ज्ञानपुर के कैड़ा गांव में दलित महिला का रिहायशी मड़हा कुछ मनबढ़ युवकों ने आग के हवाले कर दिया, जिससे हजारों का सामान जलकर नष्ट हो गया। विरोध करने पर पीड़िता के साथ मारपीट और गाली-गलौज की गई। आरोप है कि पुलिस आरोपियों से मिली हुई है और कार्रवाई नहीं कर रही, जिससे परिवार डरा-सहमा है। पीड़िता ने न्याय और सुरक्षा की गुहार लगाई है।
UP: ज्ञानपुर के सुरियावां थाना क्षेत्र के कैड़ा गांव में जातिगत तनाव और असामाजिक तत्वों की मनमानी का एक गंभीर मामला सामने आया है। शनिवार की रात गांव के कुछ मनबढ़ युवकों ने दलित महिला फोटो देवी पत्नी स्व. कमलेश सरोज के रिहायशी मड़हे को आग के हवाले कर दिया। इस घटना में मड़हे में रखा चारपाई, अनाज, बच्चों के कपड़े समेत हजारों रुपये का सामान जलकर खाक हो गया। पीड़िता के परिवार का कहना है कि कुछ दिनों से गांव के ही कुछ लोग उन्हें वहां से हटाने के लिए धमका रहे थे। जब इन असामाजिक तत्वों का विरोध किया गया तो उन्होंने न केवल आगजनी की, बल्कि गाली-गलौज और मारपीट भी की।
पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की
घटना के बाद पीड़िता शांति देवी ने सुरियावां थाने में तहरीर देकर न्याय की गुहार लगाई, लेकिन आरोप है कि पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। पीड़िता ने बताया कि वह बस्ती में कच्चा मकान और मड़हा बनाकर अपने परिवार के साथ रहती हैं। असामाजिक तत्वों ने शनिवार की रात मौके पर आकर उनके रिहायशी मड़हे को जलाने की घटना को अंजाम दिया। इस घटना के बाद परिवार दहशत में है और गांव छोड़ने का दबाव महसूस कर रहा है।
निवासियों का कहना है:
स्थानीय निवासियों का कहना है कि पुलिस विपक्षी पक्ष के साथ मिली हुई है और जानबूझकर मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। घटना के बाद भी किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की गई है, जिससे पीड़ित परिवार और ज्यादा भयभीत हो गया है।
पीड़िता का आरोप:
पीड़िता का आरोप है कि पुलिस प्रशासन की उदासीनता से आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं और उन्हें जान-माल का खतरा बना हुआ है। पीड़िता ने उच्च अधिकारियों से मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हुए न्याय और सुरक्षा की गुहार लगाई है। यह घटना दलितों के प्रति बढ़ती हिंसा और असुरक्षा की भावना को उजागर करती है।
इस घटना ने इलाके में तनाव का माहौल पैदा कर दिया है। सामाजिक संगठनों और दलित अधिकार समूहों ने भी इस मामले को लेकर कड़ी नाराजगी जताई है और पुलिस प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग की है। मामले की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय प्रशासन और पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं।
*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *
महिला, दलित और आदिवासियों के मुद्दों पर केंद्रित पत्रकारिता करने और मुख्यधारा की मीडिया में इनका प्रतिनिधित्व करने के लिए हमें आर्थिक सहयोग करें।