दिल्ली विधानसभा चुनाव: दलितों की आवाज़ बुलंद करने मैदान में उतरे चंद्रशेखर आज़ाद, आजाद समाज पार्टी ने 5 सीटों पर उतारे उम्मीदवार

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युवा दलित नेता चंद्रशेखर आज़ाद की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में ओखला, संगम विहार, अंबेडकर नगर, बुराड़ी और विकासपुरी सीटों से उम्मीदवार उतारे हैं। पार्टी ने दलित, वंचित और पिछड़े वर्गों की समस्याओं को सशक्त आवाज देने का संकल्प लिया है। 2020 में स्थापित इस पार्टी का उद्देश्य दलितों के अधिकारों के लिए लड़ना और राजनीति में उनकी भागीदारी बढ़ाना है। मतदान 5 फरवरी को होगा, जिससे दिल्ली की राजनीति में नए समीकरण बनने की संभावना है।

युवा दलित नेता चंद्रशेखर आज़ाद की पार्टी, आजाद समाज पार्टी (कांशीराम), ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपनी रणनीति तय कर ली है। दलित, वंचित और पिछड़े वर्गों की आवाज़ को सशक्त बनाने के उद्देश्य से पार्टी ने 5 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। इन सीटों में ओखला, संगम विहार, अंबेडकर नगर, बुराड़ी और विकासपुरी शामिल हैं। चंद्रशेखर आज़ाद, जो दलित राजनीति के उभरते सितारे हैं, ने अपने उम्मीदवारों को ऐसे इलाकों से उतारा है जहां समाज के हाशिये पर खड़े समुदायों की संख्या और समस्याएं अधिक हैं।

घोषित उम्मीदवार और दलित मुद्दों पर फोकस

आजाद समाज पार्टी ने ओखला से शेर खान, संगम विहार से सिराजुद्दीन, अंबेडकर नगर से दर्शन चंदेलिया, बुराड़ी से अमित कुमार गुर्जर और विकासपुरी से उमेश चौहान को उम्मीदवार बनाया है। चंद्रशेखर आज़ाद का कहना है कि उनकी पार्टी इन क्षेत्रों में दलित, मुसलमान और अन्य वंचित समुदायों की समस्याओं को उठाएगी और उन्हें मुख्यधारा की राजनीति में उचित प्रतिनिधित्व दिलाएगी। ये उम्मीदवार सामाजिक न्याय, शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

दलित वोट बैंक पर फोकस, समानता का एजेंडा

चंद्रशेखर आज़ाद ने बयान दिया कि उनकी पार्टी का मुख्य उद्देश्य दलितों और पिछड़ों के हक की लड़ाई लड़ना है। दिल्ली की राजनीति में दलितों की आवाज़ को अक्सर अनदेखा किया गया है, लेकिन आजाद समाज पार्टी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह इन समुदायों को सशक्त बनाएगी। उनका मानना है कि दिल्ली जैसे शहर में भी दलित समुदाय अब भी आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक रूप से पिछड़ा हुआ है।

2020 में बनाई पार्टी, अब तक की उपलब्धियां

आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) की स्थापना 2020 में चंद्रशेखर आज़ाद ने की थी। हरियाणा विधानसभा चुनाव में जेजेपी के साथ गठबंधन करके पार्टी ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। हरियाणा के चुनावों में पार्टी ने दलितों और पिछड़ों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। दिल्ली में अपने उम्मीदवार उतारकर पार्टी ने यह संदेश दिया है कि वह राष्ट्रीय स्तर पर खुद को एक मजबूत राजनीतिक विकल्प के रूप में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

5 फरवरी को मतदान, क्या बदलेगी दिल्ली की सियासी तस्वीर?

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मतदान 5 फरवरी को होगा और नतीजे 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे। पिछली बार आम आदमी पार्टी ने 62 सीटों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा 8 सीटों पर सिमट गई थी। कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला था। अब चंद्रशेखर आज़ाद की आजाद समाज पार्टी के चुनावी मैदान में उतरने से दलित वोट बैंक का बंटवारा होना तय माना जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पार्टी दिल्ली की सियासत में नई लहर पैदा कर पाएगी या नहीं।

चंद्रशेखर आज़ाद की यह पहल उन वंचित समुदायों के लिए उम्मीद की नई किरण है, जिनकी आवाज़ अक्सर सत्ता के गलियारों में गुम हो जाती है। दलितों के अधिकार, सम्मान और उनकी समस्याओं को लेकर चंद्रशेखर आज़ाद का यह कदम दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।

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