यूपी चुनाव के प्रथम चरण को महज 20 दिन बचे है इसी के साथ देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में कड़ाके की ठंड के साथ सियासी पारा भी चढ़ा हुआ है। हर राजनितिक दल सत्ता पाने की जोर आजमाइश में लगी हुई है। बेरोजगारी, महंगाई, जंगलराज, महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों के बीच भाजपा के लिए सत्ता बचाने की चुनौती है तो वही सपा दूसरे दलों से आये हूए नेताओ के भरोसे पुनः सत्ता में वापसी का ख्वाब देख रही है।
दूसरी और 2017 विधानसभा चुनाव में वोट प्रतिशत के लिहाज से दूसरी सबसे पार्टी बसपा जमीन के साथ ही सोशल मिडिया पर भी लगातार सक्रिय है। बसपा सुप्रीमो मायावती को पांचवी बार मुख्यमंत्री बनाने के लिए बसपाई युवा जमीन के साथ ही सोशल मिडिया का भी बखूबी इस्तेमाल कर रहे है। बसपा कार्यकर्ता मायावती शासन के कामो को जनता के बीच ले जाकर अपील कर रहे है की मायावती के शासन में कानून का राज था जहा न केवल महिलाये बल्कि सर्व समाज के अधिकार भी सुरक्षित थे।
चुनाव तारीखों की घोषणा से पहले ही बसपा महासचिव सतीशचंद्र मिश्रा यूपी के सभी जिलों में प्रबुद्ध सम्मेलन सहित 150 से अधिक सम्मेलन कर चुके है। बसपा के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर व मायावती के भतीजे आकाश आनंद युवाओ से सीधा संवाद कर लगातार बैठके कर रहे है।
चुनाव तारीख नजदीक आते ही यूपी में राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई भी दिलचस्प हो गयी है। जहा एक और सत्ताधारी भाजपा भी गठबंधन में है तो अखिलेश यादव भी 1 दर्जन से अधिक दलों के साथ गठबंधन के सहारे है। जबकि बसपा फिर 2007 की तरह अकेले अपने दम पर सरकार बनाने का दावा कर रही है।
खेर ये तो 10 मार्च को तय होगा की सत्ता का रुख किधर करवट लेता है।
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