दलितों और पसमांदा को इस तरह जोड़ना चाह रही है भाजपा

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उत्तर प्रदेश में चुनावों को लेकर आए दिन कोई न कोई बड़ी ख़बर मिलती रहती है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के 6 विधान परिषद सदस्य के नामों की अधिसूचना राज्यपाल ने जारी कर दी हैं, जिसको लेकर विपक्षी पार्टियों कांग्रेस, बसपा, सपा, सभी में हल चल मची हुई है। उत्तर प्रदेश में जिन प्रतिष्ठित लोगों नाम मनोनीत किए गए हैं, वे चौंकाने वाले हैं, जिसको लेकर सभी राजनेताओं का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने जिन 6 विधान परिषद सदस्यों के नामों की घोषणा की है, वे पसमांदा समाज के मुसलमान, दलित और पूर्वांचल के राजभर समाज से हैं।

 

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विपक्षी दलों का कहना है कि यह भाजपा की सोची समझी रणनीति है। क्योंकि भाजपा का पसमांदा समाज के मुसलमान, दलित और पूर्वांचल राजभर के साथ जुड़ने का सीधा मक़सद वोट बैंक साधने पर ज़ोर देना है। उत्तर प्रदेश की 100 विधान परिषद सीटों में से 80 सीट पर भाजपा अधिकार जमाते हुए चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो चुकी है। आपको बता दें कि भारतीय राजनीति में आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, कि किसी राजनीतिक दल का विधान परिषद में 100 में से 80% सीटों पर आधिपत्य जमा हो।

आइए जानते हैं कि भाजपा के 6 विधान परिषद सदस्य कौन हैं ?

लालजी प्रसाद निर्मल ( image : dainik bhaskar )

-विधान परिषद सदस्य में लालजी प्रसाद निर्मल का नाम शामिल हैं। निर्मल वह राजनेता हैं, जिनकी तारीफ़ के कसीदे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अंबेडकर महासभा के कार्यक्रम में पढ़ें हैं। लालजी प्रसाद निर्मल दलित वर्ग से संबंध रखते हैं। आज के समय में लालजी प्रसाद अंबेडकर महासभा के कर्ता-धर्ता होने के साथ अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम के अध्यक्ष हैं। वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने उन्‍हें विधान परिषद का सदस्‍य मनोनीत कर दलितों के हित में काम करने का इदारा किया है। वहीं इस संबंध में विपक्षी पार्टियों का कहना है कि भाजपा का ऐसा कदम उठाने के पीछे दलित वोटों को साधना है।

 

रजनीकांत महेश्वरी ( image : social media )

 

-विधान परिषद सदस्यों की सूची में दूसरा नाम है रजनीकांत महेश्वरी का, जो कि कासगंज के निवासी हैं। रजनीकांत महेश्वरी पिछले तीन दशकों से लगातार भारतीय जनता पार्टी के विभिन्न पदाधिकारियों के पद पर अपनी सेवाएं दे रहें हैं।विधान परिषद सदस्य के नामों की अधिसूचना घोषित होने के बाद रजनीकांत महेश्वरी ने अपना दायित्व पूरी तरह संभाल लिया, जिसके लिए उन्हें घर तक छोड़ना पड़ा। वहीं अगर रजनीकांत महेश्वरी के वर्क प्रोफाइल की बात करें तो, रजनीकांत महेश्वरी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में लंबे समय से कार्यरत हैं, साथ ही कासगंज के आसपास के क्षेत्र में भी वह बीते तीन दशक से बाजपा के विभिन्न पदाधिकारियों के पद पर कार्य करते रहे हैं।

 

 

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ( image : google )

-विधान परिषद सदस्यों की सूची में तीसरा मशहूर नाम अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. तारिक मंसूर का है। जिन्होंने भाजपा से विधान परिषद सदस्य एमएलए बनने पर कुलपति पद से इस्तीफा दे दिया है। प्रो. तारिक मंसूर एएमयू के भाजपा में शामिल होने वाले पहले कुलपति हैं। वहीं भाजपा द्वारा विधान परिषद सदस्य मनोनीत होने के बाद के तारिक मंसूर ने राज्यपाल को इस्तीफ़ा भेजा था, जो कि राज्यपाल द्वारा मंजूर भी कर लिया गया। आपको बता दें, कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में तारिक मंसूर 17 मई 2017 को एएमयू के कुलपति बने थे और उनका कार्यकाल 17 मई 2023 को पूरा हो रहा है। पिछले 100 वर्षों के इतिहास में अभी तक किसी कुलपति ने भाजपा से राजनीति शुरू नहीं की है।

रामसूरत राजभर ( image : social media )

-भाजपा के विधान परिषद सदस्यों की लिस्ट में दिग्गज नेता रामसूरत राजभर भी शामिल हैं, जिन्होंने 1996 में पहली बार चुनाव लड़ा था। राजभर एक ऐसे नेता हैं जो समाज का हमेशा प्रतिनिधित्व करते हैं। वहीं, आने वाले राजनीतक सफ़र की बात करें तो रामसूरत राजभर यूपी के आजमगढ़ जिले में विधान परिषद के रुप में नजर आएंगे। आपको बता दें कि रामसूरत का भाजपा से 1980 के समय से नाता है और तभी से वह भाजपा के सक्रिय सदस्य रहें हैं।

 

हंसराज विश्वकर्मा ( image : google )

-हंसराज विश्वकर्मा को भी भाजपा ने विधान परिषद सदस्यों में शामिल कर लिया है। हंसराज विश्वकर्मा ने बीते दिनों राम मंदिर आंदोलन में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था, जिसके बाद वे कई दिनों तक चर्चाओं में बने रहे। बहुजन समाज पार्टी के नेता हंसराज विश्वकर्मा ने उस समय सरकार के विरोध में पार्टी को मजबूती देने का काम किया , जिस समय राजनीतिक दलों में आपसी तालमेल ठीक नहीं थे, परंतु हंसराज ने हार नहीं मानी वे बूथ से लेकर प्रदेश स्तर तक पूरे ‘राम मंदिर आंदोलन’ में मजबूती प्रदान करते हुए ही नज़र आए।

 

साकेत मिश्रा ( image : google )

-भाजपा ने विधान परिषद सदस्यों में आईएएस नृपेंद्र मिश्रा के बेटे साकेत मिश्रा को भी शामिल किया है। जो कि खुद भी सिविल सेवा में कार्यरत थे। साकेत मिश्रा सिविल सेवा छोड़कर राजनीति के क्षेत्र में आए। पीएमओ में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव रह चुके हैं साकेत मिश्रा। आपको बता दें कि, पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त उन्हें श्रावस्ती लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाए जाने की तैयारी भी थी। श्रावस्ती में लोकसभा चुनाव के संकेतों के वक्त उन्होंने करीब सौ रैलियां की थीं। साकेत मिश्र के लिए ऐसा कहा जाता है कि सिविल सेवा परीक्षा पास करके साकेत मिश्रा आईपीएस बने थे, लेकिन जल्द ही प्रशासनिक सेवा से उनका मोहभंग हो गया और उसके बाद उन्होंने राजनीति की बागडोर थाम ली। देखते ही देखते वर्तमान समय में साकेत मिश्रा भाजपा के 6 दमदार MLA सदस्यों की सूची में नामित हैं।

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