2014 के बाद देश में रिकॉर्ड तोड़ बेरोजगारी, 83 प्रतिशत युवाओं के पास नहीं है नौकरी

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चुनावी समर और भारत देश में ILO Report on Unemployment (बेरोजगारी) पर रिपोर्ट

जहाँ एक तरफ हर प्रदेश में चुनावी महौल है खासकर उत्तर प्रदेश में हर दल जनता को लुभाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं वहीं चुनाव के बीच आई ILO Report on Unemployment (बेरोजगारी) पर रिपोर्ट, से हर तरफ हलचल मच गया है। और हलचल मचान वाजिब भी है। क्योंकि बेरोजगारी वर्तमान समय में एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा और एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक मुद्दा है जिसके परिणामस्वरूप हर चीज़ पर इसका जबरदस्त प्रभाव पड़ता है लेकिन अक्सर इसे अनदेखा कर दिया जाता है। चुनावी माहौल के बीच आई रिपोर्ट दर्शाती है कि भारत में बेरोजगारी की समस्या युवाओं महिलाओं , ख़ासकर शिक्षित युवाओं आदि क्षेत्रों में तेज़ी से बढ़ रही है।

बेरोजगारी से सामाजिक परिणाम
बेरोज़गारी से जीवन की गुणवत्ता निम्न हो जाती है जिससे निरंतर कष्ट की स्थिति उत्पन्न होती है।बेरोजगारी अशिक्षा जैसी समस्याओं को जन्म देकर समाज में दुष्चक्र (गरीबी भूखमरी आदि )पैदा करती हैं।और इसका सबसे ज्यादा प्रभाव उस बड़े तबकों के (जो अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति, अतिपिछड़े अल्पसंख्यक और गरीबी) लोगों पर पड़ता है। जो पहले ही सामाजिक व आर्थिक रूप से कमजोर है। बेरोजगारी इससे असमानता और ज्यादा बढ़ता है या यूं कहें कि गरीब और गरीब होता जाता है और अमीर और ज्यादा अमीर
इस प्रकार बेरोजगारी आर्थिक और सामाजिक रूप से बहुत अधिक प्रभावित करती है और इस पर सरकार को सोचने की जरूरत है और इस समस्या से कैसे छुटकारा पाया जाए।
जैसे ILO के रिपोर्ट के अनुसार अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की आर्थिक आवश्यकता के कारण कार्य में अधिक भागीदारी है, लेकिन वे कम वेतन वाले अस्थायी आकस्मिक वेतन वाले काम और अनौपचारिक रोजगार में अधिक लगे हुए हैं।सकारात्मक कार्रवाई और लक्षित नीतियों के बावजूद, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अभी भी बेहतर नौकरियों के मामले में पीछे हैं। खैर यदि हम इन वर्गों की स्थिति पर गौर करें तो पाएंगे कि ये वर्ग न सिर्फ शिक्षा व नौकरी में पीछे बल्कि हर क्षेत्र में इनकी समुचित भागीदारी नहीं हैं और ये पीछे हैं।

ILO Report on Unemployment बेरोजगारी संबंधित आंकड़े बहुत ही चिंताजनक है जो मौजूद सरकार पर प्रश्न चिह्न खड़ा करता है?
आज भारतीय व्यवस्था के सामने सबसे बड़ी चुनौती महंगाई, बेरोजगारी, भुखमरी, आर्थिक असमानता और गरीबी से पार पाना है। इस समय बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है। देखा जाए तो यह भारत के आर्थिक विकास में एक सबसे बड़ा बांधा है। अर्थव्यवस्था को संतुलित तभी माना जाता हैं जहाँ आर्थिक विकास के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर भी सृजित होते हों जिससे आम जनता को रोजगार मिल सकें।
खैर आइये जानते हैं इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) और इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट (IHD) द्वारा जारी इंडिया एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024 से भारत में बेरोजगारी के विभिन्न पहलुओं को समझा जा सकता है।

इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में बेरोजगारों में 83% युवा बेरोजगार है। ये बेरोजगारी युवाओं, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में शिक्षित युवाओं और महिलाओं के बीच केंद्रित रही है।आगे बताते हैं कि वर्ष 2022 में कुल बेरोजगार आबादी में बेरोजगार युवाओं की हिस्सेदारी 82.9 प्रतिशत थी। सभी बेरोजगार लोगों में शिक्षित युवाओं की हिस्सेदारी वर्ष 2000 में 54.2% से बढ़कर वर्ष 2022 में 65.7 % हो गई।
शिक्षित बेरोजगार युवाओं (माध्यमिक स्तर या उच्च शिक्षा वाले) में पुरुषों (62.2 प्रतिशत) की तुलना में महिलाओं की हिस्सेदारी अधिक (76.7 प्रतिशत) है।
आगे रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2000 और वर्ष 2019 के बीच युवा रोजगार और अल्परोजगार में वृद्धि हुई है, लेकिन महामारी के वर्षों के दौरान इसमें गिरावट आई है, जिसमें शिक्षित युवाओं में इस अवधि के दौरान देश में बेरोजगारी उच्च स्तर पर रही। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रम बल भागीदारी दर (LFPR), श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR) और बेरोजगारी दर (UR) में वर्ष 2000 और वर्ष 2018 के बीच दूरगामी गिरावट देखी गई, लेकिन वर्ष 2019 के बाद सुधार देखा गया।
महिला श्रम बाज़ार भागीदारी दर-
पिछले वर्षों में नाटकीय रूप से गिरावट के बाद, महिला श्रम बाजार भागीदारी दर 2019 में और अधिक तेजी से बढ़ने लगी, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
आगे इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2018 से पहले विभिन्न अवधियों में गैर-कृषि रोजगार कृषि रोजगार की तुलना में अधिक दर से बढ़ा है।कृषि से श्रम मुख्य रूप से निर्माण और सेवा क्षेत्रों में नियोजित हुआ। और लगभग 90% श्रमिक अनौपचारिक काम में लगे हैं, जबकि नियमित कार्य का हिस्सा वर्ष 2000 के बाद लगातार बढ़ा है और वर्ष 2018 के बाद कम हुआ।

ठेकेदारी प्रथा में वृद्धि
इस रिपोर्ट के अनुसार यह बताया गया कि ठेकेदारी प्रथा में वृद्धि हुई है, केवल कुछ प्रतिशत नियमित कर्मचारी ही लंबे अनुबंधों के दायरे में आते हैं। बाकी ठेकों के अनुबंध पर कार्यरत हैं।
युवाओं में स्किल की कमी :
इस रिपोर्ट में बताया गया कि युवाओं के पास कार्य करने का स्किल नहीं है जिसमें 75% युवा ईमेल भेजने में असमर्थ हैं, 60% फ़ाइलों को कॉपी एवं पेस्ट करने में असमर्थ हैं और 90% युवा कार्यबल को गणितीय सूत्र को स्प्रेडशीट में कॉपी और पेस्ट करने में असमर्थ हैं।

गैर-कृषि क्षेत्रों में कार्यबल का स्थानांतरण-
भारतीय श्रम बाजार के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक कार्यबल का कृषि से हटकर गैर-कृषि क्षेत्रों में क्रमिक और निरंतर स्थानांतरण है।
लिंग भेद का बढ़ना –
महिला श्रम बल भागीदारी की कम दर के साथ देश श्रम बाजार में पर्याप्त लिंग अंतर की चुनौती का भी सामना कर रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार युवा महिलाओं, खासकर उन महिलाओं के लिए जो उच्च शिक्षित हैं बेरोजगारी उनके लिए बहुत बड़ी चुनौती है।

भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 भारत में युवाओं के लिए पांच प्रमुख नीति क्षेत्रों में सुधार के लिए सुझाव भी दिये गये – जैसे

1-रोजगार सृजन को बढ़ावा देना
2-रोजगार की गुणवत्ता में सुधार
3-श्रम बाजार की असमानताओं को संबोधित करना
4-कौशल और सक्रिय श्रम बाजार नीतियों को मजबूत करना
4-श्रम बाजार पैटर्न और युवा रोजगार पर ज्ञान की कमी को पूरा करना

इस रिपोर्ट में बेरोजगारों में शिक्षित युवाओं महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ना बेहद निराशाजनक एवं चिंताजनक है।
इससे यह भी साबित होता है कि मौजूदा बीजेपी सरकार की आर्थिक नीतियां युवाओं महिलाओं और गरीबों के हित में नहीं बल्कि अहित में हैं।
बीजेपी सरकार जितना ध्यान धर्म के नाम पर जाति के नाम पर नकारात्मक फैलाने में रखतीं हैं यदि इतना ध्यान शिक्षा स्वस्थ व रोजगार पर देतीं तो आज युवाओं महिलाओं की स्थिति अच्छी होती हैं और देश की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती हैं। लेकिन दुर्भाग्य हैं कि यहाँ पर सिर्फ धर्म व जाति के नाम पर लोगों गुमराह किया जाता है और नफरत फैलाया जाता है।

हमें सत्ता में ऐसा नेता चाहिए जो संविधान को आत्मसात कर के
सकारात्मक राजनीति के साथ सर्वसमाज को एक ही माला में पिरो कर एक बार समझें और उनके हितों के लिये काम करें। तभी यह देश बाबासाहेब के सपनों का भारत बनेगा जहाँ समता स्वतंत्रता भाईचारा और मानवता होगा।

दीपशिखा इन्द्रा

(Reference – The Hindu (Data Related)

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