गणतंत्र दिवस और बाबा साहेब
बाबा साहेब को संविधान निर्माता, संविधान जनक, या संविधान के शिल्पकार भी कहा जाता है। बाबा साहेब को 29 अगस्त 1947 को संविधान प्रारुप समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया था। 1940 के दशक की सामाजिक व्यवस्था इस प्रकार थी कि अगर संविधान प्रारुप समिति का अध्यक्ष बाबा साहेब नहीं होते तो यकीन मानिए संविधान कुछ और ही होता। अपने समकालीन नेताओं में बाबा साहेब इकलौते ऐसे नेता थे जो भारतीय सामाजिक व्यवस्था की ज़मीनी हकीकत को देखें भी थे और सामाजिक भेदभाव के दर्द को महसूस भी किए थे। सामाजिक व्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में कई बार बाबा साहेब और महात्मा गांधी के बीच वैचारिक मतभेद भी रहे। बाबा साहेब भारतीय सामाजिक व्यवस्था में महिलाओं और दलित पिछड़ों की स्थिति को बहुत करीब से महसूस किए थे और यही कारण था कि वे इन्हें सामाजिक समानता और शिक्षा देने की बात कई बार महात्मा गांधी से किए। महात्मा गांधी भी दलित पिछड़ों को शिक्षा देने की बात पर अपनी सहमति दिए पर साथ ही उनका यह भी मानना था कि दलित जरूर पढ़ें पर काम वही करें जो उन्हें सामाजिक व्यवस्था में दी गई है। इस बात से बाबा साहेब उनसे हमेशा असहमत रहते थे।
संविधान निर्माण
9 दिसंबर, 1946 को संविधान सभा की प्रथम बैठक हुई। जिसमें सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। सभा की दूसरी बैठक में 11 दिसंबर 1946 को राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया। 13 दिसंबर, 1946 को जवाहरलाल नेहरु ने संविधान सभा मेँ उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत कर संविधान निर्माण का कार्य प्रारंभ किया। यह प्रस्ताव संविधान सभा ने 22 जून 1947 को पारित कर दिया। संविधान निर्माण के लिए विभिन्न समितियां, जैसे प्रक्रिया समिति, वार्ता समिति, संचालन समिति कार्य समिति, संविधान समिति, झंडा समिति आदि का निर्माण किया गया। इन सभी समितियों में प्रमुख थी प्रारुप समिति जिसकी गठन 29 अगस्त 1947 को की गई थी और इस समिति के अध्यक्ष के रूप में बाबा साहेब को नियुक्त किया गया था। और इस तरह शुरू हुई संविधान बनाने की प्रक्रिया।
29 अगस्त 1947 को जब बाबा साहेब को संविधान सभा के प्रारुप समिति का अध्यक्ष बनाकर संविधान बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई उस समय बाबा साहेब यह सोचें कि अखंड भारत में सामाजिक संतुलन कैसे बनाएं। और बाबा साहेब जो अपने जीवन में तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था की भेदभाव महसूस किए थे उसे खत्म करने के लिए और सामाजिक संतुलन बनाने के आरक्षण प्रणाली शुरू किए। यह बाबा साहेब की 2 बर्ष 11 माह 17 दिनों के मेहनत का ही फल रहा कि 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूची, 5 परिशिष्ट और 98 संसोधनों के साथ भारत को दुनिया का सबसे बड़ा संविधान मिला।
प्रारूप समिति के अध्यक्ष रुप में बाबा साहेब का चुनाव
बाबा साहेब अपने समकालीन नेताओं में सबसे प्रतिभाशाली और शिक्षित नेता थे इसमें कोई संदेह नहीं है। यही कारण रहा कि बाबा साहेब के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक योग्यता और कानूनी दक्षता के कारण उन्हें संविधान सभा के प्रारुप समिति का अध्यक्ष बनाया गया और उन्हें संविधान बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। संविधान लिखने , अनुच्छेद तथा विभिन्न प्रावधानों को संविधान में जोड़ने से संबंधित बहस में अंतिम निर्णय बाबा साहेब की ही होती थी। संविधान निर्माण में बाबा साहेब दुनिया के विभिन्न देशों के संविधानों के कुछ उपयोगी भागों को विदेशी स्रोत के रूप में संविधान में शामिल किए। जैसे :-
संयुक्त राज्य अमेरिका से मौलिक अधिकार,
ब्रिटेन से संसदात्मक शासन-प्रणाली
आयरलैंड से नीति निदेशक सिद्धांत,
आस्ट्रेलिया से प्रस्तावना की भाषा, समवर्ती सूची का प्रावधान, केंद्र और राज्य के बीच संबंध तथा शक्तियों का विभाजन, संसदीय विशेषाधिकार।
जर्मनी से आपातकाल के प्रवर्तन के दौरान राष्ट्रपति को मौलिक अधिकार संबंधी शक्तियां।
कनाडा से संघात्मक विशेषताएं, अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र के पास।
दक्षिण अफ्रीका से संविधान संशोधन की प्रक्रिया का प्रावधान।
रुस से मौलिक कर्तव्योँ का प्रावधान।
जापान से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया।
स्विट्ज़रलैंड से संविधान की सभी सामाजिक नीतियों के संदर्भ मेँ निदेशक तत्वों का उपबंध।
फ़्रांस से गणतांत्रिक व्यवस्था, आदि।
मौलिक अधिकार
1.समानता का अधिकार
2.स्वतंत्रता का अधिकार
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार
4. धर्म, संस्कृति एवं शिक्षा की स्वतंत्रता का अधिकार
5. संपत्ति का अधिकार
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार
संविधान के उद्देशिका को भारतीय संविधान का हृदय कहेंगे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। उद्देशिका संविधान का संक्षिप्त परिचय है। अन्य शब्दों में उद्देशिका संविधान का सार है, जो संविधान के उद्देश्यों और संविधान के दर्शन को प्रदर्शित करती है।
“हम भारत के लोग, भारत को एक 1सम्पूर्ण प्रभुत्वसंपन्न समाजवादी पंथ निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को: सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और 2राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए।
दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26-11-1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।”
2 वर्ष 11 माह 18 दिनों के लंबे समय के मेहनत के बाद बाबा साहेब दुनिया के सबसे बड़े संविधान का निर्माण किए और 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा को भारत का नया संविधान दिए। जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। 26 नवंबर को संविधान सभा में भारत के नए संविधान को बाबा साहेब संविधान सभा के अध्यक्ष डाॅ राजेंद्र प्रसाद को सौंपे। अब संविधान को लागू करने के लिए एक अच्छा दिन चयन किया गया। 26 जनवरी 1929 को अंग्रेजों की गुलामी के खिलाफ कांग्रेस ने ‘पूर्ण स्वराज’ का नारा दिया था। इसलिए भारतीय इतिहास में 26 जनवरी का बहुत महत्व था और संविधान सभा के सर्वसम्मति से 26 जनवरी 1950 को भारत में ने संविधान को लागू कर दिया जो भारतीय लोकतंत्र को मजबूती प्रदान की। जिसे 26 जनवरी को हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।
Ajeet Kumar Ravi
(University of Delhi)
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