बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती इन दिनों समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर कड़े हमले कर रही हैं। उन्होंने हाल ही में कांग्रेस पर बड़ा सियासी प्रहार किया, विशेष रूप से 1995 के गेस्ट हाउस कांड और कांशीराम की बीमारी को लेकर। मायावती ने कांग्रेस से सवाल पूछा है कि उसने इन घटनाओं के दौरान उचित कदम क्यों नहीं उठाए और जातीय जनगणना व आरक्षण के मुद्दों पर उसकी चुप्पी के पीछे का कारण क्या है।
Mayawati : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में नए अध्यक्ष के चुनाव को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं, और आकाश आनंद का नाम इस संदर्भ में प्रमुखता से सामने आ रहा है। इस बीच, बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को अपने संन्यास की संभावनाओं पर स्पष्टता प्रदान करते हुए कई ट्वीट किए। उन्होंने अपने ट्वीट्स में अपने राजनीतिक भविष्य और पार्टी की दिशा के बारे में जानकारी दी, जिससे यह संकेत मिलता है कि वह अभी भी पार्टी की गतिविधियों में सक्रिय हैं और अध्यक्ष पद पर बने रहने की संभावना बनी हुई है।
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मायावती के एक के बाद एक ट्वीट
मायावती ने अपने ट्वीट्स के माध्यम से स्पष्ट किया है कि वह सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वह अपनी आखिरी सांस तक बसपा के आत्म-सम्मान और स्वाभिमान आंदोलन को समर्पित रहेंगी, जैसा कि बहुजनों के मसीहा बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर और कांशीराम ने किया। इसके साथ ही, उन्होंने जातिवादी मीडिया द्वारा फैलाई जा रही फेक न्यूज पर भी निशाना साधा। उन्होंने मीडिया पर उनके संन्यास और पार्टी के उत्तराधिकारी के संबंध में झूठी खबरें फैलाने का आरोप भी लगाया। मायावती ने आकाश आनंद के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में चयन की अटकलों का भी खंडन किया और पार्टी की भविष्य की दिशा को लेकर आश्वस्त किया।
‘पहले राष्ट्रपति बनाए जाने की अफवाहें उड़ाई थीं’
मायावती ने अपने ट्वीट्स में उल्लेख किया कि पहले भी उनके राष्ट्रपति बनाए जाने की अफवाहें उड़ाई गई थीं। उन्होंने याद दिलाया कि मान्यवर श्री कांशीराम ने राष्ट्रपति बनने के प्रस्ताव को इसलिए ठुकरा दिया था क्योंकि इसका मतलब सक्रिय राजनीति से संन्यास लेना होता, जो पार्टी के हित में नहीं था। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर कांशीराम ने ऐसा किया, तो उनकी शिष्या के लिए राष्ट्रपति बनना और सक्रिय राजनीति से संन्यास लेना कैसे संभव हो सकता है।
मायावती ने किया गेस्ट हाउस कांड का जिक्र
मायावती ने गेस्ट हाउस कांड का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर आरोप लगाया कि सपा द्वारा 2 जून 1995 को बीएसपी का समर्थन वापस लेने के बाद उनके खिलाफ जानलेवा हमला कराने के बावजूद कांग्रेस ने इस मुद्दे पर कभी आवाज नहीं उठाई। उन्होंने कहा कि उस समय केंद्र में कांग्रेसी सरकार थी, जिसने अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की। मायावती ने बताया कि मान्यवर कांशीराम को अपनी गंभीर बीमारी के बावजूद अस्पताल छोड़कर रात में गृह मंत्री को हड़काना पड़ा था और विपक्ष ने संसद को घेर लिया था, तभी जाकर कांग्रेसी सरकार हरकत में आई। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की नीयत खराब हो चुकी थी और वे यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाकर पर्दे के पीछे से अपनी सरकार चलाना चाहती थी, लेकिन बीएसपी ने इस षड्यंत्र को विफल कर दिया।
मायावती ने लोगों को सचेत रहने की अपील की
मायावती ने गेस्ट हाउस कांड के संदर्भ में भाजपा का नाम लेते हुए कहा कि भाजपा और समूचा विपक्ष ने मानवता और इंसानियत के नाते उन्हें बचाया और अपना दायित्व निभाया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस को इस सहायता पर भी तकलीफ होती रही है और सवाल उठाया कि कांग्रेस को ऐसा क्यों लगता है। मायावती ने लोगों को सचेत रहने की अपील की, यह बताते हुए कि कांग्रेस की इस स्थिति के पीछे कुछ निहित स्वार्थ हो सकते हैं।
कांग्रेस SC/ST आरक्षण में क्रीमीलेयर के मुद्दे पर चुप क्यों ?
मायावती ने आगे लिखा कि बीएसपी वर्षों से जातीय जनगणना के लिए कांग्रेस और अब बीजेपी पर दबाव बना रही है और पार्टी इसके पक्ष में रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि जातीय जनगणना के बाद कांग्रेस SC, ST और OBC वर्गों को उनका वाजिब हक दिला पाएगी या नहीं, खासकर जब कांग्रेस SC/ST आरक्षण में वर्गीकरण और क्रीमीलेयर के मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है। मायावती ने इस संदर्भ में कांग्रेस से जवाब मांगा।
गेस्ट हाउस कांड क्या हैं ?
गेस्ट हाउस कांड 2 जून 1995 को लखनऊ में हुआ एक प्रमुख राजनीतिक घटना थी। उस समय समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) उत्तर प्रदेश में गठबंधन सरकार चला रही थीं, लेकिन उनके बीच अंदरखाने में टकराव था। उस दिन, मायावती ने लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाउस में बसपा विधायकों की बैठक बुलाई। बैठक के बाद, वह कुछ विधायकों के साथ अपने सुइट में चली गईं, जबकि बाकी विधायक कॉमन हॉल में थे। शाम को करीब 200 लोगों की एक उन्मादी भीड़ ने गेस्ट हाउस पर हमला कर दिया। इस भीड़ में सपा के विधायक और समर्थक शामिल थे। भीड़ ने बसपा विधायकों को धमकाया, जातिवादी नारे लगाए और उन्हें अपंग करने की धमकी दी। उन्होंने गेस्ट हाउस के मुख्य दरवाजे को तोड़कर अंदर घुस गए और विधायकों के साथ मारपीट की। अजय बोस की किताब के अनुसार, भीड़ ने पांच बसपा विधायकों को जबरन गेस्ट हाउस से बाहर खींचकर कारों में डाल दिया और उन्हें मुख्यमंत्री आवास ले गई। वहां उन्हें राज बहादुर के नेतृत्व वाले बागी गुट में शामिल होने और सपा को समर्थन देने के लिए मजबूर किया गया। विधायकों को देर रात तक कैद रखा गया।उस वक्त भीड़ ने मायावती को सुइट से बाहर खींचने की धमकी दी और नारेबाजी और गालियां देना जारी रखा। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लखनऊ के जिलाधिकारी राजीव खेर ने कड़ा रुख अपनाया, जिससे कुछ हद तक शांति बहाल हुई।
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