“बाबा साहब और मुझे संसद में दलित उत्पीड़न पर बोलने नहीं दिया”, बसपा सुप्रीमो ने भाजपा और कांग्रेस को घेरा

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बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें और बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को संसद में दलित उत्पीड़न पर बोलने का अवसर नहीं मिला। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों दल संविधान को कमजोर कर रहे हैं और देश की तरक्की के लिए इसकी मजबूती जरूरी है।

बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय राजनीति के दो प्रमुख दलों, भाजपा और कांग्रेस, पर हमला बोला। मायावती ने खासतौर पर उन पर निशाना साधते हुए कहा कि संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पर संसद में चल रही चर्चा का असल उद्देश्य तब तक सार्थक नहीं हो सकता जब तक सत्ता पक्ष खुले मन से यह स्वीकार नहीं करता कि उसने संविधान की पवित्र भावनाओं के अनुरूप करोड़ों भारतीयों को रोजगार, न्याय और स्वाभिमान नहीं दिया। उनका यह बयान इस ओर इशारा करता है कि सत्ता में बैठे दलों ने संविधान को सही तरीके से लागू करने में गंभीरता नहीं दिखाई, जिसके कारण देश में लाखों लोग आज भी गरीबी, बेरोजगारी और अन्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

संविधान और लोकतंत्र की खूबसूरती पर जोर

मायावती ने इस मौके पर भारतीय संविधान और लोकतंत्र की महत्वता को बताते हुए कहा कि यह सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि हमारे समाज की एक मजबूत नींव है। उन्होंने कहा, “भारत का संविधान और इसके लोकतंत्र की खूबसूरती देश और देशवासियों की तरक्की के लिए आवश्यक है। यह एक विकसित देश बनने का महत्वपूर्ण पैमाना है, और अगर इसे सही तरीके से लागू किया जाता तो देश की स्थिति इतनी खराब नहीं होती।” मायावती का यह बयान देश की सच्ची तरक्की और समृद्धि के लिए संविधान के प्रति ईमानदारी और जिम्मेदारी से काम करने की अपील था।

भ्रष्टाचार और राजनीतिक स्वार्थ ने संविधान को कमजोर किया

मायावती ने भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों को निशाने पर लेते हुए कहा कि इन दोनों ने संविधान को कमजोर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि सत्ता में रहते हुए उसने बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारत रत्न नहीं दिया और मान्यवर काशीराम की मृत्यु के बाद एक दिन का राष्ट्रीय शोक भी घोषित नहीं किया। इस प्रकार, मायावती ने इन दलों के नेतृत्व को संविधान के प्रति अनादर और असंवेदनशीलता का जिम्मेदार ठहराया। उनका यह भी कहना था कि दोनों दलों के बीच चल रही आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति केवल देश के विकास और संविधान की असली सार्थकता से ध्यान भटकाती है।

संविधान संशोधन पर मायावती का समर्थन

मायावती ने संविधान में आवश्यक सुधारों के पक्ष में अपनी बात रखी। उनका कहना था कि यदि संविधान में किए गए संशोधन जनहित में होते हैं, तो बसपा उनका समर्थन करेगी। साथ ही, उन्होंने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक देश, एक चुनाव) के प्रस्ताव का भी स्वागत किया। उन्होंने इस प्रस्ताव को देश की चुनावी प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उनका यह बयान इस बात का संकेत था कि वे संविधान में सुधार की दिशा में सकारात्मक विचार रखती हैं, लेकिन यह सुधार केवल जनहित में होना चाहिए।

आरक्षण बिल का मुद्दा: कांग्रेस और सपा का विरोध

मायावती ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में संविधान के प्रति सत्ताधारी और विपक्षी दलों की असंवेदनशीलता पर भी गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और सपा की वजह से संसद में प्रमोशन में आरक्षण का बिल पास नहीं हो पाया। इस बिल का विरोध समाजवादी पार्टी ने संसद में किया था, जब उन्होंने इसे फाड़कर फेंक दिया था। मायावती ने इस कृत्य को संविधान के प्रति अवमानना और कमजोर करने का प्रयास बताया। उन्होंने बताया कि बसपा ने हमेशा इस बिल को पास कराने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस और सपा के विरोध के कारण यह आज तक पास नहीं हो पाया है।

देश की आर्थिक स्थिति और बेरोजगारी पर मायावती की चिंता

मायावती ने देश की बिगड़ी हुई आर्थिक स्थिति और बढ़ती बेरोजगारी पर भी कड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर संविधान का पालन सही तरीके से किया गया होता और सत्ता में काबिज दलों ने ईमानदारी से काम किया होता तो आज देश में 80 करोड़ लोग सड़कों पर नहीं सो रहे होते। बेरोजगारी और गरीबी के कारण करोड़ों भारतीयों का जीवन दूभर हो गया है। खासकर युवा, महिलाएं, किसान और मजदूर वर्ग आज संविधान के अधिकारों से वंचित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर संविधान के अनुशासन का पालन किया गया होता, तो आज देश में इतने गंभीर हालात नहीं होते।

संविधान का राजनीतिकरण: भाजपा और कांग्रेस का दोष

मायावती ने यह आरोप भी लगाया कि भाजपा और कांग्रेस ने संविधान का राजनीतिकरण किया है और अपनी स्वार्थी राजनीति के लिए इसे तोड़ा-मरोड़ा है। उन्होंने कहा, “संविधान विफल नहीं हुआ है, बल्कि देश की सरकारों और राजनीतिक पार्टियों ने इसे लागू करने में असफलता दिखाई है। दोनों पार्टियों ने संविधान का उपयोग सिर्फ अपनी राजनीति को चमकाने के लिए किया है।” इस प्रकार, मायावती ने कांग्रेस और भाजपा के बीच चल रही नफरत और आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति को नकारते हुए कहा कि यह केवल देश की समस्याओं से ध्यान भटकाने का एक तरीका है।

कांग्रेस और भाजपा की दयनीय स्थिति

मायावती ने अंत में कांग्रेस और भाजपा को उनकी नीतियों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि दोनों पार्टियां देश की समस्याओं को हल करने में पूरी तरह नाकाम रही हैं। उन्होंने कहा कि जब संविधान के बारे में संसद में चर्चा हो रही थी, तो दोनों दलों ने सिर्फ एक-दूसरे पर आरोप लगाए और जनता की समस्याओं को नजरअंदाज किया। इससे यह स्पष्ट हो गया कि संविधान की असली सार्थकता और उसे लागू करने का कोई ठोस प्रयास इन पार्टियों की ओर से नहीं किया गया।

इस प्रकार, मायावती ने एक बार फिर से अपनी पार्टी बहुजन समाज पार्टी की भूमिका को संविधान और लोकतंत्र के बचाव में सबसे सशक्त बताया। उन्होंने संविधान के प्रति अपने निष्ठा और समर्पण को स्पष्ट करते हुए भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा खड़ा किया।

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