दलित समाज ने भाजपा प्रत्याशी को घेरा: पानी के लिए तरसते दलित समाज का फूटा गुस्सा

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श्योपुर के हुल्लपुर गांव में पानी की भारी कमी से परेशान दलित समाज ने भाजपा प्रत्याशी रामनिवास रावत का घेराव कर उनसे जवाब मांगा। ग्रामीणों का गुस्सा इस बात पर था कि लंबे समय से पानी की समस्या होने के बावजूद कोई समाधान नहीं हुआ।

MP News: मध्यप्रदेश में श्योपुर के विजयपुर विधानसभा क्षेत्र में रविवार का दिन राजनैतिक रूप से गहमा-गहमी से भरा रहा, जब भाजपा प्रत्याशी रामनिवास रावत जनसंपर्क के उद्देश्य से हुल्लपुर गांव पहुंचे। जैसे ही रामनिवास रावत ने ग्रामीणों से संवाद आरंभ किया, वैसे ही वहां की स्थानीय समस्याओं को लेकर कई नाराज चेहरे उनके सामने उभरने लगे। दलित समाज के पुरुष और महिलाएं वर्षों से पानी की समस्या झेलते आ रहे हैं, और उनके लिए प्रत्याशी का यह दौरा एक मौका था कि वे अपनी बात उनके सामने रख सकें। जनसंपर्क के दौरान, प्रत्याशी के आते ही दलित समाज के कुछ युवक और महिलाएं उनसे सवाल करने लगे। महिलाओं ने उनके सामने बेहद संजीदा आवाज में कहा, “हमने आपको चुनकर बड़ी जगह पर बैठाया है, तो क्या हम अपनी परेशानी नहीं बता सकते?” उनकी बातों में गुस्सा और वर्षों की उपेक्षा का दर्द साफ दिखाई दे रहा था।

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जनसंपर्क में गूंजे ग्रामीणों के सवाल: “पानी के लिए कब तक तरसेंगे?”

हुल्लपुर गांव के बाशिंदों का कहना था कि उनकी पीने के पानी की समस्या वर्षों पुरानी है। बरसात के महीनों में तो फिर भी कुछ पानी जमा हो जाता है, लेकिन बाकी समय उनके पास साफ पानी उपलब्ध नहीं होता। महिलाएं और बच्चे कई बार एक-एक किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाते हैं। इस तकलीफ को झेलते हुए उनकी हिम्मत जवाब देने लगी थी, और अब जब रामनिवास रावत उनके गांव में आए, तो गांव के लोग अपनी बात खुलकर रखने से नहीं चूके। इस दौरान, एक युवक ने मोबाइल पर इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो बनाना शुरू कर दिया, जिसे कुछ लोग रोकने का प्रयास कर रहे थे। हालांकि, युवक ने वीडियो बनाना जारी रखते हुए कहा कि “इसमें कुछ भी गलत नहीं है। हम अपनी समस्या का समाधान मांग रहे हैं।”

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो, प्रशासन और पार्टी के लिए बढ़ी मुश्किलें

सोमवार सुबह, जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, पूरे श्योपुर में इस घटना की चर्चा होने लगी। वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता था कि कैसे महिलाएं और पुरुष भाजपा प्रत्याशी रामनिवास रावत से सवाल-जवाब कर रहे थे, और उनकी आवाज़ में पानी की समस्या को लेकर वर्षों की नाराजगी झलक रही थी। कई लोग इस वीडियो को देखकर हैरान थे कि एक छोटी-सी समस्या, जिसे प्रशासनिक स्तर पर हल किया जा सकता था, आज राजनैतिक मुद्दा बनकर सामने आ रही है। इस घटना ने भाजपा के चुनावी अभियानों को कहीं न कहीं नुकसान पहुंचाया है, क्योंकि एक तरफ जहां प्रत्याशी अपनी पार्टी के विकास कार्यों का प्रचार करने आए थे, वहीं इस समस्या ने ग्रामीणों के प्रति प्रशासन की उपेक्षा को सामने ला दिया।

भाजपा जिलाध्यक्ष का बयान: “समस्या का समाधान करेंगे”

इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह जाट ने बताया कि उन्होंने भी यह वीडियो देखा है। उन्होंने कहा कि महिलाओं ने पानी की समस्या को लेकर अपनी बात रखी थी और इसमें किसी प्रकार का अपमान या विरोध नहीं था। जिलाध्यक्ष ने माना कि ग्रामीणों ने केवल अपनी समस्या को सामने रखा और उनका उद्देश्य विरोध करना नहीं था। उन्होंने आश्वासन दिया कि आचार संहिता के समय को ध्यान में रखते हुए जल्द ही पानी की समस्या का समाधान करने के प्रयास किए जाएंगे। हालांकि, स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने पहले भी कई बार इस मुद्दे को उठाया है, लेकिन हर बार केवल आश्वासन ही मिला है।

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“वोट मांगने आए हैं, पहले पानी की समस्या हल करिए”: 

गांव के लोगों के अनुसार, उन्हें उम्मीद थी कि इस बार उनके सवालों का ठोस जवाब मिलेगा, लेकिन प्रत्याशी द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाने का आश्वासन पाकर वे निराश हो गए। इस दौरान, कई महिलाओं ने खुलेआम कहा कि वे वोट तभी देंगे, जब उनकी पानी की समस्या को लेकर कोई समाधान होगा।

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