मध्य प्रदेश में 5 गाड़ियों में सवार 30 हमलावरों ने बंदूक, तलवार और लाठियों से लैस होकर एक दलित परिवार पर हमला कर दिया। इस हमले में 42 वर्षीय महिला गीता बाई की गोली लगने से मौत हो गई, जबकि परिवार के चार अन्य सदस्य गंभीर रूप से घायल हो गए। हमले की वजह जमीन विवाद बताई जा रही है। घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने शव रखकर चक्काजाम किया और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की।
MP: मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में जातीय हिंसा का खौफनाक चेहरा सामने आया है, जहां पांच गाड़ियों में सवार होकर आए करीब 30 लोगों ने एक दलित परिवार पर जानलेवा हमला कर दिया। हमलावर बंदूक, तलवार और लाठियों से लैस थे। उन्होंने घर पर धावा बोलते हुए अंधाधुंध फायरिंग की, जिसमें 42 वर्षीय गीता बाई नामक महिला की गोली लगने से मौके पर ही मौत हो गई। वहीं, परिवार के चार अन्य सदस्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना इलाके में दहशत और आक्रोश का कारण बन गई है।
देर रात घर पर हमला, जान बचाने का कोई मौका नहीं
रविवार रात को दलित परिवार के घर पर हमला हुआ। हमलावरों ने पहले घर को चारों ओर से घेर लिया और फिर अचानक हमला शुरू कर दिया। परिवार ने अपनी जान बचाने की कोशिश की, लेकिन हथियारों से लैस हमलावरों ने उन्हें कोई मौका नहीं दिया। गीता बाई, जो हमले के दौरान घर के अंदर थीं, उन्हें निशाना बनाकर गोली मारी गई।
घटना के पीछे की वजह
परिजनों का आरोप है कि यह हमला गांव के दबंग समुदाय द्वारा किया गया, जो लंबे समय से उनकी जमीन और संपत्ति पर कब्जा करना चाहते थे। परिवार ने इस बारे में पुलिस में कई बार शिकायत की थी, लेकिन उनकी शिकायतों को अनदेखा कर दिया गया। यह हमला उसी रंजिश का नतीजा है।
घायलों की हालत गंभीर
हमले में घायल हुए चार अन्य लोगों में एक 12 वर्षीय बच्ची भी शामिल है। सभी घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। डॉक्टरों ने बताया कि घायलों में दो लोगों को गोली लगी है, जबकि अन्य को तलवार और लाठियों से चोटें आई हैं।
ग्रामीणों का प्रदर्शन और चक्काजाम
शव रखकर सड़क पर विरोध, आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग
घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों और परिजनों ने मृतक गीता बाई का शव सड़क पर रखकर चक्काजाम कर दिया। उन्होंने आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी और दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की। प्रदर्शन के कारण मुख्य सड़क पर यातायात पूरी तरह ठप हो गया। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर समय रहते उनकी शिकायतों पर कार्रवाई होती, तो यह घटना टाली जा सकती थी।
प्रशासन का रवैया और जांच के आदेश
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। एसपी ने घटना की जांच के लिए एक विशेष टीम गठित करने और आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया। हालांकि, ग्रामीण तब तक शांत नहीं हुए, जब तक प्रशासन ने लिखित में उनकी सभी मांगों को स्वीकार नहीं किया।
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दलितों के प्रति बढ़ती हिंसा, प्रशासन की नाकामी उजागर
इस घटना ने एक बार फिर दलित समुदाय के खिलाफ हिंसा और प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर कर दिया है। पीड़ित परिवार न्याय के लिए संघर्ष कर रहा है, लेकिन यह घटना समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और हिंसा की गहराई को दिखाती है। ग्रामीणों और परिजनों ने चेतावनी दी है कि अगर आरोपियों पर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो विरोध और तेज किया जाएगा।
यह घटना केवल मंदसौर जिले की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि अगर जातीय भेदभाव और हिंसा पर रोक नहीं लगाई गई, तो ऐसी घटनाएं बार-बार होती रहेंगी।
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