दलित युवती को 11 साल बाद मिला न्याय,विशेष न्यायाधीश ने बलात्कारी को सुनाई आजीवन कारावास की सजा

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गुरूवार को उत्तर प्रदेश के देवरिया में विशेष न्यायधीश SC,ST ने दलित रेप पीड़िता को न्याय देते हुए आरोपी को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। सज़ा के साथ-साथ आरोपी को 10 हज़ार रूपए का आर्थिक दण्ड भी दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबित दलित युवती को 11 साल बाद न्याय मिला है। जब विशेष न्यायाधीश (अनसुचित जाति अनुसूचित जनजाति) छाया नैन ने आरोपी को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई तो दलित लड़की के परिवार वालों की आंखे छलक उठी। मामले पर विस्तार से बात करेंगे लेकिन उससे पहले मामला क्या था वो जान लिजिए..

क्या थी पूरी घटना:

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता संजय चौरसिया बताते हैं कि थाना तरकुलवा क्षेत्र के एक गांव में रहने वाले चन्द्र प्रकाश मिश्रा ने 11 साल पहले 21 जनवरी 2011 को एक दलित के घर में घुस कर उसकी बेटी के साथ बलात्कार को अंजाम दिया। लड़की के शोर मचाने के बाद परिवार वालों ने आरोपी चंद्र प्रकाश मिश्रा को पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया। पीड़िता के पिता ने तरकुलवा पुलिस में तहरीर दी जिसके बाद पुलिस ने दुष्कर्म औऱ दलित उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कर मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। अब ग्यारह साल बाद दलित लड़की को न्याय मिला है।

प्रतिकात्मक तस्वीर

ग्याराह साल बाद ही सही न्याय तो मिला:

बीते दो महिनों में देश में रेप के मामले में दो ऐसे फैसले सुनाएं गए हैं जिसके बाद न्याय शब्द से ही विश्वास उठ गया हैं। पहला मामला बिलकिस बानों का है। जिसके साथ 2002 में गुजरात दंगों के दौरान 11 लोगों ने बलात्कार किया था। उस समय बिलकिस बानों 5 महिने की गर्भवती थी। उस वक्त ना केवल एक महिला की आबरू लूटी गई थी बल्कि उसकी मासूम बच्ची समेत परिवार के सभी लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सनाते हुए कि सभी आरोपियों का व्यवहार अच्छा है इसलिए उन्हें रिहा किया जा रहा है ने बिलकिस बानों की 20 सालों की न्याय की उम्मीद को खत्म कर दिया।

दूसरा मामला किरण नेगी का है। 9 फरवरी 2012 को दिल्ली के छावला में 19 साल की किरण नेगी को राहुल, रवि और विनोद नाम के तीन लोगों ने अगवा कर उसके साथ गैंगरेप किया। रेप से मन नहीं भरा तो तेज़ाब डालकर आंखे फोड़ दी। गर्म लोहे और सिगरेट से शरीर को दाग दिया, औज़ारों से शरीर पर अनगिनत यातनाएं दी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर को तीनों आरोपियों को बइज्ज़त बरी कर दिया। जिनहें कोर्ट के यह दोनों फैसले याद होंगे वो 11 साल बाद दलित लड़की को न्याय मिलने पर यकीकन खुश होगा औऱ उसकी आँखे भी छलक उठेंगी। और ये खुशी इस बात की होगी कि ग्यारह साल बाद ही सही मगर न्याय तो मिला..।

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