झारखंड विधानसभा चुनाव: JLKM ने कैसे बदला समीकरण? पलट दी सारी बाजी

Share News:

झारखंड चुनाव में JLKM ने तीसरी शक्ति के रूप में उभरते हुए सत्ताधारी गठबंधन और एनडीए के वोट बैंक को प्रभावित किया, कई सीटों पर हार-जीत का अंतर कम किया और भविष्य की राजनीति के लिए नए समीकरण तैयार किए।

झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों ने राज्य की राजनीति में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। JLKM (झारखंड लोक क्रांति मोर्चा) के प्रदर्शन ने न सिर्फ गठबंधन राजनीति को प्रभावित किया, बल्कि यह भी दिखाया कि राज्य में तीसरी शक्ति के रूप में उभरती पार्टियां कितना बड़ा अंतर ला सकती हैं। इस चुनाव में JLKM ने 17 से अधिक सीटों पर मजबूत प्रदर्शन किया, जबकि एक सीट पर जीत भी दर्ज की। इसने यह स्पष्ट कर दिया कि JLKM का प्रभाव विपक्ष और सत्ताधारी गठबंधन दोनों पर पड़ा है।

बसपा प्रमुख मायावती का बड़ा ऐलान: उपचुनाव से दूरी, EVM पर उठाए गंभीर सवाल

JLKM की एंट्री: क्या बदला समीकरण?

JLKM का यह चुनावी प्रदर्शन अप्रत्याशित था। ईचागढ़, जुगसलाई, तमाड़, खरसावां और सिल्ली जैसी सीटों पर तीसरे स्थान पर रहते हुए भी JLKM ने 25,000 से 40,000 तक वोट हासिल किए। यह सीधे-सीधे JMM और कांग्रेस जैसे सत्ताधारी दलों को नुकसान पहुंचाने वाला साबित हुआ।

उदाहरण के तौर पर:

ईचागढ़: JMM को 57,125 वोट मिले, लेकिन JLKM ने 38,974 वोट पाकर आजसू की जीत को प्रभावित किया।

जुगसलाई: JMM की जीत के बावजूद JLKM के 36,698 वोट ने विपक्ष के समीकरण को उलझा दिया।

इन सीटों पर JLKM की मौजूदगी ने यह दिखा दिया कि झारखंड के मतदाता अब दो-ध्रुवीय राजनीति से बाहर निकलकर तीसरे विकल्प की तलाश कर रहे हैं।

गठबंधन पर JLKM का प्रभाव

JLKM का प्रभाव केवल सीटों तक सीमित नहीं रहा। रामगढ़, चंदनक्यारी, गोमिया, और बेरमो जैसी सीटों पर JLKM ने JMM और कांग्रेस के गठबंधन के लिए मुश्किलें खड़ी कीं। रामगढ़ में कांग्रेस और आजसू के बीच कांटे की टक्कर के बावजूद JLKM के 70,979 वोट ने सत्ता समीकरण को प्रभावित किया। इसी तरह:

चंदनक्यारी: JLKM ने 56,294 वोट हासिल कर JMM को बढ़त दी।

गोमिया: JLKM ने 59,077 वोट पाकर JMM की जीत को सुनिश्चित किया।

इन सीटों के परिणामों से यह साफ हुआ कि JLKM का प्रभाव विपक्षी गठबंधन के लिए जितना सकारात्मक रहा, उतना ही नकारात्मक असर एनडीए पर भी पड़ा।

हार का कारण: एनडीए के लिए चेतावनी

बीजेपी और आजसू गठबंधन की हार का सबसे बड़ा कारण JLKM का उभरना रहा। JLKM ने ऐसे क्षेत्रों में भी मजबूत प्रदर्शन किया, जहां पारंपरिक रूप से बीजेपी मजबूत थी।

मांडू: यहां आजसू ने 89,945 वोट पाकर जीत दर्ज की, लेकिन JLKM के 70,696 वोटों ने कांग्रेस को मजबूत किया। हार-जीत का अंतर केवल 231 वोट रहा।

लातेहार: बीजेपी ने 98,062 वोट से जीत दर्ज की, लेकिन JLKM ने 4,235 वोट पाकर JMM को मजबूत किया। हार का अंतर केवल 434 वोट था।

इन सीटों पर JLKM की भूमिका ने यह स्पष्ट कर दिया कि एनडीए को अपने मतदाताओं को एकजुट करने में असफलता का सामना करना पड़ा।

JLKM के वोटबैंक का विश्लेषण

एक दिलचस्प तथ्य यह है कि JLKM का वोटबैंक एनडीए से जुड़ा माना जा रहा है। 90% वोट बीजेपी और आजसू गठबंधन से खिसककर JLKM के खाते में गया। यह साफ संकेत देता है कि JLKM की नीतियों और नेतृत्व ने एनडीए समर्थकों को आकर्षित किया।

Politics : लोकसभा के बाद उप-चुनावों में बसपा का कमजोर प्रदर्शन, वोट बैंक खिसकने की क्या रही बड़ी वजह..जानिए

आगे की राजनीति: JLKM के उभार का संदेश

JLKM के उभार ने झारखंड की राजनीति में नए समीकरण तैयार किए हैं। यह न केवल सत्ता पक्ष बल्कि विपक्षी दलों के लिए भी चेतावनी है कि राज्य की जनता अब विकल्प चाहती है। JLKM का प्रदर्शन बताता है कि तीसरी शक्ति अब केवल वोट कटवा नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका में आ सकती है।

इस चुनाव के नतीजे झारखंड में भविष्य की राजनीति के लिए कई सबक लेकर आए हैं। एक ओर, एनडीए को आत्मविश्लेषण करने की जरूरत है, वहीं JMM और कांग्रेस गठबंधन को भी यह समझने की आवश्यकता है कि JLKM का उभार उनकी जीत को कितनी मुश्किल बना सकता है।

*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *

महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।

  Donate

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *