गौरतलब हैं कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने 23 दिसंबर को पार्टी मुख्यालय पर बैठक बुलाई है। विधानसभा चुनाव को लेकर यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है। इसमें प्रदेश के सभी मुख्य सेक्टर प्रभारियों के साथ प्रदेश के 75 जिलों के जिलाध्यक्षों को बुलाया गया है। मायावती इन दिनों लखनऊ में ही रहकर विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप दे रही हैं। जिनके नामों को अंतिम रूप दिया जा चुका है, उन सीटों पर विधानसभा प्रभारियों की घोषणा की जा रही है। बाद में इन्हें ही उम्मीदवार घोषित कर दिया जाएगा। बसपा सुप्रीमो के निर्देश पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र प्रदेश की सभी सुरक्षित 86 सीटों पर सम्मेलन कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि मायावती इसी दिन विधानसभा चुनाव की रणनीति का खुलासा करेंगी कि वह चुनाव प्रचार के लिए कब से निकलेंगी,मायावती 23 दिसंबर को होने वाली बैठक में मुख्य सेक्टर प्रभारियों और जिलाध्यक्षों से फीडबैक लेकर जमीनी हकीकत का पता लगाएंगी। इसके आधार पर आगे की रणनीति तय की जाएगी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इसके बाद ही मायावती चुनावी समर में प्रचार के लिए उतरेंगी। उनका कार्यक्रम भी इसके आधार पर तय किया जाएगा। अब यह देखने वाला होगा कि वह पूर्वांचल से चुनावी अभियान की शुरुआत करती हैं या पश्चिमी यूपी को चुनती हैं।
बसपा प्रमुख कह चुकी हैं कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में BSP पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएगी और यह सरकार 2007 में बनी स्पष्ट बहुमत की उसकी सरकार के मुकाबले ज्यादा मजबूत होगी। उनका कहना है कि पार्टी उत्तराखंड में भी बेहतर प्रदर्शन करेगी और पंजाब में गठबंधन की मजबूत सरकार बनाएगी।
प्रदेश में 84 सीटें एससी और दो सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं। बीएसपी के लिए यह रिजर्व सीटें ही कमजोर कड़ी रही हैं। वजह यह है कि दलित बीएसपी का कोर वोटर है। रिजर्व सीटों पर सभी पार्टियों के इसी वर्ग के प्रत्याशी होते हैं। ऐसे में ये वोट बंट जाते हैं। हालाँकि पार्टी ने 2007 में रिजर्व सीटें सबसे ज्यादा जीती थीं। तब पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी।
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