उत्तरप्रदेश में चुनावी सरगर्मी बढ़ने लगी है। सपा और भाजपा को देखते हुए बसपा ने भी अपने प्रत्याशियों के चुनाव को लेकर कवायद शुरू कर दी है। इस बार टिकट बटवारे के लिए बसपा ने अपना तरीका बदला है। चुनाव लड़ने के लिए दावेदारों से आवेदन मांगे गए है। इस बार दलित उत्पीड़न के साथ-साथ ब्राह्मण उत्पीड़न को भी बसपा अपना चुनावी हथियार बनाएगी।
■ आवेदन के साथ देना होगा बायोडाटा
इस बार चुनाव लड़ने के लिए दावेदारों से आवेदन मांगे गए है। बसपाइयों को एक प्रोफार्मा बताया गया है. आवेदन के साथ बायोडाटा देना होगा। इसके अलावा आवेदन के साथ टिकट के लिए उम्मीदवार समाज के लिए क्या- क्या किया, बसपा के मिशन मूवमेंट में योगदान, कितने वर्षों का राजनीतिक जीवन, बसपा से जुड़ाव, राजनीति ही क्यों, परिवार के हालात, पेशा, किस विधानसभा से चाहत, वहां किए गए कार्यों का ब्योरा आदि देना होगा।
■ नेता लेंगें इंटरव्यू
आवेदन के लिए बसपा द्वारा जिला स्तर पर एक कमेटी बनाई है। वह कमेटी आवेदन पर विचार कर चुनाव के लिए बनाई कार्यकारिणी के पास भेजेगी। कार्यकारिणी में शामिल नेता आवेदन करने वाले का इंटरव्यू लेंगें। हर विभानसभा से दस आवेदन लिए जा रहे हैं। कमेटी और कार्यकारिणी दस आवेदकों में से केवल दो का चयन करेगी, जिसके बाद ये दो आवेदक नेताओं की कुंडली बसपा प्रमुख मायावती के पास पहुंचेगी। वहां से तय होगा कि चुनावी मैदान में किसको खड़ा करना है।
■ आर्थिक रूप से कमजोर नेता का खर्च उठाएगी पार्टी
बसपा ने यह भी कहा है कि यदि बसपा का कोई नेता बेहतर छवि का है, तो वह मजबूत प्रत्याशी हो सकता है .लेकिन वह आर्थिक रूप से कमजोर है तो उसका चुनावी खर्च भी पार्टी उठाएगी।ऐसे में विपक्ष बसपा की मंशा पर सवाल उठा रहा है।
बसपा सुप्रीमो इन दिनों लखनऊ में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हैं। अब यह देखने लायक होगा कि बसपा के इस प्लान से पार्टी को कितना फायदा होता है?
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