फायरिंग में 6 माह की बच्ची की मौत और हसदेव जंगल कटाई के विरोध में आदिवासियों का बस्तर बंद

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नक्सलियों ने एक प्रेस नोट जारी करके पुलिस की गोली से बच्ची की मौत होने का आरोप लगाया था, तो पुलिस के जवानों का आरोप था कि नक्सलियों की फायरिंग में बच्ची की मौत हो गयी थी। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आखिर किसकी गोली से बच्ची की मौत हुई थी….

Bastar Bandh : आज मंगलवार 23 जनवरी को छत्तीसगढ़ का बस्तर इलाका बंद रहा। इस बंद का आह्वान आदिवासी समाज ने किया था, जोकि क्रॉस फायरिंग में 6 माह की दुधमुंही बच्ची की मौत और हसदेव जंगलों की कटाई के विरोध में आयोजित किया गया था। आदिवासी समाज के आह्वान पर किये गये इस बंद का असर जगदलपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, कोंडागांव और सुकमा समेत कई अन्य जिलों में भी व्यापक रूप से देखने को मिला। आज तड़के से ही व्यापारिक प्रतिष्ठानों के अलावा होटल बंद रखे गये थे। हालांकि जनता की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए इमरजेंसी सेवायें जैसे मेडिकल शॉप, हॉस्पिटल इत्यादि को खुले रहने दिया था। शहर के पैलेस रोड, मेन रोड, सर्किट हाउस रोड, स्टेट बैंक चौक आदि मुख्य जगहों की सारी दुकानें बंद दिखीं तो वहीं ठेले-खोमचे वालों ने भी बंद को समर्थन देते हुए अपनी दुकानें नहीं खोलीं।

सर्व आदिवासी समाज के बस्तर बंद के इस ऐलान को कई संगठनों ने खुला समर्थन दिया था। गौरतलब है कि 1 जनवरी को बीजापुर जनपद के गंगालूर थाना क्षेत्र स्थित मुतवेंडी गांव में पुलिस और नक्सली मुठभेड़ में एक 6 महीने की बच्ची की गोली लगने से मौत हो गई थी। बच्ची के अलावा उसकी मां भी गंभीर रूप से घायल हुई थी।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक इस मामले में नक्सलियों ने एक प्रेस नोट जारी करके पुलिस की गोली से बच्ची की मौत होने का आरोप लगाया था, तो पुलिस के जवानों का आरोप था कि नक्सलियों की फायरिंग में बच्ची की मौत हो गयी थी। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आखिर किसकी गोली से बच्ची की मौत हुई थी।

हालांकि स्थानीय लोगों का यह भी आरोप है कि जो लोग हसदेव जंगल काटे जाने का विरोध कर रहे हैं उन्हें शासन-प्रशासन द्वारा नक्सली ठहराया जा रहा है। अब बच्ची को न्याय दिलाने के लिए आदिवासियों ने आवाज उठाना शुरू कर दिया है। ग्रामीण और मरने वाली मासूम के परिजन लगातार इस मामले में न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं। चर्चित आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी ने भी इस आंदोलन को समर्थन दिया है।

सर्व आदिवासी समाज के संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर इस बंद के बारे में कहते हैं, छत्तीसगढ़ के बीजापुर में 22 दिनों पहले छह माह की बच्ची की हत्या कर दी गई थी। हत्या के बाद इस मामले में अब तक कोई जांच होती नहीं दिख रही है। लगातार स्थानीय ग्रामीण जांच की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं और सर्व आदिवासी समाज ने बंद का आह्वान करते हुए इस पूरी घटना की न्यायिक जांच की मांग की है। लगातार आदिवासियों की पूंजी जंगलों को काटा जा रहा है। छत्तीसगढ़ में हसदेव के जंगलों की कटाई हो रही है। सर्व आदिवासी समाज इसका विरोध करता है और हसदेव अरण्य मामले में सरकार से खदान निरस्त करने की मांग करता है।

बस्तर बंद आयोजित करने वाले सर्वआदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष गंगाराम नाग का आरोप है कि हम प्रशासन से इस मामले को लेकर न्यायिक जांच टीम गठित करने की मांग काफी दिनों से कर रहे हैं और जल्द से जल्द इसकी जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, मगर राज्य सरकार और प्रशासन इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इस मांग को लेकर पहले बीजापुर बंद आयोजित किया जा चुका है और आज बस्तर संभाग बंद का आयोजन किया गया है। अगर जल्द से जल्द हमारी मांग पूरी नहीं होगी तजो आदिवासी समाज के लोग उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।

गंगाराम नाग आगे कहते हैं, जिस तरह से हसदेव में आदिवासियों की सबसे बड़ी पूंजी वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है, उससे छत्तीसगढ़ का आदिवासी समाज बहुत आहत और कष्ट में है। उसके सर से छत छिनने का खतरा मंडरा रहा है, इसलिए हसदेव अरण्य मामले में सरकार से खदान निरस्त करने की मांग भी आदिवासी समाज लगातार कर रहा है। गौरतलब है कि हसदेव अरण्य में खदानों का ठेका अडानी को दिया गया है।

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