पश्चिम बंगाल में बढ़ रहा है जाति के आधार पर अत्याचार, दलित उत्पीड़न पर सरकार दिखा रही है उदासीनता

Share News:

बीते शुक्रवार नेशनल कमीशन ऑफ शिड्यूल कास्ट ने पश्चिम बंगाल की सुंदरबन पुलिस को लेटर जारी करते हुए सूचना दी कि 3 दिसम्बर को हतुगंज में दलितों के साथ जातिगत आधार पर हुए अत्याचार की इन्वेस्टिगेशन अब नेशनल कमीशन ऑफ शिड्यूल कास्ट करेगी। यह इन्वेस्टिगेशन एससी और एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के आधार पर की जाएगी। बता दें कि 3 दिसंबर को सुंदरबन जिले के कुलपी के हतुगंज में दलित व्यक्ति राबिन सरदार और दो बच्चों मिमी नस्कर और बिजय नस्कर के साथ जाति के आधार पर बुरी तरह मारपीट की घटना सामने आई थी। जिसके बाद से उनका इलाज सुंदरबन के एक अस्पताल में चल रहा है।

Official letter of National commission of schedule cast (courtesy: social media)

 

घटना की निष्पक्ष जांच के लिए नेशनल कमीशन ऑफ शिड्यूल कास्ट में सुदीप दास नाम के एक व्यक्ति ने कम्प्लेंट दर्ज कराई थी। जिसके बाद नेशनल कमीशन ऑफ शिड्यूल कास्ट ने इन्वेस्टिगेशन करने का फैसला लिया। बताते चले कि 3 दिसंबर को पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर के कांथी में तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी की सभा होना थी वहीं डायमंड हार्बर में बीजेपी विधायक शुभेन्दु अधिकारी की सभा होनी थी। हालांकि दोनों ही जगह सभा होने से पहले ही हिंसा शुरू हो गयी थी।

शुभेंदु अधिकारी ने किया फैसले का स्वागत:

बीजेपी विधायक शुभेंदु अधिकारी ने नेशनल कमीशन ऑफ शिड्यूल कास्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि, “राबिन सरदार और 2 बच्चों पर जाति आधारित अत्याचार और अमानवीय शारीरिक यातना के मामले की जांच के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग द्वारा लिए गए निर्णय का मैं स्वागत करता हूं।”

सुंदरबन के अस्पताल में दलित पीड़ितो से मिलते बीजेपी विधायक शुभेंदु अधिकारी (courtesy: shubhendu adhikari Twitter handle)

 

बीजेपी विधायक ने अस्पताल में पीड़ितों से मिलने की कुछ तस्वीरें और वीडियो भी शेयर की हैं। इसी के साथ अधिकारी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि,” 3 दिसंबर को कुलपी के हतुगंज में दलितों पर हमला करने वाले टीएमसी के गुंडे थे, जो उन्हें बीजेपी की रैली में जाने से रोक रहे थे।”

पश्चिम बंगाल में नहीं है शिड्यूल कास्ट डिपार्टमेंट:

पश्चिम बंगाल भारत का दूसरा ऐसा राज्य है जहाँ अनुसूचित जाति की आबादी सबसे ज़्यादा है। इसी के साथ अनुसूचित जनजाति की आबादी भी पश्चिम बंगाल में कम नहीं है। 2011 कि जनगणना के अनुसार पश्चिम बंगाल में
अनुसूचित जाति की कुल जनसंख्या 2,14,63,270 है। वहीं अनुसूचित जनजाति की कुल जनसंख्या 5,296,953 है।

लेकिन कमाल की बात ये है कि पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जाति और जनजाति के मसलों का निपटारा करने के लिए कोई अनुसूचित जाति और जनजाति का विभाग या मंत्रालय नहीं है।

मामले पर जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता के प्रोफेसर सुभाजीत नस्कर लिखतें हैं कि, “पश्चिम बंगाल के एससी दलित जातिगत अत्याचारों के हर रोज शिकार होते हैं, कायस्थ बैद्य और ब्राह्मणों के प्रभुत्व के बाद से स्थानीय बंगाली मीडिया द्वारा इसकी रिपोर्ट कभी नहीं की जाती है। भारत का दूसरा सबसे बड़ा एससी आबादी वाला राज्य होने के नाते बंगाल में विशेष अनुसूचित जाति विभाग/मंत्रालय नहीं है।”

Twitter screenshot

 

वहीं अपने दूसरे ट्वीट में दलितों के प्रति टीएमसी की उदासीनता का ज़िक्र करते हुए वह लिखते हैं कि,”टीएमसी की राज्य सरकार अनुसूचित जाति की दुर्दशा के प्रति इतनी उदासीन है कि भाजपा के विपक्षी नेता को इसे उठाने की जरूरत पड़ती है।”

बहरहाल, देश का कोई ही राज्य ऐसा होगा जहां से दलितों पर अत्याचार के मामले सामने न आते हो। वहीं पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश ऐसे राज्यों में सबसे टॉप पर है जहाँ दलितों और आदिवासियों की स्थिति रोज़ाना बद से बद्दतर होती जा रही है।

*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *

महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।

  Donate

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *