दलित किशोरी को गांव से उठाया! 4 दिनों तक बंधक बनाकर किया दुष्कर्म, पुलिस पर दबाव बनाकर सुलह करवाने का आरोप

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बाराबंकी के एक गांव से एक दलित किशोरी का अपहरण एक युवक द्वारा कर लिया गया, जिसने उसे बंधक बनाकर कई दिनों तक प्रताड़ित किया। चार दिनों के बाद, युवक ने किशोरी को उसके गांव के बाहर छोड़ दिया और खुद फरार हो गया।

यदि कोई व्यक्ति नाबालिग किशोरी के साथ यौन अपराध करता है और उसे बंधक बनाता है, तो ये एक गंभीर अपराध है और इसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। लेकिन बाराबंकी में ऐसा कुछ नहीं हुआ. यहाँ तो पुलिस ने पीड़ित परिवार और आरोपी की जबरन सुलह करवा दी . दरअसल बाराबंकी के एक गांव से एक दलित किशोरी का अपहरण एक युवक द्वारा कर लिया गया, जिसने उसे बंधक बनाकर कई दिनों तक प्रताड़ित किया। युवक ने किशोरी को बाराबंकी शहर के एक होटल में बंद कर दिया और वहां उसे यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया। उसके बाद, उसने किशोरी को गाजियाबाद ले जाकर भी इसी तरह की क्रूरता की। चार दिनों के बाद, युवक ने किशोरी को उसके गांव के बाहर छोड़ दिया और खुद फरार हो गया।

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पुलिस ने जबरन सुलह का बनाया दवाब

आरोप है कि जब उन्होंने पुलिस में अपनी शिकायत दर्ज कराई, तो चौकी इंचार्ज ने मामले को सुलझाने के लिए जबरन सुलह का रास्ता अपनाया। आरोप है कि सुलह के बदले चौकी इंचार्ज ने एक लाख रुपये की राशि की मांग की। इनमें से 50 हजार रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर किए गए और बाकी 50 हजार रुपये नकद दिए गए। यह गंभीर आरोप हैं जो न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हैं। इस स्थिति में उच्च अधिकारियों द्वारा निष्पक्ष जांच और उचित कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि पीड़िता को न्याय मिल सके और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा सकें।

दलित किशोरी के मामा ने मुख्यमंत्री को भेजा पत्र

किशोरी के मामा का कहना है कि किशोरी के माता-पिता नहीं हैं, और वह उनके पास ही रहती है। उनका आरोप है कि पुलिस ने उन्हें जबरन सुलह के लिए दबाव डाला। किशोरी के मामा ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर घटना की शिकायत की और साथ ही एसपी से भी संपर्क किया। एसपी के आदेश के बावजूद, थाने की पुलिस ने उनकी तहरीर में बदलाव कर दिया और इसके बाद ही मुकदमा दर्ज किया।

तहरीर से पुलिस चौकी पर हुए घटनाक्रम को हटा दिया

तहरीर से त्रिलोकपुर पुलिस चौकी पर हुए घटनाक्रम को हटा दिया गया। लगभग 36 घंटे की देरी के बाद, किशोरी को वन स्टॉप सेंटर भेजा गया, और अब सोमवार को मेडिकल जांच के लिए जिला अस्पताल ले जाने की योजना बनाई गई है। किशोरी के मामा का आरोप है कि पुलिस मामले को दबाने का प्रयास कर रही है, जिससे प्रभावी कार्रवाई नहीं की जा रही है।

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क्या है मामला?

ये मामला मसौली थाना क्षेत्र के त्रिलोकपुर पुलिस चौकी के एक गांव से संबंधित है। इस गांव की 16 वर्षीय दलित किशोरी 22 अगस्त 2024 को सुबह शौच के बाद घर लौट रही थी। तभी कुछ लोगों ने एक कार में उसे खींचकर बिठा लिया और अपहरण कर लिया। किशोरी को पहले बाराबंकी शहर के एक होटल में बंधक बनाया गया, जहां पर उसके साथ दुराचार किया गया। इसके बाद, अपहर्ता ने उसे गाजियाबाद ले जाकर वहां भी उसके साथ दुराचार किया। चार दिनों की यातना के बाद, युवक ने किशोरी को 25 अगस्त को उसके गांव के बाहर छोड़ दिया और खुद फरार हो गया।

सुलह की बजाय सही कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए

यह एक गंभीर मामला है जिसमें कानून की पूरी प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। आरोपी के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए और किशोरी के परिवार को न्याय मिलना चाहिए। पुलिस की भूमिका भी इस मामले में अहम है, और सुलह की बजाय सही कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।

जातिगत भेदभाव और महिलाओं की सुरक्षा

दलित लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न और अत्याचार की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, जो हमारे समाज में जातिगत भेदभाव और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गहरे सवाल उठाती हैं। इन घटनाओं का बार-बार होना न केवल महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह हमारे सामाजिक और कानूनी ढांचे की कमजोरियों को भी दर्शाता है।

क्यों बार-बार दलितों को ही सहना पड़ रहा है अत्याचार?

दलित महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में अक्सर उन्हें न्याय मिलने में देरी या भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जिससे न्याय की प्रक्रिया प्रभावित होती है। सामाजिक असमानता, जाति आधारित भेदभाव, और पुलिस व न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार जैसे कारक इस समस्या को और बढ़ावा देते हैं।

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