हरियाणा को पहली बार दलित समुदाय से उपमुख्यमंत्री मिलेगा। हाल ही में मायावती ने ऐतिहासिक घोषणा की, जिसने राज्य की राजनीति में नया मोड़ दे दिया है। अब दलित समाज को राजनीति में झूठे वादें नहीं बल्कि राजनीति में शिरकत मिलेगी।
Haryana Election: हरियाणा के जींद में आयोजित एक बड़ी रैली में बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक ऐतिहासिक घोषणा की, जिसने राज्य की राजनीति में नया मोड़ दे दिया है। इस रैली में उन्होंने साफ किया कि अगर बसपा-इनेलो गठबंधन की सरकार बनती है, तो अभय सिंह चौटाला मुख्यमंत्री होंगे। साथ ही, मायावती जी ने इस बात पर जोर दिया कि हरियाणा को पहली बार दलित समुदाय से एक उपमुख्यमंत्री मिलेगा। यह एक ऐतिहासिक कदम होगा, जिससे राज्य के पिछड़े और दलित वर्गों को सशक्त बनाने का अवसर मिलेगा।
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दलित समुदाय से होगा उप मुख्यमंत्री
मायावती जी ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार में दो डिप्टी सीएम होंगे, जिनमें से एक बसपा का होगा और वह दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व करेगा, जबकि दूसरा पिछड़े वर्ग से होगा। इससे सरकार में सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा और समाज के हाशिए पर खड़े लोगों की आवाज को मजबूती मिलेगी। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि यह गठबंधन केवल चुनावी समझौता नहीं है, बल्कि एक बड़ा सामाजिक परिवर्तन लाने की कोशिश है।
पूरे राज्य में मुफ्त बिजली की सुविधा देंगे
रैली में मौजूद इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) के वरिष्ठ नेता अभय सिंह चौटाला ने भी जनता को आश्वासन दिया कि अगर उनकी सरकार सत्ता में आई, तो वह राज्य के सभी वर्गों की भलाई के लिए काम करेंगे। उन्होंने मौजूदा सरकार को बिजली के मुद्दे पर घेरते हुए कहा कि सत्ता में आने के बाद, वह बिजली के मीटर उखाड़कर मनोहर लाल खट्टर के घर भिजवा देंगे और पूरे राज्य में मुफ्त बिजली की सुविधा देंगे।
ये गठबंधन राज्य की जनता के लिए एक नई उम्मीद
बसपा और इनेलो का गठबंधन लगातार इस बात का दावा कर रहा है कि उनकी सरकार हरियाणा में विजयी होगी और यह गठबंधन राज्य की जनता के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरेगा। मायावती जी ने रैली की शुरुआत अभय सिंह चौटाला के दादा और पूर्व मुख्यमंत्री देवीलाल की 111वीं जयंती के अवसर पर की, जो इस गठबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, “अगर इस गठबंधन का बेहतर परिणाम आता है, तो यह देवीलाल जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”
दलित को राजनीति में मिलेगी शिरकत
हरियाणा की राजनीति में पहली बार ऐसा होने जा रहा है कि दलित समुदाय को सत्ता में वास्तविक हिस्सेदारी मिलने की उम्मीद जागी है। बसपा सुप्रीमो मायावती के ऐलान ने दलित समाज को एक नई आशा दी है, क्योंकि अब तक उन्हें सिर्फ राजनीति के झूठे वादों से संतोष करना पड़ता था। दलित समुदाय, जो अक्सर राजनीतिक दलों के लिए केवल वोट बैंक के रूप में देखा जाता रहा है, अब मायावती जी की घोषणा के बाद खुद को सत्ता में शामिल होता देख रहा है।
दलितों को केवल वादे नहीं, अब राजनीति में भागीदारी मिलेगी
मायावती जी ने स्पष्ट कर दिया है कि बसपा-इनेलो गठबंधन की सरकार बनने पर दलित समुदाय को उपमुख्यमंत्री पद मिलेगा। यह घोषणा न केवल दलितों के लिए एक बड़ी जीत है, बल्कि पूरे हरियाणा की राजनीति में एक क्रांतिकारी कदम है। अब दलितों को केवल वादे नहीं, बल्कि राजनीति में सक्रिय भागीदारी मिलेगी, जिससे उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए वे खुद निर्णय लेने की स्थिति में होंगे।
अब दलितों को अन्य दल केवल चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते
मायावती जी के इस ऐलान के बाद से हरियाणा की अन्य राजनीतिक पार्टियों में भी हलचल मच गई है। वे अब दलित वोट बैंक को साधने के लिए रणनीति बनाने में जुट गई हैं। यह स्पष्ट है कि मायावती जी के इस कदम ने अन्य दलों को भी दलित समुदाय के प्रति अपना रुख बदलने पर मजबूर कर दिया है। वे अब दलितों को केवल चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते, बल्कि उन्हें सशक्त बनाने और वास्तविक प्रतिनिधित्व देने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
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दलित समाज केवल हाशिये पर खड़ा नहीं, बल्कि सत्ता में आएगा
यह बदलाव हरियाणा की राजनीति में एक नई दिशा की ओर इशारा करता है, जहां दलित समाज अब केवल हाशिये पर खड़ा नहीं रहेगा, बल्कि सत्ता में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मायावती जी की इस पहल ने राज्य की राजनीति में दलितों को उनका हक दिलाने की उम्मीद को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है।
यह गठबंधन न केवल राजनीतिक बदलाव की ओर इशारा करता है, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक बड़ा कदम है। जनता अब उम्मीद कर रही है कि अगर यह सरकार बनती है, तो हरियाणा में नई दिशा और विकास की लहर देखने को मिलेगी।
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