यूपी में 9 विधानसभा सीटों के उपचुनावों में बसपा की करारी हार के बाद पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने ईवीएम से फर्जी वोटिंग का मुद्दा उठाया। इन चुनावों में भाजपा ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की, सपा को 2 सीटें मिलीं और एक सीट रालोद के खाते में गई, लेकिन बसपा को एक भी सीट नहीं मिली।
यूपी में हाल ही में हुए 9 विधानसभा सीटों के उपचुनावों में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की करारी हार के बाद पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने हार का ठीकरा ईवीएम और फर्जी वोटिंग पर फोड़ा है। इन चुनावों में भाजपा ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की, सपा को 2 सीटें मिलीं और एक सीट रालोद के खाते में गई, लेकिन बसपा को एक भी सीट नहीं मिली। इस प्रदर्शन से नाराज बसपा प्रमुख मायावती ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान किया कि उनकी पार्टी देश में तब तक कोई उपचुनाव नहीं लड़ेगी जब तक चुनाव आयोग फर्जी वोटिंग को रोकने के लिए सख्त कदम नहीं उठाता। मायावती ने चुनाव आयोग से अपील की कि वह ईवीएम के जरिए हो रही फर्जी वोटिंग पर तुरंत कार्रवाई करे। उनका कहना है कि ईवीएम के माध्यम से लोकतंत्र की जड़ें कमजोर हो रही हैं और इससे जनता का चुनावी प्रक्रिया से विश्वास उठता जा रहा है।
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“जातिवादी राजनीति का शिकार हो रहे दलित”: मायावती
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बसपा प्रमुख मायावती ने भाजपा और कांग्रेस दोनों पर निशाना साधते हुए उन्हें जातिवादी पार्टी करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि ये पार्टियां दलितों के हकों को कुचलने के लिए साजिश कर रही हैं और छोटी-छोटी पार्टियों को खड़ा कर वोटों का बंटवारा करवा रही हैं।बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, “उपचुनावों में हमने देखा कि दलितों के नाम पर बनी पार्टियां हमारे वोट काटने का काम कर रही हैं। ये पार्टियां दलित समाज को बांटने की साजिश रच रही हैं, ताकि बहुजन समाज पार्टी कमजोर हो सके।”
“बैलेट पेपर से लेकर ईवीएम तक फर्जीवाड़ा”
मायावती ने पुराने चुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि पहले बैलेट पेपर के जरिए सत्ता का दुरुपयोग कर फर्जी वोट डाले जाते थे और अब यह काम ईवीएम के माध्यम से किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “लोकसभा चुनाव, विधानसभा चुनाव और उपचुनावों में खुलकर ईवीएम का दुरुपयोग हो रहा है। यह लोकतंत्र के लिए बहुत चिंता का विषय है। चुनाव आयोग को इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान देना चाहिए और ठोस कदम उठाने चाहिए।”
उपचुनावों से दूरी लेकिन बड़ी तैयारी का दावा
मायावती ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी देश में लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव पूरी तैयारी और दमदारी के साथ लड़ेगी। लेकिन, उपचुनावों में तब तक हिस्सा नहीं लेगी जब तक चुनाव आयोग फर्जी वोटिंग पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाता। उन्होंने कहा, “बसपा का उद्देश्य सत्ता पाना नहीं बल्कि समाज के हर वर्ग को न्याय दिलाना है। लेकिन जब चुनाव प्रक्रिया ही निष्पक्ष न हो तो लड़ाई लड़ने का कोई अर्थ नहीं रह जाता।”
संभल विवाद पर प्रशासन को ठहराया जिम्मेदार
संभल में मस्जिद सर्वे के दौरान हुए बवाल पर मायावती ने कहा कि इसके लिए पूरी तरह प्रशासन जिम्मेदार है। उन्होंने कहा, “शासन और प्रशासन को दोनों पक्षों से बातचीत कर समस्या का समाधान निकालना चाहिए था, लेकिन उनकी विफलता के कारण हालात बिगड़े। मैं अपील करती हूं कि संभल के लोग शांति व्यवस्था बनाए रखें और किसी भी तरह की उकसावे वाली कार्रवाई से बचें।”
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बसपा की नई रणनीति: जनाधार बढ़ाने पर जोर
मायावती ने अंत में कहा कि उनकी पार्टी अब जनाधार बढ़ाने और दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को जागरूक करने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाएगी। उन्होंने कहा, “बसपा की लड़ाई सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक न्याय की है। हम हर स्तर पर संघर्ष करेंगे और समाज के हर वर्ग को जोड़कर बहुजन समाज पार्टी को और मजबूत बनाएंगे।”
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