गुजरात के महिसागर जिले में IAS नेहा कुमारी ने सरकारी कार्यक्रम में दलित युवक विजय परमार पर अपमानजनक जातिवादी टिप्पणी की, जिससे दलित संगठनों में आक्रोश फैल गया है। संगठनों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर नेहा कुमारी की गिरफ्तारी और नौकरी से बर्खास्तगी की मांग की है, ताकि जातिवादी सोच रखने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई हो सके।
Gujarat News: गुजरात के महिसागर जिले में 23 अक्टूबर को सरकारी कार्यक्रम के दौरान कलेक्टर नेहा कुमारी (IAS) ने एक दलित युवक विजय परमार को अपमानित किया, जिससे दलित समाज और सामाजिक संगठनों में आक्रोश फैल गया। सरकारी मंच पर, नेहा कुमारी ने विजय परमार के प्रति अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा, “चप्पल से मारने के लायक है, हरामी साला।” इसके अलावा, उन्होंने वकीलों के बारे में भी अनुचित शब्दों का प्रयोग किया, जिसमें उन्होंने कहा कि “वकीली में चप्पल से मार खाने का काम करते हैं।”
इस घटना में उन्होंने जातिगत भेदभाव और नफरत को खुले तौर पर प्रकट करते हुए दलित समुदाय की ओर घृणा का प्रदर्शन किया। उन्होंने यह भी कहा कि 90 प्रतिशत अत्याचार के मामले ब्लैकमेल के लिए दर्ज किए जाते हैं। उनकी इस टिप्पणी ने न सिर्फ दलित युवक को अपमानित किया बल्कि पूरे दलित समाज के स्वाभिमान और अधिकारों पर चोट पहुंचाई।
राष्ट्रपति को पत्र: दलित संगठनों ने की गिरफ्तारी और FIR दर्ज करने की मांग
घटना के बाद, सामाजिक संगठनों और दलित अधिकार संगठनों ने कलेक्टर नेहा कुमारी की तत्काल गिरफ्तारी और नौकरी से बर्खास्तगी की मांग की है। इसके लिए समाज के वरिष्ठ नेताओं, वकीलों और जनप्रतिनिधियों ने महामहिम राष्ट्रपति को पत्र लिखकर नेहा कुमारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। पत्र में उन्होंने मांग की है कि नेहा कुमारी पर एट्रोसिटी एक्ट के तहत FIR दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए। साथ ही, उन्होंने राष्ट्रपति से निवेदन किया है कि ऐसे जातिवादी मानसिकता रखने वाले अधिकारियों को सरकारी सेवाओं से हमेशा के लिए बर्खास्त किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी किसी समुदाय के प्रति इस तरह का अपमानजनक व्यवहार न कर सके।
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मंच से अपमान: सरकारी कार्यक्रम में दलित युवक पर अपमानजनक टिप्पणी
इस मामले ने जातिवाद और दलित अत्याचार के मुद्दों को फिर से उजागर कर दिया है। लोगों का कहना है कि इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि समाज में जातिगत भेदभाव अब भी गहरी जड़ें जमाए हुए है। कई सामाजिक संगठनों का मानना है कि जब एक उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी खुले मंच पर इस प्रकार के अपमानजनक शब्दों का प्रयोग कर सकता है, तो समाज के निचले वर्ग के लोगों को न्याय कैसे मिलेगा।
इस मामले को लेकर दलित संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि नेहा कुमारी का व्यवहार न सिर्फ उनके जातिवादी मानसिकता का परिचायक है, बल्कि यह देश के कानून और सामाजिक समानता के मूल्यों का भी अपमान है। इस मामले में अगर त्वरित और कठोर कार्रवाई नहीं होती है, तो समाज में गलत संदेश जाएगा।
इस मुद्दे पर विभिन्न सामाजिक संगठनों और दलित अधिकार संगठनों ने विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। वे चाहते हैं कि नेहा कुमारी को उनके बयान के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए, और अगर ऐसा नहीं होता, तो उन्हें उनके पद से हटा देना चाहिए।
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