दिल्लीवालों को डर दिखा रहे केजरीवाल: यूपी में बुलडोजर ऐक्शन का चुनावी फायदा उठाने की कोशिश

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गाजियाबाद में सेना की जमीन पर हुए बुलडोजर ऐक्शन को अरविंद केजरीवाल ने चुनावी मुद्दा बनाते हुए भाजपा पर झुग्गीवासियों को उजाड़ने का आरोप लगाया। हालांकि, यह कार्रवाई रक्षा संपदा विभाग द्वारा अवैध कब्जा हटाने और सेना की फायरिंग रेंज बनाने के लिए की गई थी। केजरीवाल ने इस घटना का डर दिखाकर झुग्गीवासियों को भड़काने और राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की।

गाजियाबाद में सेना की 55 एकड़ जमीन को कब्जामुक्त कराने के लिए दो दिनों तक चला बड़ा बुलडोजर अभियान एक गंभीर कानूनी और सुरक्षा कदम था, जिसे केजरीवाल ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए मुद्दा बनाकर चुनावी माहौल में भुनाने की कोशिश की। अरविंद केजरीवाल ने इस कार्रवाई को भाजपा का गरीब-विरोधी चेहरा दिखाने का प्रयास किया, लेकिन असलियत इससे बिल्कुल उलट थी। यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश सरकार, नगर निगम या भाजपा के किसी एजेंडे का हिस्सा नहीं थी, बल्कि भारतीय सेना की अपनी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए रक्षा संपदा विभाग की कानूनी कार्रवाई थी।

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सेना की जमीन पर अतिक्रमण: 1200 झुग्गियां और 250 पक्के मकान

गाजियाबाद के विजयनगर क्षेत्र में सेना की फायरिंग रेंज के लिए निर्धारित 55 एकड़ जमीन पर लंबे समय से अवैध कब्जा था। यहां 1200 झुग्गियां और 250 पक्के मकान बना लिए गए थे। कुछ लोग इस जमीन का इस्तेमाल कबाड़ के गोदाम, डेयरी संचालन और अन्य व्यवसायिक उद्देश्यों के लिए कर रहे थे। सेना ने बार-बार चेतावनी दी, लेकिन अतिक्रमणकारियों ने अपनी झोपड़ियां और मकान खाली नहीं किए। आखिरकार, रक्षा संपदा विभाग ने कानूनी प्रक्रिया के तहत भारी पुलिस बल की मौजूदगी में इस जमीन को खाली कराया.

केजरीवाल का राजनीतिक प्रोपेगेंडा: झूठे दावे और डर का माहौल

अरविंद केजरीवाल ने इस पूरी घटना को तोड़-मरोड़कर दिल्ली चुनाव में अपनी राजनीति चमकाने के लिए इस्तेमाल किया। उन्होंने वीडियो साझा करते हुए दावा किया कि भाजपा गरीबों की झुग्गियों को तोड़ने की साजिश रच रही है। केजरीवाल ने कहा, “बीजेपी गरीबों की दुश्मन है। अगर दिल्ली में उनकी सरकार बनी, तो झुग्गीवासियों को बेघर कर दिया जाएगा।” यह बयान पूरी तरह से झूठ और भ्रामक था, क्योंकि गाजियाबाद में हुई कार्रवाई का भाजपा या उत्तर प्रदेश सरकार से कोई लेना-देना नहीं था। यह पूरी तरह से सेना की अपनी संपत्ति पर कब्जा हटाने का मामला था।

अतिक्रमण हटाने की कानूनी प्रक्रिया और सेना का फायरिंग रेंज प्रस्ताव

रक्षा संपदा कार्यालय के एसडीओ वीके गुप्ता ने स्पष्ट किया कि यह जमीन सेना के अभिलेखों में फायरिंग रेंज के लिए दर्ज है। जमीन पर अतिक्रमण से न केवल सुरक्षा जोखिम था, बल्कि सेना के ऑपरेशनों में भी बाधा उत्पन्न हो रही थी। जमीन पर डेयरियां, गोदाम, और झोपड़ियों के कारण गंदगी और अव्यवस्था फैल चुकी थी। इसीलिए, सेना ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया।

केजरीवाल का आरोप: झुग्गीवासियों को भड़काने की कोशिश

दिल्ली में झुग्गीवासियों का एक बड़ा वोट बैंक है, जिसे लुभाने के लिए केजरीवाल ने इस कार्रवाई को गरीब विरोधी और भाजपा की साजिश बताने का प्रयास किया। उनका यह बयान न केवल भ्रामक था, बल्कि झुग्गीवासियों में अनावश्यक भय पैदा करने का प्रयास था। “जहां झुग्गी, वहां मकान” का नारा देने वाले केजरीवाल ने कभी यह नहीं बताया कि उन्होंने खुद दिल्ली में झुग्गीवासियों के लिए कितने मकान बनाए हैं। उनकी राजनीति केवल डर और भावनाओं पर आधारित रही है।

वास्तविकता: सेना की सुरक्षा और संपत्ति की रक्षा

गाजियाबाद में हुई कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया कि यह केवल सेना की संपत्ति की रक्षा के लिए उठाया गया कदम था। यह कोई राजनीतिक कदम नहीं था, जैसा कि केजरीवाल ने दावा किया। सेना ने यह सुनिश्चित किया कि कार्रवाई के दौरान किसी को चोट न पहुंचे और क्षेत्र को पूरी तरह से कब्जामुक्त कराया जाए।

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चुनावी राजनीति बनाम वास्तविकता

केजरीवाल ने इस मुद्दे को बेवजह तूल देकर चुनावी राजनीति का हिस्सा बना दिया। उन्होंने गरीबों की भावनाओं से खेलते हुए भाजपा पर आरोप लगाए, जबकि सच्चाई यह थी कि यह कार्रवाई अतिक्रमण हटाने और सेना की संपत्ति की सुरक्षा के लिए की गई थी। उनका यह रवैया न केवल भ्रामक था, बल्कि इसे उनकी राजनीति का एक नकारात्मक पहलू भी माना जा सकता है।

अंततः, इस घटना ने दिखा दिया कि केजरीवाल और उनकी पार्टी जनता को गुमराह करने के लिए किसी भी मुद्दे का इस्तेमाल कर सकती है। लेकिन, जनता को सचेत रहना चाहिए और तथ्यों को समझने की कोशिश करनी चाहिए। सेना की जमीन पर अतिक्रमण करना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा है। ऐसे में केजरीवाल का इस मुद्दे का राजनीतिकरण करना केवल वोट पाने की कोशिश के अलावा कुछ नहीं।

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