एक दलित युवक को 31 घंटों तक जंजीर से बाँध कर रखा।

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आज हम 21वी सदी में रहते हैं देश की सरकार बड़े – बड़े वादे करती है की यह सदी भारत की है परन्तु जब बात दलित की आती है तो 21वी का भारत वही खड़ा दीखता है जहाँ बाबा भीम राव आंबेडकर छोड़ कर गए थे. 21वी सदी के भारत में आज हम hindulifematter , muslimlifematter , sikhlifematter की बात करते हैं. परन्तु dalitlifematter की बात कोई नहीं करता है. दलितों पर हो रहे उत्पीड़न की बात भी करने से इस देश का बुद्धिजीवी कतराता है.

राजस्थान बूंदी ज़िले की खबर है की आज भी भारत में बंधुआ मजदूरी ज़िंदा है, राधेश्याम मेघवाल जो की बिलोबा गॉव के रहने वाले हैं, राधेश्याम मेघवाल ने तीन साल पहले परमजीत सिंह के फार्म हाउस में काम करना शुरू किया था जिसके लिए परमजीत ने राधेश्याम मेघवाल जी को 70 हज़ार रुपया दिया था. जिसमे से राधेश्याम मेघवाल जी ने 50 हज़ार रुपया परमजीत को वापस कर दिया था. परन्तु 30 हज़ार रुपया राधेश्याम मेघवाल जी को लेना पड़ा अपनी बहन की शादी के लिए परमजीत का कहना है की राधेश्याम मेघवाल जी पर 1,10 हज़ार रुपया बकाय है जिसको लुटाने के लिए परमजीत दवाब बना रहा था राधेश्याम जी पर , 10 दिन राधेश्याम मेघवाल जी ने बिना किसी पैसे के परमजीत के फॉर्म हाउस में काम किया.

परन्तु जातिवाद का ज़हर आज भी इस देश में ज़िंदा है, परमजीत ने अपने पशुओ के बाड़े में राधेश्याम जी को 31 घंटो तक पशु की भाति जंजीर से बाँध कर रखा. 22 मई को राधेश्याम मेघवाल जी को परमजीत उसका भाई और चार लोग उनके घर से ले जाता है और 31 घंटो तक बाँध कर रखता है और राधेश्याम जी पर अत्यचार करता है . 31 घंटो तक न कोई खाना और पानी दिया जाता है.

31 घंटो के बाद राधेश्याम मेघवाल जी का भाई कुछ पैसे परमजीत को देता है और अपने भाई को छुड़वाता है. 24 मई को राधेश्याम जी थाने में परमजीत उसके भाई और चार अन्य के खिलाफ sc / st एक्ट में केस दर्ज कराया है.

अभी तक यह खबर किसी भी नेशनल न्यूज़ का हिस्सा नहीं बनी है. क्योकि दलितों की बात करना ओल्ड फैशन है आज के पत्रकारों और सरकारों के लिए परन्तु दलित टाइम्स इस देश के वंचितों की आवाज़ बनता रहेगा.

*दलित टाइम्स उन करोड़ो लोगो की आवाज़ है जिन्हें हाशिए पर रखा गया है। *

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