रविवार 17 मार्च को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में मामूली सी कहासुनी पर एक हेड कॉन्स्टेबल ने दलित शिक्षक को गोलियों से भून दिया। घटना मुजफ्फरनगर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र के एसडी इंटर कॉलेज के पास हुई, जो मुजफ्फरनगर एसएसपी आवास से केवल 50 मीटर की दूरी पर है। जानकारी के मुताबिक दलित शिक्षक की मौके पर ही मौत हो गयी थी। वहीं जब घायल शिक्षक को अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टरों ने भी उसे मृत घोषित कर दिया था। बहरहाल घटना के संबंध में पीड़ित परिवार को 25 लाख का मुआवजा देने की बात कही गयी है। लेकिन प्रशासन के इस फैसले से लोग खुश नहीं है और सवाल उठा रहे हैं।
क्या था पूरी घटना :
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रविवार 17 मार्च को हाईस्कूल की उत्तर पुस्तिका लेकर सहायक शिक्षक धर्मेंद्र कुमार वाराणसी से मुजफ्फरनगर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र के एसडी इंटर कॉलेज जांच के लिए लेकर आए थे। इस दौरान उनके साथ हेडकॉन्स्टेबल चंद्र प्रकाश उनकी सुरक्षा में मौजूद था। साथ ही दरोगा नागेंद्र चौहान, चंदौली के गांव बैराठ निवासी सहायक अध्यापक धर्मेंद्र कुमार, अध्यापक संतोष कुमार व कर्मचारी जितेंद्र मौर्य, कृष्णकांत, डीसीएम ड्राइवर साधू यादव भी कार में मौजूद थे। रात करीब 2 बजे सभी इंटर कॉलेज पहुंचे थे। रविवार होने के चलते कॉलेज का गेट बंद था इसलिए सभी डीसीएम खड़ी करके उसमें आराम करने लगे।
तंबाकु न देने पर हेड कॉन्स्टेबल ने चलाई गोलियाँ :
जानकारी के मुताबिक इस दौरान हेड कॉन्स्टेबल ने शिक्षक से तंबाकु मांगा लेकिन शिक्षक ने मना कर दिया। शिक्षक ने कहा कि उसके पास तंबाकु नहीं है लेकिन फिर भी हेडकॉन्स्टेबल लगातार उससे तंबाकू मांगता रहा। काफी देर इस कहासुनी के बाद हेडकॉन्स्टेबल चंद्र प्रकाश ने खीज कर शिक्षक पर अपनी कारवाइन से गोलियां चला दी। शिक्षक को कई गोलियां लगने की बात कही जा रही है। आवाज सुनकर बस अड्डे पर ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मी पहुंचे और घायल को जिला अस्पताल ले गए। जहाँ डॉक्टरों ने शिक्षक को मृत घोषित कर दिया।
शिक्षकों ने दिया धरना :
इस घटना के बाद जिले के सभी शिक्षकों ने उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार कर दिया। साथ ही सरकुलर रोड पर धरना-प्रदर्शन करने लगे। इस घटना में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी पहुंचे और इसके बाद प्रदेश के कई अन्य जगहों पर भी विरोध होने लगा। शिक्षकों की मांग पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने प्रशासन को आर्थिक सहायता के लिए पत्र भेजा जिसके बाद पीड़ित परिवार को 25 लाख रुपए का मुआवजा देने की बात स्वीकृत कि गयी। जिसके बाद सभी शिक्षकों ने धरना- प्रदर्शन बंद कर दिया।
25 लाख का मुआवजा काफी है ?
सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि, लगता है उत्तर प्रदेश में मुआवजा भी जाति देखकर तय किया जा रहा है मुजफ्फरनगर में दलित शिक्षक की उसकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षा गार्ड ने जघन्य हत्या कर दी जिसे मुआवजा मात्र 25 लाख दिया गाय। ऐसी ही घटना जब लखनऊ में हुई थी जो मुआवजे में एक करोड़ दिया गया था। दलितों को न सही मुआवजा मिलेगा न ही इंसाफ मिलेगा। यही है उत्तर प्रदेश में सरकार की गारंटी।
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