हरियाणा में बीजेपी एक बार फिर सत्ता में आने के बाद दलित वोट बैंक को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा सकती है। पार्टी, मध्य प्रदेश और राजस्थान के चुनावी मॉडल को अपनाते हुए दलित समुदाय से उपमुख्यमंत्री (डिप्टी सीएम) बनाए जाने पर विचार कर रही है।
Haryana Politics: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए दलित डिप्टी सीएम बनाने का विचार 2024 विधानसभा चुनाव के बाद की राजनीतिक रणनीति का अहम हिस्सा बन सकता है। जैसा कि बीजेपी ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में 2023 चुनावों के बाद सत्ता में दलित नेताओं को डिप्टी मुख्यमंत्री के रूप में पेश किया, हरियाणा में भी यह फॉर्मूला लागू करने की संभावनाएं बढ़ रही हैं। राज्य में 21% दलित मतदाताओं का महत्वपूर्ण वोट बैंक है, और चुनावी परिणामों में दलित समुदाय का बीजेपी के प्रति झुकाव स्पष्ट दिखाई दिया। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हरियाणा में कांग्रेस ने कुमारी सैलजा जैसे दलित चेहरों को आगे कर दलित अस्मिता को लेकर नैरेटिव सेट करने की कोशिश की थी, लेकिन बीजेपी ने इस नैरेटिव को पलटते हुए दलित मतदाताओं का समर्थन हासिल करने में कामयाबी पाई।
दलित नेता को डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी सौंप सकती है
हरियाणा चुनावों में बीजेपी ने नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में आगे किया और दलित मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। नतीजतन, राज्य की 17 दलित सुरक्षित सीटों में से 8 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की, जो इस समुदाय के बीच बीजेपी की पैठ को दर्शाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से नायब सिंह सैनी की मुलाकातों के बाद ऐसा माना जा रहा है कि सैनी को मुख्यमंत्री बनाए जाने की पूरी संभावना है। अगर ऐसा होता है, तो बीजेपी अपनी नई सरकार में राजनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए किसी दलित नेता को डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी सौंप सकती है।
दलित डिप्टी सीएम की नियुक्ति
इसके पीछे का तर्क स्पष्ट है—हरियाणा की सामाजिक संरचना को ध्यान में रखते हुए बीजेपी जाट और दलित मतदाताओं को साधने का प्रयास करेगी। नायब सिंह सैनी के मुख्यमंत्री बनने के बाद, दलित डिप्टी सीएम की नियुक्ति बीजेपी के सामाजिक समीकरणों को मजबूत करने का प्रयास होगी। राज्य में दलित समुदाय को सशक्त बनाने की यह पहल न केवल विधानसभा में उनकी राजनीतिक भागीदारी को बढ़ाएगी, बल्कि 2024 के लोकसभा चुनावों में भी बीजेपी को महत्वपूर्ण लाभ दे सकती है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में जिस तरह से बीजेपी ने ओबीसी, ब्राह्मण, और दलित समुदायों के साथ गठजोड़ किया था, उसी तरह हरियाणा में भी यह मॉडल अपनाया जा सकता है।
ओबीसी-ब्राह्मण-दलित समीकरण
बीजेपी ने राजस्थान में दलित समुदाय से प्रेमचंद बैरवा को डिप्टी सीएम बनाकर सत्ता समीकरण में दलितों की भागीदारी को सुनिश्चित किया था, जबकि मध्य प्रदेश में जगदीश देवड़ा को इसी भूमिका में लाकर ओबीसी-ब्राह्मण-दलित समीकरण साधा। इन राज्यों में इस रणनीति के सफल होने के बाद, हरियाणा में भी बीजेपी इसे आजमाने पर विचार कर रही है। दलित डिप्टी सीएम बनाए जाने से बीजेपी को न केवल दलित मतदाताओं का स्थायी समर्थन मिलेगा, बल्कि यह विपक्षी कांग्रेस के दलित नैरेटिव को भी कमजोर करेगा।
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जाट बिरादरी और दलित समुदाय के बीच संतुलन
अगली बीजेपी सरकार में मंत्री परिषद का स्वरूप भी दिलचस्प हो सकता है, क्योंकि खट्टर सरकार के कई मंत्रियों की हार के बाद नई सरकार में पूरी तरह से नया कैबिनेट देखने को मिल सकता है। इसके साथ ही, बीजेपी को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह जाट बिरादरी और दलित समुदाय के बीच संतुलन बनाए रखे, क्योंकि दोनों ही समुदाय हरियाणा की राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। दलित डिप्टी सीएम की नियुक्ति से राज्य में जातिगत समीकरणों को मजबूत करने और आगामी लोकसभा चुनावों में बड़े पैमाने पर समर्थन जुटाने का यह प्रयास बीजेपी के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।