हजारों की संख्या में लगभग एक महीना से रेज़िडेंट डॉक्टरों का धरना चालु है नीट पीजी काउंसलिंग में देरी को लेकर डॉक्टरों की हड़ताल बुधवार को भी जारी रहा। बीते 12 दिन से डॉक्टर स्वास्थ्य सेवाएं छोड़ सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन मंगलवार को इनकी हड़ताल का सबसे बड़ा असर देखने को मिला। दिन भर रोते बिलखते मरीज कभी एक तो कभी दूसरे अस्पताल के चक्कर लगाते रहे लेकिन ज्यादातर अस्पतालों में उन्हें गेट ही बंद मिले। रेज़िडेंट डॉक्टरों का कहना हैं कि मांगे पूरी नहीं होने तक ज़ारी रहेगा प्रदर्शन।
FORDA की बैठक में रेजिडेंट डॉक्टर्स ने हड़ताल जारी रखने का फैसला लिया है। यह जानकारी SRDA महासचिव अनुज अग्रवाल ने दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने फोर्डा के सदस्यों कर मामले को हल करने की कोशिश की स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात के बाद फोर्डा के सदस्य डॉ.मनीष ने कहा कि उन्होंने भरोसा दिया गया है कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान काउंसलिंग की तारीख जल्द आ जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि स्वास्थ्य मंत्री ने दिल्ली पुलिस की तरफ से माफी मांगी है। उन्होंने पुलिस के लाठीचार्ज पर दुख जताया। हालांकि पुलिस कह रही थी कि उसने डॉक्टर्स के साथ मारपीट नहीं की हैं।
पूर्वी दिल्ली के चाचा नेहरु अस्पताल में सुबह से ही मरीजों के लिए मुख्य द्वार तक बंद कर दिए गए। जबकि देर रात तक लोकनायक अस्पताल की इमरजेंसी में कोई डॉक्टर नहीं मिला। दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के विरोध में राजधानी के लगभग सभी सरकारी अस्पताल एकजुट हो गए। सुबह से ही अलग अलग अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर जाने लगे और कई अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं तक नहीं चलने दी गईं। सफदरजंग अस्पताल, आरएमएल, लोकनायक, जीटीबी, डीडीयू, रोहिणी स्थित बाबा भीमराव आंबेडकर अस्पताल इत्यादि जगहों पर स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित रहीं।
गौरतलब है कि नीट-पीजी 2021 काउंसलिंग में देरी को लेकर दिल्ली में बड़ी संख्या में रेजिडेंट डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी दौरान सोमवार को सड़क पर पुलिस और डॉक्टरों के बीच झड़प हो गई. दोनों पक्षों का दावा है कि उनकी ओर से कई लोग घायल हुए हैं. जिस पर रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपना आंदोलन तेज करते हुए सोमवार को सांकेतिक रूप से अपने ‘एप्रन’ लौटा दिए और सड़कों पर मार्च निकाला जिसके बाद उनका प्रदर्शन मंगलवार को भी जारी रहा।
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