दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) को बड़ा झटका लगा, जब उसके 7 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। पूर्व विधायक राजेश ऋषि ने केजरीवाल पर हिटलर जैसा व्यवहार करने और उनके घर को “टॉर्चर गृह” जैसा बताया। विधायकों ने पार्टी में तानाशाही, भ्रष्टाचार और दलितों के साथ किए गए झूठे वादों को लेकर नाराजगी जताई। रोहित कुमार ने आरोप लगाया कि वाल्मीकि समाज को सिर्फ आश्वासन मिला, जबकि मदन लाल और भूपिंदर सिंह जून ने कहा कि पार्टी अपनी विचारधारा से भटक चुकी है।
दिल्ली में पांच फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी (AAP) को एक बड़ा झटका लगा है, जब पार्टी के सात विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। इन इस्तीफों के बाद विधायकों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। इन आरोपों में पार्टी के संविधान में बदलाव से लेकर दलितों और अन्य पिछड़े वर्गों की उपेक्षा और झूठे वादों का भी जिक्र किया गया।
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इन 7 विधायकों ने छोड़ी पार्टी
- भावना गौड़, पालम
- नरेश यादव, महरौली
- राजेश ऋषि, जनकपुरी
- मदन लाल, कस्तूरबा नगर
- रोहित महरौलिया, त्रिलोकपुरी
- बी एस जून, बिज़वासन
- पवन शर्मा, आदर्श नगर
“केजरीवाल का घर टॉर्चर गृह जैसा”
इस्तीफा देने वाले विधायकों में प्रमुख विधायक राजेश ऋषि ने केजरीवाल की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि केजरीवाल का व्यवहार हिटलर जैसा है और पार्टी के संविधान में बदलाव करने के लिए उनकी तुलना रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से की। राजेश ऋषि ने यह भी कहा कि स्वाति मालीवाल के साथ हुए हमले के बाद पार्टी के नेतृत्व ने कोई सख्त कदम नहीं उठाया, और इस हमले को केजरीवाल के घर में हुआ एक ‘टॉर्चर गृह’ जैसा माहौल बताया। ऋषि ने यह आरोप भी लगाया कि अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के भीतर भी इस तरह का माहौल पैदा किया कि जहां किसी का अपनी आवाज उठाना भी मुश्किल हो गया।
“पार्टी की विचारधारा से भटकाव और भ्रष्टाचार के आरोप”
विधायक रोहित कुमार महरौलिया ने भी इस्तीफा देने के बाद पार्टी की आलोचना करते हुए कहा कि केजरीवाल ने जब सत्ता में आने का वादा किया था, तो उन्होंने वाल्मीकि समाज को आगे बढ़ाने और ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करने का वादा किया था। लेकिन, उनके मुताबिक, इन वादों का कोई असर नहीं हुआ और उनका समाज उम्मीदों के बजाय निराशा का सामना कर रहा है। रोहित ने यह भी कहा कि पार्टी में भ्रष्टाचार की लहर फैल चुकी है और कुछ लोग सत्ता के लालच में पार्टी की विचारधारा से दूर हो गए हैं।
“दलित समाज के लिए झूठे वादे, टिकट कटने पर विरोध”
रोहित कुमार ने बताया कि उन्हें पार्टी में इस उम्मीद से शामिल किया था कि वे अपने समाज के लिए कुछ करेंगे, लेकिन असल में उन्हें सिवाय झूठे वादों के कुछ नहीं मिला। विशेष रूप से उन्होंने दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारियों को नौकरी पक्की करने का दावा करने वाले केजरीवाल के झूठ का जिक्र किया। जब उन्होंने इन कर्मचारियों के नामों की लिस्ट मांगी, तो उनका टिकट काट दिया गया, जिससे उनका गुस्सा और निराशा और बढ़ गई।
“पार्टी नेतृत्व में भ्रष्टाचार और डर का माहौल”
भूपिंदर सिंह जून और मदन लाल ने भी पार्टी से इस्तीफा देते हुए कहा कि पार्टी की विचारधारा अब बिल्कुल बदल चुकी है और पार्टी के आलाकमान में कुछ ऐसे लोग हैं जो पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी में डर का माहौल पैदा किया गया है, जहां छोटे-छोटे मुद्दों पर भी किसी को खुलकर अपनी बात कहने की इजाजत नहीं है।
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“केजरीवाल के नेतृत्व में दलितों और पिछड़ों के अधिकारों का हनन”
इन इस्तीफों और आरोपों से यह स्पष्ट होता है कि आम आदमी पार्टी में पार्टी नेतृत्व के खिलाफ असंतोष और नाराजगी बढ़ रही है। खासकर दलित और पिछड़ा वर्ग के नेता और कार्यकर्ता इस बात से आहत हैं कि अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार ने इन वर्गों के अधिकारों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया है। केजरीवाल ने जो वादे किए थे, उनमें से कोई भी वादा पूरी तरह से पूरा नहीं हुआ, और इसके परिणामस्वरूप दलितों को केवल झूठे आश्वासन और राजनीतिक साजिशों का शिकार बनना पड़ा है।
आखिरकार, जब पार्टी के विधायक और नेता ही पार्टी की नीतियों और नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं, तो आम जनता से यह उम्मीद करना कि वे आम आदमी पार्टी पर विश्वास करेंगे, यह एक बड़ी चुनौती बन जाती है। अगर पार्टी के अंदर ही इस तरह के आरोप और असंतोष है, तो जनता को उम्मीद कैसे दी जा सकती है कि यह पार्टी उनके हितों के लिए काम करेगी, खासकर दलितों और पिछड़ों के लिए, जो हमेशा से राजनीति में अपने हक की लड़ाई लड़ते आए हैं?
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