सवर्णों ने किया 60 दलित परिवारों को गांव से बहिष्कृत, परिवारों ने लगाई प्रशासन से मदद की गुहार

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ओडिशा, बरगढ़ के गौरेनमुंडा गांव में सवर्णों द्वारा लगभग 60 दलित परिवार का बहिष्कार करने का मामला सामने आया है। इस मामले में एक महीने से अधिक समय से पीड़ित 60 दलित परिवार पुलिस से मदद मांग रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं की गई है। दलित परिवार शुक्रवार से गैसिलेट थाने के सामने धरने पर बैठे हैं। उन्होंने एसडीपीओ को ज्ञापन सौंपकर तुरंत मदद करने की मांग की है।

जानकारी के लिए बता दें कि दलित साही इलाके के लक्ष्मण छतिरा और गडी सुना के बीच विवाद हो गया था। जिसमें छतिरा के बेटे को उनकी बेटी ने 6 जून को साइकिल चलाते वक्त टक्कर मार दी थी। जिसके बाद दोनों समुदायों में मारपीट हो गई। इसी विवाद के चलते कुम्पटिया साहू के घर के सामने ग्राम सभा बुलाई गई लेकिन छतिरा बैठक में शामिल नहीं हुईं। इसके बाद 9 जून को गांव में एक और बैठक हुई। जिसमें छतिरा मौजूद रही।

आरोप है कि बैठक में सवर्णों ने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए दलितों को अपमानित करना शुरू कर दिया और सभी को गांव से खदेड़ने की धमकी दी। इस बैठक के बाद अनुसूचित जाति के परिवारों ने आरोप लगाया कि उन्हें बहिष्कृत किया गया है। गांव में स्नान घाट, नलकूप और अन्य सुविधाओं का उपयोग करने से उनको रोक दिया गया है।

दलित महासंघ के अध्यक्ष नारायण भेसरा ने कहा, दलित परिवारों ने कई बार जिला प्रशासन से संपर्क किया है पर कोई फायदा नहीं हुआ। इसलिए उन्हें विरोध करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

आजाद समाज पार्टी के प्रमुख और भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने घटना का विरोध जताते हुए ओड़िसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से अनुरोध किया है कि वह इस मामले में जल्द से जल्द संज्ञान ले।

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