UP में 57 प्रतिशत दलितों के पास नहीं जमीन, चौरी-चौरा में 29 जनवरी को लाखों भूमिहीन निकालेंगे जन आक्रोश मार्च

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दलित जमीन के अधिकार से वंचित हैं और दलितों के ऊपर अत्याचार बढ़ता जा रहा है। दलितों के पास जीवन निर्वहन के लिए जमीन होगी, तभी वे स्वाभिमान से अपनी आजीविका कमा सकेंगे और उन पर अत्याचार भी नहीं होगा…..

Gorakhpur news : यूपी के ऐतिहासिक चौरी चौरा से डॉ. अम्बेडकर चौक गोरखपुर तक सरकार के वादाखिलाफी के विरोध में लाखों भूमिहीन दलित-पिछड़े गरीब लोगों के साथ ‘जन आक्रोश मार्च’ 29 जनवरी को अम्बेडकर जन मोर्चा द्वारा निकाला जायेगा। अंबेडकर जन मोर्चा के माध्यम से यूपी में पिछले लंबे समय से भूमिहीनों को एक एकड़ जमीन दिये जाने की मांग उठ रही है।

अम्बेडकर जन मोर्चा के मुख्य संयोजक श्रवण कुमार निराला कहते हैं, भारतीय समाज में कृषि योग्य भूमि आजीविका का ऐसा साधन है जिस पर आदमी पीढ़ी दर पीढ़ी निर्भर रहकर सम्मानजनक जीवन निर्वाह करता आ रहा है। यह भी सच है कि जहां आज भी पुराने जमींदारों एवं कुछ कारपोरेट घरानों के पास सैकड़ों एकड़ भूमि है, वहीं पर लगभग 57 प्रतिशत दलित परिवार भूमिहीन हैं अर्थात इनके पास न घर बनाने की जमीन है, न खेती करने की जमीन है और न ही मवेशी पालने की जमीन है।

भूमि का प्रश्न दलित बहुजन आन्दोलन का अनिवार्य हिस्सा रहा है। महात्मा फूले, छत्रपति शाहूजी महराजए पेरियार सहित बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर ने इस प्रश्न पर अपनी राय रखी है। कांशीराम भी प्रत्येक भूमिहीन परिवारों को एक एकड़ जमीन देने का वादा अपने भाषणों में करते थे। तमाम विद्वानों का मत है कि जमीन का वितरण गरीब मजदूरों में किए बिना देश में विकास की बात करना बेईमानी है। दलित जमीन के अधिकार से वंचित हैं और दलितों के ऊपर अत्याचार बढ़ता जा रहा है। दलितों के पास जीवन निर्वहन के लिए जमीन होगी, तभी वे स्वाभिमान से अपनी आजीविका कमा सकेंगे और उन पर अत्याचार भी नहीं होगा।

तेलंगाना सरकार ने 15 अगस्त 2014 को निर्णय लिया था कि तेलंगाना प्रदेश के सभी भूमिहीन दलितों को 03 एकड़ जमीन खरीदकर निःशुल्क वितरित करेगी। इस योजना के अन्तर्गत मार्च 2022 तक लगभग 16906.34 एकड़ भूमि खरीदी जा चुकी है जिसकी कीमत 755.94 करोड़ रुपये है। यह जमीन 6874 परिवारों में वितरित की जा चुकी है। इसके अतिरिक्त तेलंगाना सरकार दलित आदिवासी बच्चों को करोड़ों रुपये की सहायता देकर विदेशों में पढ़ाई करने के लिए भेज रही है। साथ ही साथ कई अन्य योजना भी इन वर्गों के उत्थान के लिए चला रही हैं।

श्रवण कुमार निराला कहते हैं, तेलंगाना सरकार ने जमीन के प्रश्न को हल करके एक नजीर प्रस्तुत किया है और यह पूरे देश में किया जा सकता है। दलितों-पिछड़ों-भूमिहीनों का आर्थिक जीवन और सामाजिक जीवन अत्यन्त ही कठिन और अपमानजनक है। राजनीतिक जीवन का तो कोई मोल ही नहीं है, कोई भी थोड़ा सा लालच देकर इनका वोट खरीद लेता है। क्योंकि गरीब और असहाय दलित की पहली प्राथमिकता पेट भरना है, लेकिन इन 57 प्रतिशत दलितों के जीवन की चिन्ता न तो सरकार को है न ही मुख्य विपक्षी पार्टियों को ही है, जो पिछले 30 वर्षों से कई बार सरकार में रही हैं।

यह एक आवश्यक लड़ाई है, लेकिन इन 57 प्रतिशत भूमिहीन दलितों की चिन्ता कौन करे, जिसके लिए बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर अपने अंतिम समय में रो रहे थे और बसपा के फाउंडर कांशीराम को इनके लिए कुछ करने का अवसर नहीं मिल पाया। कांशीराम भी भूमिहीन दलितों को कम से कम एक एकड़ कृषि योग्य भूमि का अधिकार दिलावाना चाहते थे।

