अफवाह भीड़ के उग्र होने का कारण बनी। पुलिस ने जब भीड़ को रोकने की कोशिश की, तो पथराव शुरू हो गया। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हुई, जिनमें मोहम्मद कैफ (18), बिलाल (23), नईम (30), और मोहम्मद रोमान (50) शामिल हैं।

सपा सांसद और विधायक पुत्र के खिलाफ क्या हैं आरोप?

पुलिस की एफआईआर के अनुसार, सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने 22 नवंबर को जुमे की नमाज के बाद बिना अनुमति के मस्जिद में भीड़ जुटाई और भड़काऊ बयान दिए। उन्होंने कहा था कि मस्जिद की हिफाजत जरूरी है। बर्क का बयान भीड़ को भड़काने में अहम रहा। दूसरी ओर, विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल पर भीड़ को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप है। कहा जा रहा है कि सोहेल ने भीड़ से कहा, “हम तुम्हारे साथ हैं, जियाउर्रहमान बर्क हमारे साथ हैं, कुछ नहीं होगा।” इससे भीड़ और उग्र हो गई।

हिंसा में क्या हुआ?

भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया, गाड़ियों में आग लगाई, और सीओ अनुज चौधरी पर फायरिंग की। अनुज के पैर में गोली लगी। पुलिस का कहना है कि भीड़ ने सरकारी पिस्टल और आंसू गैस के गोले लूट लिए। हिंसा में 24 पुलिसकर्मी घायल हुए। कई सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा। पुलिस ने अब तक 25 आरोपियों को गिरफ्तार किया है और 2,750 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

क्या है जफर अली और प्रशासन का पक्ष?

मस्जिद सदर जफर अली ने प्रशासन पर गैरकानूनी सर्वे का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि वजूखाने से पानी निकालने की जिद के कारण अफवाहें फैलीं। वहीं, डीएम और एसपी ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि वजूखाना सिर्फ वीडियोग्राफी के लिए खाली किया गया था। प्रशासन ने जफर अली के दावों को भ्रामक करार दिया।

राजनीतिक बयानबाजी तेज

सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने पुलिस और प्रशासन पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि हिंदू संगठनों के धार्मिक नारे और पुलिस की कार्रवाई से माहौल बिगड़ा। कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने पुलिस पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। वहीं, सपा सांसद रामगोपाल यादव ने प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया।

नुकसान की भरपाई होगी

जिला प्रशासन हिंसा में हुए नुकसान का आकलन कर रहा है। उपद्रवियों से वसूली के लिए नोटिस जारी किया जाएगा। एसडीएम दीपक कुमार चौधरी इस घटना की न्यायिक जांच करेंगे।

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अब क्या होगा?

संभल में इंटरनेट सेवाएं बंद हैं और निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। बाहरी लोगों के प्रवेश पर 30 नवंबर तक रोक है। प्रशासन ने साफ किया है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हिंसा के पीछे की साजिश और उसमें शामिल लोगों की भूमिका की जांच जारी है।

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