डॉ. एमसी आर्य को भारतीय दलित साहित्य अकादमी ने “डॉ. बीआर आंबेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान” से सम्मानित किया। उन्होंने वंचित वर्गों की समानता और शिक्षा के माध्यम से सशक्तिकरण के लिए विशेष योगदान दिया है। डॉ. आर्य का मानना है कि समान अवसर मिलने पर वंचित समुदाय समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उनका जीवन और कार्य युवाओं के लिए प्रेरणा हैं।
UK News: भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा डॉ. एमसी आर्य को “डॉ. बीआर आंबेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान” से सम्मानित किया गया है। यह प्रतिष्ठित सम्मान उन्हें 8 दिसंबर को दिल्ली में आयोजित 40वें राष्ट्रीय दलित साहित्यकार सम्मेलन में प्रदान किया गया। डॉ. आर्य, जो उत्तराखंड के सितारगंज स्थित राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में इतिहास विभाग के सहायक प्रोफेसर हैं, अपने उत्कृष्ट शैक्षणिक योगदान और सामाजिक सरोकारों के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते हैं।
सामाजिक समानता की दिशा में डॉ. आर्य का योगदान
डॉ. आर्य का मानना है कि वंचित वर्गों को समान अवसर और सम्मान मिलने पर न केवल उनकी सामाजिक पहचान स्थापित होती है, बल्कि वे समाज के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने अपने शिक्षण कार्य के माध्यम से छात्रों में सामाजिक न्याय और समानता के मूल्यों को आत्मसात करने का प्रयास किया है। उन्होंने कई शोध पत्र लिखे हैं, जो वंचित समुदायों के इतिहास, संस्कृति, और उनके अधिकारों को उजागर करते हैं। उनका मानना है कि शिक्षा वह साधन है, जिससे समाज के हर वर्ग को सशक्त बनाया जा सकता है।
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प्रेरणा बनकर उभरे डॉ. आर्य
सम्मान प्राप्त करने के बाद डॉ. आर्य ने कहा, “यह सम्मान केवल मेरा नहीं है, बल्कि उन सभी व्यक्तियों का है, जिन्होंने समाज में बदलाव लाने और समानता के विचारों को बढ़ावा देने के लिए संघर्ष किया है।” उनका यह बयान न केवल उनकी विनम्रता को दर्शाता है, बल्कि उनके विचारों की गहराई को भी उजागर करता है। डॉ. आर्य के इस योगदान ने उन्हें न केवल एक शिक्षाविद के रूप में, बल्कि एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में स्थापित कर दिया है।
डॉ. आंबेडकर के आदर्शों से प्रेरित यात्रा
डॉ. आर्य ने अपनी सफलता का श्रेय डॉ. बीआर आंबेडकर के विचारों और उनकी प्रेरणा को दिया। उन्होंने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने समाज के वंचित वर्गों को शिक्षा, समानता, और आत्म-सम्मान का महत्व समझाया। डॉ. आर्य ने अपने जीवन में इन आदर्शों को अपनाते हुए शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छुआ। वे अपने छात्रों को केवल पाठ्यपुस्तकों की सीमित जानकारी तक नहीं रखते, बल्कि उन्हें सामाजिक न्याय और समानता के प्रति जागरूक भी करते हैं।
शिक्षा के माध्यम से सामाजिक सुधार
डॉ. आर्य का मानना है कि शिक्षा वह सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। उन्होंने अपने करियर में उन छात्रों को प्रोत्साहित किया, जो समाज के हाशिये पर खड़े थे। उन्होंने अपने छात्रों को सिखाया कि कठिन परिश्रम और दृढ़ संकल्प से कोई भी बाधा पार की जा सकती है। उनके मार्गदर्शन में कई छात्र उच्च पदों पर आसीन हुए और समाज के लिए प्रेरणा बने।
सम्मान समाज के हर वर्ग का
डॉ. आर्य का यह सम्मान उन लाखों वंचित लोगों के लिए एक प्रेरणा है, जो समान अवसरों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने साबित किया है कि यदि किसी को सही दिशा, समर्थन, और प्रेरणा मिले, तो वह न केवल अपने सपनों को साकार कर सकता है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव भी ला सकता है। उनका जीवन इस बात का प्रतीक है कि शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से वंचित वर्ग समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकते हैं।
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डॉ. एमसी आर्य की यह उपलब्धि न केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग को प्रेरित करती है कि कठिनाइयों को अवसर में बदलकर असंभव को संभव बनाया जा सकता है। उनकी कहानी आज के युवाओं के लिए एक मार्गदर्शक है, जो दिखाती है कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
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