चंद्रशेखर आजाद का ऐलान: दलितों, किसानों, युवाओं और महिलाओं के अधिकारों की करेंगे रक्षा

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चंद्रशेखर आजाद ने हरियाणा चुनाव को लेकर कहा कि वे राजस्थान जैसी चूक नहीं दोहराएंगे और स्वतंत्र रूप से पूरी ताकत से चुनाव लड़कर किसानों, युवाओं और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करेंगे।

Haryana Election: आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष और लोकप्रिय दलित नेता चंद्रशेखर आजाद ने हाल ही में हरियाणा के सिरसा में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इस अवसर पर जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी इस बार हरियाणा में मजबूत प्रदर्शन करेगी और पिछली गलतियों को दोहराने से बचेगी, जैसा कि राजस्थान चुनावों में हुआ था।

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राजस्थान की तरह हरियाणा में नहीं चुकेगें

राजस्थान चुनावों का जिक्र करते हुए स्पष्ट किया कि राजस्थान चुनावों में उनकी पार्टी 12 सीटों पर तीसरे स्थान पर और तीन सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी, जो उनके लिए एक महत्वपूर्ण सीख थी। हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि उनकी पार्टी ने वहां कुछ मौके खो दिए, जिससे वे राज्य में कोई बड़ी सफलता नहीं हासिल कर पाए। लेकिन अब, उन्होंने कसम खाई कि हरियाणा में वे ऐसी कोई गलती नहीं दोहराएंगे और यहां का चुनावी मैदान पूरी ताकत और रणनीति के साथ लड़ेंगे।

उन्होंने इसे एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया, लेकिन स्वीकार किया कि वे उस राज्य में अपनी पूरी क्षमता का प्रदर्शन नहीं कर पाए। चंद्रशेखर ने कहा कि राजस्थान की इस चूक से उन्होंने और उनकी पार्टी ने काफी कुछ सीखा है, और अब वे हरियाणा में ऐसी कोई चूक नहीं करेंगे।

चंद्रशेखर ने युवाओं को लेकर कही ये बात:

चंद्रशेखर ने अपने भाषण में युवाओं को खास तौर पर संबोधित करते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है कि वे किसी अन्य राजनीतिक दल या नेता के भरोसे न रहें, बल्कि अपनी लड़ाई खुद लड़ें। उन्होंने कहा, “हम नौजवानों ने ठान लिया है कि अब हम किसी के भरोसे नहीं रहेंगे। हम अपनी लड़ाई खुद लड़ेंगे।” यह बयान इस ओर संकेत करता है कि उनकी पार्टी इस बार आत्मनिर्भरता और स्वतंत्र संघर्ष की रणनीति अपनाने जा रही है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पारंपरिक राजनीतिक दलों का दबदबा रहा है।

किसानों और महिलाओं का भी जिक्र

चंद्रशेखर का यह बयान सिर्फ युवाओं के लिए नहीं, बल्कि किसानों और महिलाओं के लिए भी एक स्पष्ट संदेश था। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का मकसद सिर्फ चुनाव जीतना नहीं, बल्कि समाज के उन हिस्सों की आवाज बनना है जो अब तक मुख्यधारा की राजनीति से बाहर रखे गए हैं। किसानों की बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और वे यह सुनिश्चित करेंगे कि किसानों को उनके हक से वंचित न किया जाए। चंद्रशेखर ने यह भी कहा कि महिलाएं समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उनकी पार्टी महिला अधिकारों के लिए भी मजबूती से लड़ेगी।

हरियाणा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव

चंद्रशेखर आजाद का यह भाषण सिर्फ एक चुनावी सभा नहीं था, बल्कि उनके विचारों और रणनीतियों का एक स्पष्ट दृष्टिकोण था। उन्होंने बताया कि किस प्रकार उनकी पार्टी ने राजस्थान चुनावों से सीखा और अब वे हरियाणा में अपनी पूरी ताकत के साथ उतरने के लिए तैयार हैं। उनका यह संदेश साफ था कि इस बार आजाद समाज पार्टी सिर्फ चुनाव लड़ने नहीं, बल्कि हरियाणा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने के लिए मैदान में उतरेगी।

पार्टी का मकसद किसानों, नौजवानों और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना

हरियाणा के चुनावी परिदृश्य में यह बयान महत्वपूर्ण है क्योंकि चंद्रशेखर आजाद की पार्टी उन समुदायों की प्रतिनिधि है जो अक्सर पारंपरिक राजनीति से वंचित रहे हैं। उनके इस बयान से हरियाणा में राजनीति की नई बुनियाद रखी जा सकती है, खासकर तब जब पारंपरिक राजनीतिक दल अपने-अपने समीकरण साधने में लगे हुए हैं। चंद्रशेखर ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी पार्टी किसी भी प्रकार की समझौता नीति या तुष्टिकरण की राजनीति नहीं करेगी। उनका मकसद किसानों, नौजवानों और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना है, और इसके लिए वे हर संभव प्रयास करेंगे।

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हरियाणा में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में तैयार

चंद्रशेखर आजाद ने अंत में यह भी कहा कि अब वे किसी भी अन्य दल के समर्थन या गठबंधन के बिना, अपनी पार्टी की स्वतंत्रता और स्वाभिमान के साथ चुनावी मैदान में उतरेंगे। उन्होंने अपने समर्थकों से अपील की कि वे पूरे जोश और ताकत के साथ पार्टी के उम्मीदवारों का समर्थन करें और हरियाणा की राजनीति में एक नई शुरुआत करें। उनका यह आत्मविश्वास और स्पष्ट दृष्टिकोण हरियाणा की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है।

चंद्रशेखर आजाद के इस एलान से यह स्पष्ट हो गया है कि उनकी पार्टी हरियाणा में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरने के लिए तैयार है, खासकर उन सीटों पर जहां दलित, किसान, और युवा वर्ग का वर्चस्व है।

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