तमिलनाडु के सलेम जिले में फिर से जातिवादियों ने नहीं करने दिया दलितों को मंदिर में प्रवेश, आपसी झड़प के बाद हिंसा में दर्जनों गाड़ियां और दुकानें स्वाहा-दो दर्जन से ज्यादा गिरफ्तार

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तमिलनाडु के सलेम जिले के दिवात्तीपट्टी गांव में एक मंदिर उत्सव के दौरान दलित समुदाय द्वारा एक मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की गयी तो तथाकथित उच्च जाति के लोग विरोध करने लगे, जिसने बाद में हिंसा का रूप अख्तियार कर लिया

Casteism in Tamil Nadu Salem District : दुनिया भले ही कितनी आगे चली जाये, कितनी ही प्रगतिशीलता की बातें और जातिगत भेदभाव मिटाने के दावे किये जायें, मगर अभी भी हमारा समाज उन्हीं सड़ी-गली मान्यताओं और मूल्यों को ढो रहा है, जहां दलित को अन्याय सहने के लिए मानो श्रापित कर दिया गया हो। दलितों के मंदिर में प्रवेश को लेकर देशभर से जातिवादियों द्वारा हिंसा फैलाने की घटनायें सामने आती रहती हैं, एक बार फिर से ऐसी ही एक घटना तमिलनाडु के सलेम जिले से सामने आयी है।

मीडिया में आयी जानकारी के मुताबिक कल 2 मई वृहस्पतिवार को तमिलनाडु के सलेम जनपद में फिर से जातिवादियों द्वारा दलित समुदाय के लोगों को मंदिर में प्रवेश न करने देने पर हिंसा फैलने की घटना सामने आयी है। जानकारी के मुताबिक सलेम जिले के दिवात्तीपट्टी गांव में एक मंदिर उत्सव के दौरान दलित समुदाय द्वारा एक मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की गयी तो तथाकथित उच्च जाति के लोग विरोध करने लगे, जिसने बाद में हिंसा का रूप अख्तियार कर लिया। मीडिया में आई खबरों के अनुसार, अरुंथथियार समुदाय (अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत) के लोगों ने चल रही पूजा के दौरान एक मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की तो जातिवादियों जिसमें नायकर, उदयर और गौंडर जाति के लोग शामिल थे, ने उन्हें मंदिर में नहीं घुसने दिया। यह बात सर्वविदित है कि पहले से भी वन्नियार समुदाय दलितों के मंदिर प्रवेश पर कड़ा ऐतराज जताता आया है। इसी बात पर बहस इतनी ज्यादा बढ़ गयी कि माहौल हिंसक और आपस में मारपीट तक हो गयी। इस हिंसक झड़प में दोनों जातियों द्वारा एक दूसरे पर ​पत्थर फेंके गये और उसके बाद कुछ दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया।

पुलिस के मुताबिक पुलिस हिंसा और मारपीट के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित कई दुकानों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। माहौल शांत करने पहुंची पुलिस पर भी पथराव के आरोप हैं। इस घटना के बाद पुलिस ने उपद्रवियों पर लाठीचार्ज किया, और दो दर्जन से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया। हिंसा से संबंधित तमाम वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहे हैं।

इस घटना के बाद सलेम जिला पुलिस द्वारा मीडिया को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गयी है, जिसमें कहा गया है कि दीवत्तिपट्टी में मरियम्मन मंदिर उत्सव के संबंध में 1 मई की रात को दो जाति समूहों के बीच झड़प हुई थी, जिसके बाद पुलिस द्वारा शांति बैठक आयोजित की थी। इसी बैठक के दौरान दोनों पक्षों के लोग भड़क गये और माहौल बहुत हिंसक हो गया।

पुलिस के मुता​बिक 1-2 मई की देर रात को दलित समुदाय को मंदिर में प्रवेश न करने देने के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया था, जिसके बाद पुलिस की मध्यस्थता के साथ दोनों जातियों के प्रतिनिधियों ने अपने जाति समूह के लोगों के बीच चर्चा करने के लिए एक दिन का समय मांगा था। दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ पुलिस की बैठक शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गयी थी, मगर इसके कुछ देर बाद ही दलित समुदाय के लोगों ने त्योहार के दौरान मंदिर में जाने देने की अनुमति की मांग करते हुए सलेम-बेंगलुरु राजमार्ग पर सड़क रोको विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके बाद उच्च जाति के लोग भी सड़क पर उतर गये और मामले ने तूल पकड़ लिया।

मीडिया में प्रकाशित खबरों के मुताबिक दलितों द्वारा मंदिर प्रवेश के लिए सड़क पर विरोध प्रदर्शन करने की घटना की खबर होते ही वन्नियार जाति के लोग सड़क के विपरीत दिशा में इकट्ठा हो गए और अनुसूचित जाति के लोगों पर पथराव शुरू कर दिया। पुलिस के सामने ही पथराव किया गया और जवाबी कार्रवाई में दलित पक्ष ने भी पथराव किया। इसी के बाद सड़कों पर मौजूद कई गाड़ियों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया।

पुलिस का कहना है कि हिंसक झड़प के बाद सवर्णों और दलितों दोनों समुदायों के समर्थकों ने सलेम-बेंगलुरु राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे दुकानों में आग लगा दी, जिससे खड़े दोपहिया वाहन और अन्य वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। मौके पर पहुंची पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर किया और करीब तीन दर्जन लोगों को गिरफ्तार कर लिया।

प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक घटना के बाद सलेम रेंज के महानिरीक्षक ईएस उमा और पुलिस अधीक्षक एके अरुण काबिलन भी घटनास्थल पर पहुंचे और क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए 100 से भी ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया।

‘हिंसा के बाद दोनों पक्षों के 31 लोगों को पुलिस द्वारा हिंसा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस का कहना है कि इस हिंसक घटना के संबंध में वीडियो साक्ष्य एकत्र करने की प्रक्रिया में हैं। सबूतों के आधार पर हिंसा में शामिल सभी लोगों को गिरफ्तार किया जायेगा, अगर हिंसा के बीच किसी निर्दोष को गिरफ्तार किया गया है, तो वीडियो साक्ष्य से पुष्टि करने के बाद उन्हें छोड़ दिया जाएगा।”

जिस उत्सव को लेकर दलित समुदाय के लोग मंदिर में प्रवेश करना चाहते थे, फिलहाल प्रशासन द्वारा उस त्योहार को रोक दिया गया है। गौरतलब है कि 1947 का तमिलनाडु मंदिर प्रवेश प्राधिकरण अधिनियम सभी हिंदू जातियों और वर्गों को हिंदू मंदिरों में प्रवेश और पूजा करने के अधिकार की गारंटी देता है, इसके बावजूद पिछले कई महीनों में अनुसूचित जाति समुदायों के सदस्यों को मंदिरों में प्रवेश से रोके जाने की कई घटनाएं सामने आई हैं।

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