नवादा हिंसा पर चंद्रशेखर आजाद का बड़ा बयान: 100 दबंगों ने 80 दलित घर जलाए, 50 राउंड फायरिंग की; सरकार और प्रशासन को ठोस कदम उठाने की अपील

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चंद्रशेखर आजाद ने नवादा में जातीय हिंसा की कड़ी निंदा की, सरकार और प्रशासन की निष्क्रियता की आलोचना की, और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई तथा पीड़ितों को न्याय देने की मांग की।

आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने बिहार के नवादा जिले के कृष्णा नगर गांव में हाल ही में हुई जातीय हिंसा की गंभीर निंदा की है. दरअसल बिहार के नवादा जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के कृष्णा नगर गांव में हाल ही में एक गंभीर जातीय हिंसा की घटना घटी, जिसने राज्य की कानून-व्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने को झकझोर कर रख दिया है।

ये है मामला

बुधवार रात, करीब 100 दबंगों ने दलित बस्ती पर हमला किया, जिसमें 80 घर जलकर राख हो गए और 50 से अधिक राउंड फायरिंग की गई। यह हिंसा दलित और महादलित समुदायों के बीच भूमि विवाद को लेकर हुई, जिसमें एक पक्ष दलित बस्ती में निवास करता है जबकि दूसरा पक्ष इस भूमि पर अपना दावा करता रहा है। घटना की सूचना मिलने पर स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और घटनास्थल पर पहुंचे, जहां उन्होंने स्थिति का जायजा लिया और पीड़ितों से मुलाकात की।

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इस हमले ने कृष्णा नगर गांव में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है। पीड़ितों ने बताया कि रात के अंधेरे में दबंगों ने अचानक हमला किया, जिससे वे अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। आगजनी और फायरिंग की इस घटना ने उनकी पूरी संपत्ति को तबाह कर दिया और उन्हें एक बार फिर संघर्ष की स्थिति में डाल दिया। स्थानीय प्रशासन ने पीड़ितों को आश्वासन दिया है कि मामले की जांच की जाएगी और दोषियों को जल्द पकड़ा जाएगा।

चंद्रशेखर आजाद ने घटना पर प्रतिक्रिया दी

चंद्रशेखर आजाद, ने भी इस घटना पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बिहार सरकार और प्रशासन की निष्क्रियता पर नाराजगी जताई और पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग की। आजाद ने कहा कि यह घटना जातीय और सामाजिक असमानताओं का एक खतरनाक उदाहरण है और इसे रोकने के लिए सरकार को ठोस और प्रभावी कदम उठाने चाहिए। उन्होंने हिंसा के दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया और पीड़ितों को उचित सहायता और सुरक्षा देने की अपील की।

चंद्रशेखर आजाद ने बिहार सरकार और प्रशासन की निष्क्रियता पर नाराजगी जताई

इस पर चंद्रशेखर आजाद ने बिहार सरकार और प्रशासन की निष्क्रियता पर नाराजगी जताई और पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग की। आजाद ने कहा कि यह घटना जातीय और सामाजिक असमानताओं का एक खतरनाक उदाहरण है और इसे रोकने के लिए सरकार को ठोस और प्रभावी कदम उठाने चाहिए। उन्होंने हिंसा के दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया और पीड़ितों को उचित सहायता और सुरक्षा देने की अपील की। आजाद ने यह भी कहा कि सरकार और प्रशासन को मिलकर इस समस्या का स्थायी समाधान खोजने के लिए काम करना चाहिए ताकि समाज में शांति और समानता स्थापित की जा सके।

मुख्यमंत्री को अपराधियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करनी चाहिए

उनके बयान ने इस हिंसा की गंभीरता को उजागर किया और समाज को एक मजबूत संदेश दिया कि जातीय हिंसा और असमानताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। चंद्रशेखर आजाद ने यह भी मांग की कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तुरंत हस्तक्षेप करें और इस हिंसा की कड़ी निंदा करें। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को अपराधियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करनी चाहिए, पीड़ितों को हरसंभव सहायता प्रदान करनी चाहिए, और उनके पुनर्वास और आर्थिक मदद सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए। साथ ही, उन्होंने न्यायिक जांच की मांग की ताकि दोषियों को सजा दिलाई जा सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस उपाय किए जा सकें। इस पूरे घटनाक्रम ने बिहार की कानून-व्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने की कमजोरियों को उजागर किया है और यह समय की मांग है कि इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाए और इसके समाधान के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की जा रही है। उन्हें आग्रह किया गया है कि वह इस हिंसा की कड़ी निंदा करें, अपराधियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करें, और पीड़ितों को हरसंभव सहायता प्रदान करें। इसके साथ ही, पीड़ितों के पुनर्वास और उनकी आर्थिक मदद सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की अपील की गई है। न्यायिक जांच की भी मांग की गई है ताकि हिंसा के दोषियों को सजा दिलाई जा सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस उपाय किए जा सकें।

मांझी और पासवान जातियों के बीच भूमि विवाद

यह घटना सिर्फ दलित समुदाय पर अत्याचार का मामला नहीं है, बल्कि दलित और महादलित के बीच की आपसी खाई को भी सामने लाती है। मांझी और पासवान जातियों के बीच भूमि विवाद के कारण हुए इस संघर्ष ने गांव को हिंसा की आग में झोंक दिया। इस घटना में पासवान समुदाय के लोगों पर आरोप है कि उन्होंने मांझी समुदाय की बस्ती पर हमला किया, गोलियां चलाईं, और करीब 80 घरों को आग के हवाले कर दिया।

50 से ज्यादा राउंड फायरिंग और 80 घर जलाए गए

यह विवाद जमीन से जुड़ा हुआ है। कई वर्षों से मांझी समुदाय के लोग बिहार सरकार की जमीन पर बसे हुए थे, जिसे पासवान समुदाय भी अपना दावा करता आ रहा था। यह मामला अदालत में लंबित था, और दोनों पक्ष जमीन पर अधिकार जताते हुए संघर्ष में उलझे हुए थे। मगर बुधवार रात को पासवान जाति के करीब सौ लोग मांझी बस्ती में घुस आए और अचानक हमला कर दिया। इस हमले में 50 से ज्यादा राउंड फायरिंग की गई, जिससे गांव में अफरा-तफरी मच गई। ग्रामीण अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे, और हमलावरों ने मौका पाकर बस्ती को आग के हवाले कर दिया। प्रशासन के मुताबिक, करीब 30 से 80 घर इस हमले में जलकर खाक हो गए।

जीतन राम मांझी और चिराग पासवान का संबंध?

इस घटना ने बिहार की राजनीति में भी हलचल मचा दी है। चूंकि मांझी समुदाय के नेता जीतन राम मांझी और पासवान समुदाय के नेता चिराग पासवान, दोनों ही एनडीए गठबंधन का हिस्सा हैं, ऐसे में इस हिंसा के बाद दोनों नेताओं के बीच बयानबाजी और राजनीतिक तनाव बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। मांझी और पासवान, दोनों जातियां बिहार की राजनीति में मजबूत प्रभाव रखती हैं, और इस घटना ने उनके बीच आपसी खींचतान को और बढ़ा दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना एनडीए गठबंधन के भीतर भी तनाव पैदा कर सकती है, क्योंकि दोनों समुदायों के नेता अपने-अपने वर्गों के समर्थन से जुड़े हुए हैं।

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