Google India ने अपने ‘ईयर इन सर्च’ परिणामों की घोषणा की है जिसमे सूर्या-स्टारर जय भीम लिस्ट में सबसे ऊपर रही हैं जयभीम तमिल ब्लॉकबस्टर फिल्म जो हाशिए के दलित समुदाय के वास्तविक जीवन के संघर्षों पर केंद्रित है, साल की सबसे अधिक खोजी जाने वाली फिल्म रही हैं।
दर्शकों को फिल्म इतनी पसंद आई कि यह 1,17,000 उपयोगकर्ताओं के साथ 9.6 की IMDb रेटिंग पर बैठ गई। IMDb पर सबसे ज्यादा रेटिंग वाली पिछली दो फिल्में द शशांक रिडेम्पशन और द गॉडफादर थीं, जिनकी रेटिंग 9.3 (2.5 मिलियन उपयोगकर्ताओं के साथ) और 9.2 (1.7 मिलियन उपयोगकर्ताओं के साथ) थी।जयभीम ने दोनों ही फिल्मो को पीछे छोड़ दिया था.
जयभीम ने साथ साथ बॉलीवुड की फिल्मो को भी टक्कर दी जिसमे शेरशाह और सूर्यवंशी भी जयभीम से पीछे ही रही,हालंकि फिल्म ने काफी विवाद को भी झेला है। वन्नियार संगम ने जय भीम में वन्नियार समुदाय के चित्रण पर सूर्या, ज्ञानवेल और अन्य को कानूनी नोटिस भेजा । पट्टली मक्कल काची (पीएमके) के सदस्य पन्नीरसेल्वम को भी तमिलनाडु पुलिस ने मामला दर्ज किया था, क्योंकि उन्होंने सूर्या पर हमला करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए नकद पुरस्कार की घोषणा की थी। जिसके बाद सूर्या के प्रशंसकों, फिल्म निर्माताओं और कई अभिनेताओं ने अभिनेता और फिल्म के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया था।
क्या हैं कहानी –
टी जे ज्ञानवेल की जय भीम संस्थागत भेदभाव के मुद्दे के कारण सुर्खियों में रहीऔर यह एक इरुला समुदाय की महिला के अपने पति को न्याय दिलाने के संघर्ष पर आधारित है, जिसे चोरी के झूठे मामले में पुलिस द्वारा गिरफ्तार और प्रताड़ित किया गया था। सूर्या ने कम्युनिस्ट वकील से जज बने के चंद्रू पर आधारित नायक की भूमिका निभाई है।
बता दे कि अभिनेता सूर्या ने इस फिल्म में एडवोकेट चंद्रु का किरदार निभाया है, जो हमेशा गरीब और वंचित लोगों की मदद के लिए खड़ा रहता है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस फिल्म में सूर्या ने जिस वकील का किरदार निभाया है, वह असल जिंदगी से जुड़ा है।निर्देशक टीजे ज्ञानवेल की यह फिल्म आदिवासी गर्भवती सेंगनी (लिजोमोल जोस) की कहानी कहती है, जो अपने पति राजाकन्नू (के मणिकंदन) का पता लगाने के लिए संघर्ष करती है। राजाकन्नू पर पुलिस द्वारा चोरी का झूठा आरोप लगाया जाता हैं और कहा जाता हैं की वह हिरासत से भाग गया है। सेंगनी को इस मामले में न्याय दिलाने में वकील चंद्रु (अभिनेता सूर्या) उनकी मदद करते हैं।
कहानी में आगे पुलिस के हाथों यातना सहने के बाद, राजाकन्नू की हिरासत में मौत हो जाती हैं और अपने अपराधों को छिपाने के लिए स्थानीय पुलिस ने उसके शव को पास ही के जिले तिरुचिरापल्ली (त्रिची) में फेंक देती हैं और बाद में दावा किया कि वह हिरासत से भाग गया था। राजाकन्नू की पत्नी,अपने पति का पता लगाने के लिए हर संभव कोशिश करती हैं ,अंत में उसे मद्रास उच्च न्यायालय के एक वकील के. चंद्रु का साथ मिला, जिन्होंने इस मामले में न्याय दिलाने में उसकी मदद करता हैं। 13 साल की कानूनी लड़ाई के बाद, अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह हिरासत में मौत का मामला था। आरोपी पुलिस अधिकारियों को राजाकन्नू की हत्या के लिए 14 साल की सजा सुनाई जाती हैं।
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