UP News: दलित से मारपीट मामले में तीन दोषियों को तीन साल की सजा

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बिजनौर में एक दलित मजदूर विजयपाल से मारपीट और जातीय अपमान के मामले में विशेष अदालत ने तीन आरोपियों, प्रदीप, नवनीत, और गोलू उर्फ चंद्रदीप को तीन साल के कारावास और पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। घटना 2015 की है, जब आरोपियों ने विजयपाल और उनके परिवार के सदस्यों पर हमला किया था।

UP NEWS: बिजनौर जिले के चाकरपुर गांव में वर्ष 2015 में घटित एक जातीय हिंसा के मामले में विशेष अदालत ने तीन आरोपियों को सजा सुनाई। इस मामले ने एक बार फिर समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और हिंसा की गंभीरता को उजागर कर दिया है। स्पेशल जज एससी-एसटी एक्ट अवधेश कुमार की अदालत ने इस मामले में दोषी ठहराए गए प्रदीप कुमार, नवनीत कुमार और गोलू उर्फ चंद्रदीप को तीन साल के कठोर कारावास और पांच हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई। इस फ़ैसले से दलित समुदाय के प्रति होने वाली हिंसा पर कठोर कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

घटना की शुरुआत और जातीय अपमान

14 सितंबर 2015 को विजयपाल, जो अनुसूचित जाति से हैं और दैनिक मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं, के चार लड़के जाहरदीवान मेले में बिसातखाने की दुकान पर कार्यरत थे। विजयपाल के बेटों ने मेला मैदान में छोटी सी दुकान लगाई थी और वह पूरी ईमानदारी से अपने काम में लगे हुए थे। इसी बीच, गोलू उर्फ चंद्रदीप ने बिना किसी कारण उनके बेटों से विवाद शुरू कर दिया। गांव के बुजुर्गों ने इस झगड़े को वहीं पर सुलझा दिया, और कुछ समय के लिए मामला शांत हो गया।

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दूसरे दिन का अपमानजनक हमला

अगले दिन, 15 सितंबर 2015 को, जब विजयपाल अपने कार्य पर जा रहे थे, तब रास्ते में गोलू ने उन्हें रोक लिया और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए उनका अपमान किया। गोलू की गालियों से विजयपाल अपमानित और आहत महसूस कर रहे थे। विजयपाल ने समझाने की कोशिश की, परन्तु इसी बीच गोलू के चाचा नवनीत और ताऊ प्रदीप भी वहां पहुंच गए। उन्होंने भी विजयपाल को अपमानित करते हुए गाली-गलौज शुरू कर दी और अचानक उस पर लाठियों से हमला कर दिया।

विजयपाल का संघर्ष और बचाव का प्रयास

विजयपाल की चीखें सुनकर उनका बेटा रवि और उनकी पत्नी गुड्डी दौड़कर मौके पर पहुंचे, और उन पर हो रहे हमले को रोकने की कोशिश की। लेकिन आरोपियों ने विजयपाल के परिवार पर भी हमला कर दिया। रवि और गुड्डी को भी लाठियों और डंडों से बुरी तरह पीटा गया। यह घटना न केवल एक परिवार के सम्मान का सवाल थी, बल्कि समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और हिंसा की विभीषिका को भी दर्शाती है।

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कोर्ट का फैसला और न्याय का संदेश

मामले की गंभीरता को देखते हुए विजयपाल ने स्थानीय पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। इस शिकायत के आधार पर, पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया और कोर्ट में अभियोजन पक्ष ने मजबूत सबूत प्रस्तुत किए। कई सालों के कानूनी संघर्ष के बाद, विशेष जज एससी-एसटी एक्ट अवधेश कुमार ने प्रदीप, नवनीत और गोलू को दोषी करार देते हुए तीन साल की सजा और पांच हजार रुपये का अर्थदंड सुनाया। इस फैसले के बाद कोर्ट ने संदेश दिया कि जातिगत हिंसा के मामलों में न्यायपालिका गंभीरता से कार्रवाई करती है और दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी।

इस निर्णय ने विजयपाल के परिवार को आंशिक न्याय की अनुभूति कराई और समाज में यह संदेश भी फैलाया कि कानून सभी के लिए बराबर है।

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