कल सत्यपाल मलिक के ऊपर CBI ने जम्मू काश्मीर का राज्यपाल रहते हुए 2200 करोड़ के चीरू हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट मे भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उनके खिलाफ चार्जसीट दायर की है और सत्यपाल मलिक कल बीमार होकर हास्पिटल मे दाखिल हो गए है।
लगभग 80 वर्षीय सत्यपाल मलिक पश्चिम यूपी के बागपत जिले के जाट नेता है। यूपी की राजनीति उन्होंने जाट नेता चरण सिंह की लोकदल में शामिल होकर शुरू की थी लेकिन उनको अति महत्वाकांक्षाओं ने उनको वहाँ से कांग्रेस में छलांग लगवा दी, बोफोर्स तोप घोटाले वाले दौर मे कांग्रेस से भागकर वीपी सिंह के साथ मिल लिए, फिर वीपी सिंह की जनता दल मे टूट होने के बाद बनी मुलायम सिंह की सपा में नया ठिकाना बना लिया और अंत में 2004 में भाजपा की इंडिया शाइनिंग हवा मे भाजपा ज्वाइन की थी। सत्यपाल मलिक की 50 साल की राजनीति जाटो और किसानों के लिए कम और निजी महत्वाकांक्षाओ के लिए ज्यादा नजर आती है।
2022 मे थोड़ी खटपट के बाद भाजपा छोड़ दी। 2004 से 2022 के बीच भाजपा ने इनको बहुत कुछ दिया भी, भाजपा ने इनको यूपी में मैम्बर ऑफ पार्लियामेंट के लिए टिकट भी दिया था लेकिन वो जीत नहीं पाए थे। उसके बाद भाजपा ने इनको बिहार का राज्यपाल बनाया, उड़ीसा के राज्यपाल का भी अतिरिक्त प्रभार दिया। 2018-19 के दौरान जम्मू काश्मीर का राज्यपाल बनाया, उसके बाद गोआ और मेघालय का भी राज्यपाल बनाया। लगभग 50 साल की राजनीति में वो काफी सफल नेता बने रहे है।
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हर पार्टी ने इनको बहुत कुछ दिया, किसी ने इनको राज्य सभा का मैम्बर बनाया, किसी ने इनको लोकसभा का मैम्बर बनाया, किसी ने इनको राज्यपाल बनाया लेकिन ज्यादा की उम्मीद में शायद कहीं नहीं टिक पायें और ठिकाने बदलते रहे। किसी को अगर ये लगता हैं कि वो कहीं इमानदारी और स्पष्टवादिता के कारण रुक नही पा रहे थे, वो उनका अपना आंकलन है लेकिन अति महत्वाकांक्षी होने वाला दूसरा पक्ष भी बहुत मजबूत है।
2022 में इनको शायद राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति बनने की हसरत रही हो सकता हैं, तभी इन्होंने एकाएक केन्द्र सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने शुरू कर दिए, कुछ लोगों का ये भी मानना था कि ये महोदय अपनी जाटगिरी का दबाव बनाकर राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति पद पाना चाहते थे लेकिन वहाँ कोई दूसरा जाट नेता जगदीप धनखड़ बाजी मार गए और मालिक साहेब बौखला कर फ्लावर से फायर बन गए।
खैर राजनीति के खेल नासमझ और भावुक जनता को कम ही समझ आते है। लगभग 2004 से 2022 तक सत्यपाल मलिक को किसी भ्रष्टाचार का कुछ पता ही नहीं चला लेकिन पद न मिलने की सूरत में उनको अचानक 2018-19 मे जम्मू काश्मीर के राज्यपाल रहते हुए दो कान्ट्रेक्ट पास करने की एवज मे 300 करोड़ की रिश्वत ठुकराने वाला किस्सा याद आ जाता है। कौन लोग थे वो जो रिश्वत देने आए थे, ये तक नहीं बताया। राज्यपाल से कोई ऐरा गेरा कोई राह चलता आदमी तो मिलता नही जो 300 करोड़ की पोटली सिर पर उठाए घुम रहा हो और उसके पास आधार कार्ड तक भी न हो।
जम्मू काश्मीर के किश्तवाड़ जिले में 2200 करोड़ के कीरू हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट मे कान्ट्रेक्ट में कथित 300 करोड़ की रिश्वत वाली बात कहकर मोदी विरोधी दलों के वो अचानक सगे ताऊ हो गए, इमानदार नेता हो गए और उनके आदर्श हो गए। मैं कौन खाम्य खा वाले रोल मे दलितों ने भी सत्यपाल मलिक मे ही मान्यवर कांशीराम तक दिखने लगे थे, सीने में दर्द होने लगे थे। इतनी सी राजनीति इनके दिमाग में घुसती हैं बस।
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सवाल भ्रष्टचार का तो था ही नही, वो तो देश का मुद्दा ही नही रहा अब। सारी लड़ाई तो सत्ता पाने की हैं, अपनी महत्वाकांक्षाओ की है। जनता हित में संविधान का राज तो अब किसी को चाहिये भी नही, उनको भी नहीं चाहिये जिनका वजूद ही उस संविधान के कारण धीरे धीरे बनना शुरू हुआ है जो सदियों से उपेक्षित थे। वो दलित आदिवासी तक समझना नही चाहते कि आजादी के बाद से लेकर आज तक संविधान को गरीबों मजदूरों के लिए लागू करने की किसी सरकार ने 50% कोशिश भी नही की, हालांकि बहनजी की यूपी राज्य मे चलाई गई सरकार काफी हद तक अपवाद थी क्योंकि उसका केन्द्र बिन्दु गरीब, मजदूर, दलित और अन्य शोषित समाज रहा था और कानून व्यवस्था मजबूत करके असामाजिक तत्वों को नकेल डाल कर रखा गया था।
कल सत्यपाल मलिक के ऊपर CBI ने जम्मू काश्मीर का राज्यपाल रहते हुए 2200 करोड़ के चीरू हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट मे भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उनके खिलाफ चार्जसीट दायर की है और सत्यपाल मलिक कल बीमार होकर हास्पिटल मे दाखिल हो गए है। सच क्या हैं, झुठ क्या हैं, ये हम नहीं जानते लेकिन बेवजह किसी नेता को जबरदस्ती ईमानदारी की मिसाल बना कर पेश की जाए, वो भी गलत है। CBI के क्या दावे हैं, क्या सबुत हैं, क्या मुद्दा हैं, ये जाने बगैर बेगानी शादी में अब्दूला दीवाना न बन जाना। CBI , ED के दुरुपयोग की बाते टीवी अखबार में खुब सुनी जाती रही हैं लेकिन देश का 95 से 99% नेता दूध का धुला हुआ नही, ये भी सच है।
ब्लॉग: एन. दिलबाग सिंह (Facebook)