“हमारी छोरियां छोरों से कम नहीं”। ये लाइन उन भारतीय महिलाओं पर पूरी तरह से सटीक बैठती है. जिन्होंने पैरा ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन कर जीत हासिल की . हम बड़े गर्व के साथ कह सकते है.पैरा ओलंपिक में डिसएबिलिटी के बावजूद महिलाओं का प्रदर्शन अद्भुत रहा है।
Paralympics 2024 : पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारतीय महिला खिलाड़ियों का प्रदर्शन सराहनीय और गर्व का विषय रहा है . दरअसल, भारत ने पैरालंपिक 2024 में अब तक 20 पदक हासिल कर लिए हैं, जिनमें 3 स्वर्ण, 7 रजत और 10 कांस्य पदक शामिल हैं। इनमें से 9 पदक भारतीय महिला खिलाड़ियों ने जीते हैं. खासतौर पर, अवनी लेखरा ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है।
पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारतीय महिला खिलाड़ियों का प्रदर्शन शानदार रहा है। पदकों की सूची इस प्रकार है:
स्वर्ण पदक विजेता:
- अवनी लेखरा – महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 (निशानेबाजी)
रजत पदक विजेता:
- तुलसीमथी मुरुगेसन – महिला एकल SU5 (बैडमिंटन)
कांस्य पदक विजेता:
- मोना अग्रवाल – 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 (निशानेबाजी)
- प्रीति पाल – 100 मीटर T35 (एथलेटिक्स)
- प्रीति पाल – 200 मीटर T35 (एथलेटिक्स)
- रुबीना फ्रांसिस – 10 मीटर एयर पिस्टल SH1 (निशानेबाजी)
- मनीषा रामदास – महिला एकल SUS (बैडमिंटन)
- नित्या श्री सिवन – महिला एकल SH6 (बैडमिंटन)
- दीप्ति जीवनजी – 400 मीटर T20 (एथलेटिक्स)
इन महिलाओं ने न केवल पदक जीते हैं, बल्कि उन्होंने दुनिया को यह सिखाया है कि चुनौतियाँ चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर मन में दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास हो, तो असंभव कुछ भी नहीं।
इन योद्धाओं ने अपनी शारीरिक सीमाओं को चुनौती दी
पैरा ओलंपिक—यह सिर्फ एक खेल प्रतियोगिता नहीं, बल्कि उन योद्धाओं की कहानी है जिन्होंने अपनी शारीरिक सीमाओं को चुनौती दी और दुनिया को दिखा दिया कि सच्ची शक्ति शरीर में नहीं, बल्कि मन में होती है। भारतीय महिला पैरा एथलीट्स ने इस मंच पर जिस हिम्मत और हौसले का प्रदर्शन किया है, वह पूरे देश के लिए गर्व की बात है।
भारतीय महिला पैरा एथलीट्स है देश का गर्व
पेरिस पैरालंपिक में भारतीय महिला खिलाड़ियों ने साबित कर दिया कि शारीरिक अक्षमता कभी भी आपके सपनों की उड़ान को नहीं रोक सकती। उन्होंने अपनी मेहनत, संघर्ष और दृढ़ संकल्प से सभी बाधाओं को पार करते हुए अब तक 20 पदकों में से 9 अपने नाम किए हैं। यह सिर्फ पदकों की गिनती नहीं है, बल्कि उन अनगिनत संघर्षों की गाथा है, जो उन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए लड़ी हैं।
इन खिलाड़ियों ने मैदान पर उतरते ही हर चुनौती को अपने जज्बे से परास्त किया। चाहे तीरंदाजी हो, एथलेटिक्स, बैडमिंटन या फिर स्विमिंग—हर क्षेत्र में उन्होंने अपनी चमक बिखेरी है। इन महिलाओं ने हमें सिखाया कि हार मानने से पहले लड़ाई लड़नी चाहिए, चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों।
हर लड़की के दिल में उम्मीद की लौ जलाई
सोचिए, जब समाज ने इन्हें कमजोर समझा, तब इन्होंने अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बना लिया। इन खिलाड़ियों ने सिर्फ देश के लिए पदक नहीं जीते, बल्कि हर उस लड़की के दिल में उम्मीद की लौ जलाई है, जो अपने सपनों को लेकर कभी हिचकिचाई थी।
इन महिलाओं की जीत सिर्फ खेल की जीत नहीं है; यह उन सभी लोगों की जीत है जो विश्वास रखते हैं कि मेहनत, दृढ़ता और आत्मविश्वास से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है। आज, ये खिलाड़ी सिर्फ पदक नहीं, बल्कि प्रेरणा बन गई हैं।
इन महिलाओं के साहस को सलाम करें
इनकी कहानियां हमें सिखाती हैं कि ज़िंदगी में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं, असली विजेता वही होता है जो कभी हार नहीं मानता। यह खिलाड़ी हमें यह संदेश देती हैं कि यदि हमारे अंदर जोश और जुनून हो, तो कोई भी मुश्किल हमें अपने लक्ष्य से नहीं भटका सकती।
तो आइए, इन महिलाओं के साहस को सलाम करें और उनसे प्रेरणा लें कि जीवन की हर लड़ाई में हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। हर संघर्ष हमें मजबूत बनाता है, और हर कोशिश हमें जीत की ओर एक कदम और करीब ले जाती है।