पीड़ित दलित महिला ने पुलिस पर स्कूल प्रशासन को बचाने के गंभीर आरोप लगाए हैं। महिला के मुताबिक FIR दर्ज हुए एक महिना होने वाला है लेकिन मामला दर्ज होने पर भी डीवाईएसपी (DYSP) द्वारा आरोपी को संरक्षण दे रहे हैं। मामला दर्ज होने के बाद संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी थी। लेकिन जिस डीवाईएसपी सुशील कुमार काशीराम नायक को जांच सौंपी गई थी वह पारदर्शी जांच नहीं कर रहे हैं।
Maharastra News: स्कूल में एडमिशन लेना है.. डोनेशन देना पड़ेगा। जॉब चाहिए ? पैसा दो और जॉब लो…। जॉब मिल गई तो अब तुम्हारी सैलरी से 25 पर्सेंट काटा जाएगा पता है क्यों ? क्योंकि सारे ऊंचे पदों पर भ्रष्टाचारी बैठे हैं। एज्यूकेशन सिस्टम इनके लिए खेल बन गया है और ये खेल पूरे महाराष्ट्र में चल रहा है। जी हां बिल्कुल सही सुना आपने। महाराष्ट्र के स्कूलों में या तो शिक्षकों की भर्ती के दौरान स्कूल प्रशासन लाखों रूपए लेता है या उनकी सैलरी शुरू होने के बाद उनकी सैलरी का लगभग 20 से 25 प्रतिशत हिस्सा कटौती के रूप में काट लेता है। और शिक्षकों के साथ ये हर महीने होता है। हर महिने शिक्षकों की सैलरी से 20 से 25 हज़ार रूपए जबरन वसूली के तौर पर काटे जा रहे हैं।

अगर इसके खिलाफ कोई आवाज उठाता है तो उसे नौकरी से निकाल दिया जाता है या उसे प्रताड़ित किया जाता है। हाल ही में एक महिला शिक्षक ने इसके खिलाफ आवाज़ उठाई और अब वह महिला न्याय के लिए कभी पुलिस स्टेशन के तो कभी शिक्षा अधिकारी के यहां चक्कर काट रही हैं।
यह भी पढ़ें: महाबोधि विहार: पवित्र बौद्ध भूमि पर नियंत्रण और सांस्कृतिक विकृतिकरण (Distortion) का संकट
मामला महाराष्ट्र के नांदेड़ का है। जहाँ शिवाजी नगर के शिव निकेतन प्राथमिक स्कूल में पढ़ाने वाली महिला शिक्षक ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ बगावत कर दी और वसूली देने से मना कर दिया। महिला का नाम वर्षा वालुराव बनसोडे है जो इस स्कूल में 1995 से पढ़ा रही है। स्कूल प्रशासन वर्षा से अब तक वसूली के नाम पर 30 से 40 लाख रुपए वसूल चुके हैं। पीड़ित महिला के बेटे हर्षवर्धन से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि जुलाई 2024 में उन्होंने शिक्षा अधिकारी के पास शिकायत की थी लेकिन शिक्षा अधिकारी ने अभी तक मामले पर कोई संज्ञान नहीं लिया। वहीं फरवरी 2025 में जब महिला शिक्षक ने वसूली के पैसे देने से मना किया तो स्कूल प्रशासन द्वारा उन्हें न केवल अपमानित किया गया बल्कि मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया गया।

पीड़ित महिला दलित समुदाय से आती हैं। 11 मार्च 2025 को दर्ज हुई FIR के मुताबिक स्कूल प्रशासन ने उन पर जाति आधारित टिप्पणी की। 17 फरवरी को जब वह अपनी सहयोगी के साथ खाना खा रही थी तभी स्कूल की प्रिंसिपल सिंधुताई टेल उनके पास आई और कहा कि, “तुम महार जाति से आती है। टेबल- मेज पर बैठकर खाना नहीं खा सकती। तुम्हारी जगह फर्श पर है। खाना खाने के लिए फर्श पर बैठें। पीड़ित महिला के मुताबिक स्कूल प्रशासन वाले बिना किसी काम के उन्हें दो दो घंटे तक स्कूल में बैठाए रखते हैं। पीड़ित महिला के मुताबिक यह सारी घटना सीसीटीवी फुटेज में कैद भी हुई है।
पीड़ित दलित महिला ने पुलिस पर स्कूल प्रशासन को बचाने के गंभीर आरोप लगाए हैं। महिला के मुताबिक FIR दर्ज हुए एक महिना होने वाला है लेकिन मामला दर्ज होने पर भी डीवाईएसपी (DYSP) द्वारा आरोपी को संरक्षण दे रहे हैं। मामला दर्ज होने के बाद संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी थी। लेकिन जिस डीवाईएसपी सुशील कुमार काशीराम नायक को जांच सौंपी गई थी वह पारदर्शी जांच नहीं कर रहे हैं। आरोपियों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। पीड़ित महिला ने डीवाईएसपी और स्कूल प्रशासन की मिलीभगत होने और पीड़ित पक्ष को ही उल्टा फंसाने की बात कही है।
यह भी पढ़ें: आफ़्रो-दलित एकजुटता: संघर्ष, गतिविधियाँ और पहल
मामले में स्कूल प्रशासन के 6 लोगों पर FIR दर्ज की गयी है। जिसमें निदेशक सिंधुताई शंकरराव तले, अध्यक्ष सचिन शंकरराव ताले, उपाध्यक्ष विजय रानी संजय सयालकर, सचिव शिवकुमार शंकरराव ताले, प्रिंसिपल शिवमाला शेटे और चौडे सर पर मामला दर्ज किया गया है। वहीं पुलिस ने भारतीय न्यायिक संहिता (BNS) 2023 की धारा 308(1), 351(2), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(1)(R), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(1)(5) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
महाराष्ट्र के एक दैनिक अखबार विश्व नायक के मुताबिक ये मामला सिर्फ शिवाजी नगर के स्कूल का नहीं है बल्कि पूरे महाराष्ट्र के स्कूलों में यही हालत है। सवाल ये हैं कि महाराष्ट्र सरकार, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े इस मामले पर ध्यान क्यों नहीं दे रहें ?