अब यूपी में अम्बेडकर जन मोर्चा जमीन के आन्दोलन को अमली जामा पहनाना चाहता है। अम्बेडकर जन मोर्चा समय समय पर दलितों, पिछड़ों के हकों के लिए आवाज उठाता रहता है। पिछले दिनों अम्बेडकर जन मोर्चा गांव में बिजली पानी से लेकर दलितों पर होने वाले अत्याचार के विरूद्ध लड़ाई लड़ी है। पिछली योगी सरकार ने जब अनुसूचित जाति/जनजाति के विद्यार्थयों को छात्रवृत्ति व शिक्षा शुल्क सरकारी खजाने से देना बंद करने का निर्णय लिया तो अम्बेडकर जन मोर्चा ने शिक्षा, छात्रवृति बचाओ विशाल रैली की, तब जाकर मजबूर होकर सरकार को झुकना पड़ा और लाखों विद्यार्थियों को इसका लाभ मिला।

अंबेडकर जनमोर्चा की मांगें
1. अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ा वर्ग व मुस्लिम समाज के भूमिहीन सभी गरीबों को प्रति परिवार एक एक एकड़ कृषि योग्य जमीन दी जाये।

2. गांव के मनरेगा मजदूरों को प्रतिदिन की मजदूरी 1000 रुपये प्रति व्यक्ति किया जाये और 200 दिन की रोजगार गारन्टी सुनिश्चित किया जाये।

3. अनुसूचित जाति/जनजाति के सभी गरीब परिवारों को अपना व्यापार, व्यवसाय करने के लिए यूपी सरकार/भारत सरकार 20ः20 लाख एक मुश्त धनराशि का अनुदान बिना ब्याज पर दे, यह धनराशि लोन नहीं होगी, बल्कि पूर्ण रूप से अनुदान हो।

4. अनुसूचित जाति/जनजाति के छात्रों को विदेशों से उच्च शिक्षा लेने के लिए प्रति छात्र 25-25 लाख धनराशि का सरकार अनुदान दे, जिससे दलित समाज के प्रतिभावान युवा विदेश जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें।

5. शिक्षा, प्राथमिक से लेकर उच्च डिग्री तक सभी जाति, वर्गों के लिए पूर्णतः निःशुल्क किया जाए।

6. सभी बीमारी की चिकित्सा सभी जाति, वर्गों के लिए पूर्णतः निःशुल्क किया जाए।

7. ग्रेजुएट और उसके ऊपर उच्च शिक्षा प्राप्त सभी बेरोजगारों को 30000 रुपये प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता दिया जाये।

8. सरकारी नौकरी में 6 लाख पद उत्तर प्रदेश में खाली हैं, खाली पदों को वैकेन्सी निकाल कर तत्काल भरा जाये।

9. उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए राज्य विश्वविद्यालय आयोग का गठन किया जाये और आरक्षण नियमों का पालन किया जाये।

10. देश के सभी जेलों में बन्द मामूली अपराध के आरोपी दलित, पिछड़े, मुस्लिम गरीबों को बिना शर्त रिहा किया जाये।

श्रवण कुमार निराला कहते हैं इन मांगों को पूरा करवाने के लिए अम्बेडकर जन मोर्चा द्वारा पूर्व में 17 दिसम्बर 2022 को सुबह 11 बजे गोरखपुर में दलित अधिकार रैली का आयोजन किया गया था। पुनः दूसरी बार दिनांक 17 मार्च 2023 को उक्त मांग को लेकर गोरखपुर कमिश्नर कार्यालय के समक्ष एक दिवसीय विशाल धरना प्रदर्शन किया गया। आन्दोलन के तीसरे चरण में दिनांक 10 अक्टूबर 2023 को गोरखपुर कमिश्नर कार्यालय पर ‘डेरा डालो, घेरा डालो’ आन्दोलन किया गया। इस आन्दोलन के दौरान हजारों की संख्या में भूमिहीन गरीब जनता के बीच में गोरखपुर के जिलाधिकारी समेत अन्य मण्डल व जिलास्तर के जिम्मेदार अधिकारियों ने आन्दोलन स्थल पर आकर यह आश्वासन दिया था कि हम दो महीने में भूमिहीन गरीबों को जमीन देने की कार्यवाही शुरू करेंगे। इसके लिये अम्बेडकर जन मोर्चा के तरफ से पाँच लोगों की कमेटी बना दी जाये और प्रशासन की तरफ से पाँच लोगों की कमेटी हम बनायेंगे, जो सरकार के बीच में मध्यस्थता करते हुये जमीन वितरण का समुचित व शीघ्र रास्ता निकालेंगे।

अम्बेडकर जन मोर्चा की तरफ से वार्ता के लिये 5 लोगों की कमेटी जिला प्रशासन व सरकार को दी जा चुकी है, मगर आज तक शासन-प्रशासन द्वारा कोई भी उचित कार्यवाही नहीं की गयी। इसलिये अब योगी सरकार के वादा खिलाफी के विरोध में 29 जनवरी 2024 को ऐतिहासिक चौरी चौरा से बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर चौक गोरखपुर तक ‘जन आक्रोश मार्च’ निकालने का निर्णय लिया गया है। इस मार्च में लाखों लोग शामिल होंगे, जो अपनी सभी मांगों को तत्काल पूरा करने की मांग सरकार से कर रहे हैं।

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