ग्रेटर नोएडा के भीकनपुर गांव में ट्रैक्टर निकालने के विवाद में दलित समुदाय पर हमला हुआ, जिसमें गोलीबारी और पथराव के दौरान एक युवक की मौत हो गई और तीन घायल हो गए। घटना ने जातीय तनाव को भड़काया, जिससे ग्रामीणों ने पुलिस पर लापरवाही और पक्षपात के आरोप लगाते हुए कोतवाली का घेराव किया। पुलिस ने मुठभेड़ के बाद तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया।
ग्रेटर नोएडा के भीकनपुर गांव में शुक्रवार की सुबह जातीय हिंसा का ऐसा दर्दनाक दृश्य सामने आया जिसने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया। ट्रैक्टर निकालने के मामूली विवाद ने खूनी संघर्ष का रूप ले लिया, जिसमें दलित पक्ष के लोगों पर जानलेवा हमला किया गया। इस झगड़े में एक युवक की मौत हो गई और कई घायल हो गए। गांव में जातीय तनाव की यह आग पिछले एक साल से सुलग रही थी और अब इसने हिंसक रूप ले लिया है।
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कैसे शुरू हुआ विवाद?
घटना की शुरुआत शुक्रवार सुबह हुई, जब दलित शीशपाल ट्रैक्टर लेकर खेत जा रहे थे। रास्ते में दूसरी जाति के व्यक्ति की गाड़ी खड़ी थी। शीशपाल ने गाड़ी हटाने को कहा, तो बात बिगड़ गई। शीशपाल के पिता विजयपाल ने जब बीच-बचाव किया, तो उनके सिर पर लोहे की रॉड से हमला कर दिया गया। इसके बाद, हमलावरों ने गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें कमल, शनि और शरबती घायल हो गए। अस्पताल ले जाते समय कमल ने दम तोड़ दिया।
घंटों चला हंगामा, गांव में तनाव
घटना के बाद दलित समाज के लोगों ने रबूपुरा कोतवाली का घेराव किया। पांच घंटे तक प्रदर्शन चलता रहा। पुलिस पर लापरवाही और आरोपियों को बचाने के गंभीर आरोप लगाए गए। ग्रामीणों का कहना था कि पुलिस ने पहले पकड़े गए हमलावरों को रास्ते में छोड़ दिया और घायलों को तड़पता छोड़ उनकी शिकायत भी दर्ज नहीं की। मामले की गंभीरता को देखते हुए अपर पुलिस आयुक्त शिवहरि मीणा ने गांव पहुंचकर कार्रवाई का आश्वासन दिया।
जातीय तनाव की पृष्ठभूमि
भीकनपुर गांव में जातीय तनाव नया नहीं है। पिछले साल भी दलित युवक ललित की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। उस घटना के बाद से दोनों पक्षों के बीच रंजिश चल रही थी, जो इस बार और भड़क उठी। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले एक साल से पुलिस और प्रशासन की अनदेखी के कारण गांव में हिंसा की यह चिंगारी ज्वाला में बदल गई।
शव गांव पहुंचते ही भड़का गुस्सा
रात को मृतक कमल का शव गांव पहुंचा, तो लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। दलित समाज के लोगों ने आरोपियों के घर पर हमला करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने किसी तरह स्थिति को काबू में किया। मृतक परिवार ने आर्थिक सहायता की मांग की, जिसे प्रशासन ने स्वीकार किया।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
इस घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं, जिनमें हमलावर छतों पर चढ़कर पथराव और गोलीबारी करते नजर आ रहे हैं। यह वीडियो गांव के माहौल में छिपी जातीय हिंसा की तस्वीर को उजागर करते हैं।
राजनीतिक हस्तक्षेप और बयानबाजी
घटना के बाद राजनीतिक नेताओं ने इसे गंभीरता से लिया। बसपा प्रमुख मायावती और भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद ने सोशल मीडिया पर सरकार से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने पीड़ित परिवार के लिए न्याय और घायलों के इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करने की अपील की।
पुलिस की कार्रवाई
मामले में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया। अन्य आरोपियों की तलाश जारी है। पुलिस ने गांव में शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया है। हालांकि, ग्रामीण अभी भी न्याय की गुहार लगा रहे हैं और पुलिस पर आरोपियों के साथ मिलीभगत का आरोप लगा रहे हैं।
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गांव में छाई सन्नाटा और तनाव की स्थिति
इस पूरी घटना ने गांव के लोगों को भयभीत कर दिया है। दलित समाज के लोग असुरक्षा और भेदभाव का शिकार महसूस कर रहे हैं। गांव में सन्नाटा पसरा है और हर कोई सहमा हुआ है। प्रशासन पर इस समय बड़ी जिम्मेदारी है कि वह न केवल शांति स्थापित करे, बल्कि पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए।
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