लखीमपुर कांड को SIT ने सोची समझी साजिश करार दिया, मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा समेत 14 पर चलेगा हत्या का केस

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लखीमपुर खीरी हिंसा केस में एसआईटी ने बड़ा खुलासा किया है। एसआईटी के मुताबित किसानों को मारने के मकसद से ही गाड़ी चढ़ाई गई थी। वो हादसा नहीं था। बता दें कि इस केस में गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा मुख्य आरोपी हैं और उनकी जमानत अर्जी पर 6 जनवरी को सुनवाई होनी है। एसआईटी ने अदालत से धाराओं को और बढ़ाने का अनुरोध किया है। एसआईटी का कहना है कि घटना स्थल और इलेक्ट्रानिक गैजेट के जरिए जो जानकारी मिली है उससे पता चलता है कि गलत इरादे से आरोपियों ने घटना को अंजाम दिया।

जाँच कर रही टीम का कहना है कि यह घटना एक पूर्व नियोजित साजिश थी, जिसमें आठ लोगों की मौत हुई और कई लोग घायल हुए। इस मामले की जांच के लिए गठित एसआइटी ने भी माना है कि किसानों को गाड़ी से कुचलने की पूरी घटना एक सोची समझी साजिश थी। एसआईटी ने अब आरोपियों पर लगाई गई धाराएं भी बदल दी हैं। केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे और इस केस के मुख्य आरोपित आशीष मिश्रा समेत 14 आरोपियों पर अब गैर इरादतन हत्या की जगह हत्या का केस चलेगा।

जाँच के बाद आरोपियों पर जानबूझकर प्लानिंग करके अपराध करने का आरोप लगया गया हैं,IPC की धाराओं 279,338,304A को हटाकर 307, 326, 302, 34,120-बी,147, 148,149,3/25/30 लगाया गया हैं,अटेम्प टू मर्डर,मर्डर,समेत तमाम गम्भीर धारायें लगाई गईं.

क्या था मामला-

तीन अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर केंद्रीय मंत्री अजय टेनी मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा ने गाड़ी से कुचल दिया था जिसमे किसान सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी।

तीन अक्टूबर की दोपहर में हिंसा के बाद सियासत भी गरमा गई। सभी दलों के नेता लखीमपुर खीरी के लिए रातों रात कूच कर गए। बहुत लोगों को रास्ते में ही रोक दिया गया। लेकिन कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी किसी तरह सीतापुर के हरगांव तक पहुंचने में कामयाब रहीं। लेकिन प्रशासन ने उन्हें तीखी बहस के बाद हिरासत में ले लिया।

घटना के बाद से तरह तरह के वीडियो सामने आने लगे और गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे का नाम उछलने लगा कि जिस जीप ने कुचला उस जीप में आशीष मिश्रा मौजूदे थे। लेकिन आशीष मिश्रा की तरफ से सफाई दी जाने लगी कि तिकुनिया में नहीं बल्कि अपने बाबा की स्मृति में दंगल आयोजित करवा रहे थे। राकेश टिकैत के नेतृत्व में किसानों और सरकार के बीच पीड़ित परिजनों को 45 लाख, एक सरकारी नौकरी और आरोपियों की गिरफ्तारी पर समझौता हो गया। लेकिन 5 अक्टूबर को एक वीडियो आया जिसके बाद माहौल गरम हो गया था।

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